IAS Success Story, UPSC Success Story: नई दिल्ली। UPSC की परीक्षा को देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है। हर साल लाखों उम्मीदवार इस परीक्षा में भाग लेते हैं, लेकिन सफलता गिनती के लोगों को ही मिलती है। ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी है महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के महागांव के रहने वाले रमेश घोलप की, जिन्होंने कठिनाइयों के बावजूद 2012 में UPSC क्रैक कर IAS बनने का सपना पूरा किया।
गरीबी और संघर्ष भरा बचपन
रमेश घोलप का जन्म एक निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ। उनके पिता साइकिल रिपेयर की एक छोटी दुकान चलाते थे, जबकि मां विमल घोलप चूड़ियां बेचकर परिवार का गुजारा करती थीं। बचपन में ही रमेश पोलियो के शिकार हो गए, लेकिन उनकी इच्छाशक्ति ने उन्हें कभी रुकने नहीं दिया।
2005 में रमेश के जीवन का सबसे कठिन दौर आया, जब उनके पिता का निधन हो गया। आर्थिक तंगी के कारण उनके पास पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए बस का किराया तक नहीं था। पड़ोसियों की मदद से वह किसी तरह अंतिम संस्कार में शामिल हो पाए। इस घटना ने उनके जीवन पर गहरा प्रभाव डाला और उन्हें यह समझ आ गया कि शिक्षा ही उनके परिवार की गरीबी मिटा सकती है।
शिक्षा के प्रति समर्पण
रमेश हमेशा से होनहार छात्र थे। उन्होंने एक मुक्त विश्वविद्यालय से आर्ट्स में डिग्री हासिल की और 2009 में शिक्षक के रूप में काम करना शुरू कर दिया। इसी दौरान उनकी मुलाकात एक तहसीलदार से हुई, जिसने उन्हें सिविल सेवा में जाने के लिए प्रेरित किया।
IAS बनने की ओर कदम
रमेश ने नौकरी छोड़ पुणे जाकर UPSC की तैयारी शुरू की। 2010 में पहले प्रयास में असफल होने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। दो साल तक कठिन मेहनत के बाद, 2012 में उन्होंने UPSC सिविल सेवा परीक्षा में विकलांगता कोटे के तहत अखिल भारतीय रैंक 287 प्राप्त की और IAS अधिकारी बन गए।
आज भी हैं प्रेरणा का स्रोत
वर्तमान में रमेश घोलप झारखंड के ऊर्जा विभाग में संयुक्त सचिव के पद पर कार्यरत हैं। उनकी कहानी उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो मुश्किलों के आगे घुटने टेक देते हैं। रमेश का कहना है, “कठिनाइयां आपको मजबूत बनाती हैं, और जब आप अपने लक्ष्य के लिए समर्पित होते हैं, तो सफलता आपके कदम चूमती है।”
रमेश घोलप की कहानी इस बात का सबूत है कि यदि हौसले बुलंद हों और मेहनत में कोई कमी न हो, तो गरीबी या विकलांगता जैसी कोई भी चुनौती आपको सफल होने से नहीं रोक सकती। उनकी जीवन यात्रा हर उस युवा के लिए एक आदर्श है, जो अपनी परिस्थितियों को बदलने का सपना देखता है।
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