शरीर की संरचना कुछ इस प्रकार बनी है कि इसमें कई सारे प्राकृतिक तत्वों का समावेश है। प्रकृति इन तत्वों के साथ ही इंसान का शरीर बनाती है और फिर शरीर में इन तत्वों का संतुलन बनाए रखने की जिम्मेदारी इंसान की होती है। यदि यह संतुलन गड़बड़ाया तो परेशानियों का होना लाजमी है।
आयरन की कमी और समस्याएं
शरीर में पोषक लौह तत्व की कमी से पनपने वाली सबसे आम और गंभीर समस्या है एनीमिया। सामान्य शब्दों में इसे कमजोरी कहा जा सकता है लेकिन इसका गंभीर रूप जानलेवा भी हो सकता है। इसके शिकार लोगों में महिलाओं का प्रतिशत ज्यादा होता है। इसके लक्षण कुछ इस तरह के हो सकते हैं-
- चक्कर आना
- थकान बनी रहना
- त्वचा का पीला पड़ जाना
- सांस लेने में दिक्कत व सीने में दर्द
- सिरदर्द, सिर का भारी रहना
- पांवों और हाथों का ठंडा पड़ जाना
- जुबान पर सूजन या दर्द
- बार-बार इन्फेक्शन होना, नाखूनों का तड़कना या कमजोर हो जाना, तेज हृदयगति, मिट्टी, बर्फ या स्टार्च जैसी अखाद्य वस्तुओं को खाने की इच्छा होना, बच्चों में भूख की कमी, रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम जैसी अनुभूति होना, आदि।
इन चीजों को अपनाएं
शरीर में आयरन का स्तर संतुलित होना बेहद आवश्यक है क्योंकि यह हीमोग्लोबिन नामक प्रोटीन की मात्रा को पर्याप्त बनाए रखने और ऊतकों तक ऑक्सीजन पहुंचाने का महत्वपूर्ण काम करता है और इसकी कमी से हृदय, कई सारे अंगों की कार्यप्रणाली एवं रोगप्रतिरोधक क्षमता पर बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए आयरन से भरपूर वस्तुओं का सेवन आवश्यक है।
इसके लिए सीफूड, अंडे, पालक जैसी हरी पत्तेदार सब्जियां, बीन्स, किशमिश और खुबानी जैसे सूखे मेवे, मटर आदि जैसी चीजें और जरूरत पड़ने पर सप्लीमेंट्स का उपयोग डॉक्टर की सलाह से किया जा सकता है। साथ ही आयरन के अवशोषण के लिए विटामिन सी से भरपूर खाद्यों का सेवन भी किया जा सकता है।
विटामिन बी 12 लाल रक्त कोशिकाओं से जुड़ी जरूरत आयरन की ही तरह इस पोषक तत्व की जरूरत भी रक्त कोशिकाओं की बढ़ोत्तरी के लिए है। इसकी कमी दिमाग पर काफी बुरा असर डाल सकती है।
शरीर में विटामिन बी 12 की कमी भी एनीमिया की मुसीबत को बुलावा दे सकती है। यह पर्निशियस एनीमिया कहलाता है और एक तरह का ब्लड डिसऑर्डर होता है। इसके अलावा इस कमी से नर्व और ब्रेन डैमेज का भी खतरा पनप सकता है। यह विटामिन शरीर में फॉलिक एसिड के अवशोषण में भी मददगार होता है जिससे शरीर को ऊर्जा मिलती है।
इस कमी के लक्षणों में सिरदर्द, थकान, सांस फूलना, ध्ाड़कन का भारी चलना, आसानी से मसूड़ों से खून आ जाना, पेट खराब होना, कब्ज, वजन कम होना, हाथ की उंगलियों और पैरों के पंजों में झनझनाहट या सुन्न्पन, मसल्स का कमजोर होना, कन्फ्यूजन, चीजों को भूल जाना, चिड़चिड़ापन, गंभीर स्थिति में दिमाग का सिकुड़ जाना या डिमेंशिया शामिल हैं।
इस विटामिन की कमी से बचने के लिए इसकी पर्याप्त मात्रा का सेवन जरूरी है। खासतौर पर बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए। चूंकि खाद्यों में इसकी मौजूदगी मांसाहार में ज्यादा होती है अत: शाकाहारियों के लिए विकल्प सीमित हो सकते हैं। ऐसे में चिकित्सक की सलाह से सप्लीमेंट्स लिए जा सकते हैं।
इसके विशेष इंजेक्शन्स भी दिए जाते हैं जो सीध्ो रक्त में जाकर इसकी मात्रा को संतुलित कर सकते हैं। दूध्ा, चीज़, मीट, अंडे, कुछ विशेष सीरियल्स, आदि अच्छे स्रोत हो सकते हैं।