
फ़टाफ़ट डेस्क/दिव्यांश रॉय. परमाणु बम, ये नाम सुनते ही हम सबके मन में एक बहुत ही भयानक दृश्य आता है। पर ये परमाणु बम गिरा क्यों? क्या ज़रूरी पड़ी इससे घातक और हिंसा औज़ार को ईजाद करने की? या किन-किन देशो के पास परमाणु बम है?
परमाणु बम का इतिहास
देखा जाए तो परमाणु बम का ईजाद अमेरिका द्वारा 1945 में किया गया था, इसका सबसे बड़ा कारण था डर… जर्मनी या जापान अगर उनसे पहले परमाणु बम को ईजाद कर लेते तो अमेरिका का विश्व युद्ध 2 हारना निश्चित हो जाता।
हालांकि, अमेरिका सफल रहा। न्यू मैक्सिको में ट्रिनिटी टेस्ट करके उन्होंने पूरी दुनिया को अपना शक्ति दर्शन तो किया ही। फिर युद्ध में इसका इस्तेमाल भी किया।
हिरोशिमा और नागासाकी का नाम आज तक उस पर गिरे हुए परमाणु बम “लिटिल बॉय” एवं “फैट मैन” के कारण प्रचलित है जो अमेरिका ने विश्व युद्ध 2 के समय गिराया था। ये ब्लास्ट लगभग 200,000 लोगो की मौत का कारण तो बना ही, उसके अलावा अगले कई सालों तक लोगों के कैंसर का कारण था।
इस खौफ़नाक दृश्य ने पूरी दुनिया को दहला के रख दिया, और एक ऐसा डर बिठाया जो आज भी हमारे मन में बैठा है।
कौन से देशो के पास है परमाणु शक्ति?
अमेरिका के बाद 8 और देश रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इजराइल और उत्तर कोरिया ने परमाणु बम प्राप्त किया। कुछ ने खुद, बाकी लोगों ने दूसरे बड़े देश द्वारा अधिग्रहन किया।
भारत एक परमाणु शक्ति कैसे बना?
हमारे देश भारत की बात की जाये तो 1998 में प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपाई के नेतृत्व में परमाणु बम का टेस्ट हुआ। मगर इस परीक्षण में भी काफ़ी दुविधा आयी। अमेरिका का सैटेलाइट देश पर निगरानी रखे बैठा था।
इसके बावज़ूद, भारत ने किसी तरह चुपके पोखरण में परमाणु बम “स्माइलिंग बुद्धा” को टेस्ट करके दुनिया की परमाणु शक्तियो में अपना नाम दर्ज किया।
एक काफ़ी ज़ाहिर सवाल ये है कि हमारे देश में अमेरिका निगरानी रख क्यों रहा था?
अमेरिका खुद को दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति मानता है, और इनका विरोध करने का एक ही तरीका है और वो है अपार परमाणु बल। जिस कारण अमेरिका पूरी कोशिश करता है और देश को परमाणु बम की प्राप्ति न हो।
आज की बात
अमेरिका आज भी इजराइल के माध्यम से ईरान को परमाणु शक्ति बनने से रोकने की कोशिश कर रहा है। ये 9 के 9 देश ये दावा करते हैं कि उनके परमाणु हथियार सिर्फ स्वयं बचाव के लिए हैं। पर क्या ये सच है या एक औपचारिक झूठ?
किसी का गुस्सा, कोई भी गलत बात, एक लापरवाही पूरी दुनिया के राख बनने का कारण बन सकती है।