केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) मंत्री नारायण राणे महाराष्ट्र के कोंकड़ में बाढ़ प्रभावित इलाके के दौरे पर पहुंचे हुए थे। कोंकण के चिपलून पहुंचे नारायण राणे उस समय गुस्सा हो गए जब उनको रिसीव करने के लिए कोई सीनियर अधिकारी नहीं पहुंचा। सीनियर अधिकारी की गैरमौजूदगी को देख नारायण राणे ने इतना नाराज हो गए हैं उन्होंने वहीं से जिला कलेक्टर बी एन पाटिल को फोन लगाकर खरी-खोटी सुना दी। जिसके बाद से इस घटना को लेकर राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है।
दअसरल, इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए गए राणे ने रविवार को राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेताओं देवेंद्र फडणवीस और प्रवीण दारेकर के साथ बाढ़ प्रभावित रायगढ़ और रत्नागिरी का दौरा किया। इसी दिन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे खुद बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के दौरे पर निकले थे। मुख्यमंत्री का दौरा होने की वजह से सारे सीनियर अधिकारी उधर व्यस्त हो गए। इसी बीच जब नारायण राणे दौरे पर पहुंचे तो उनके साथ कोई सीनियर अधिकारी मौजूद नहीं था।
राणे ने अपने फोन से ही पाटिल को फोन किया जिन्होंने बताया कि अधिकारी ठाकरे के कार्यक्रम में व्यस्त है। इतना सुनते ही केंद्रीय मंत्री ने अपना आपा खो दिया और चिल्ला पड़े। राणे ने कहा कि ‘मुझे सीएम के बारे में मत बताओं, मुझे उनकी परवाह नहीं है। अनुविभागीय अधिकारी का कहना है कि वह गारडियन मंत्री के साथ हैं, आप कह रहे हैं कि आप सीएम के साथ हैं…. मैंने काफी सहा है…आप कह रहे हैं कि सीईओ (जिला परिषद) मेरे साथ प्रतिनियुक्त हैं, मैं बाजार में हूं और मैं उन्हें कहीं नहीं देख रहा। वह कहां है?’
रत्नागिरी में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, राणे ने कहा ‘यहां कोई सीएम नहीं है। कहीं प्रशासन नजर नहीं आ रहा है और सब कुछ चौपट हो गया है… मुख्यमंत्री ने मातोश्री (ठाकरे का निवास) से बाहर कदम रखा है, जब उन्हें एहसास हुआ कि मैं रत्नागिरी दौरे पर हूं। तबाही के चार दिनों तक उन्हें हेलीकॉप्टर नहीं मिला। जब से उन्होंने पदभार संभाला है, तब से उन्होंने राज्य के लिए दुर्भाग्य लाया है।’
शिवसेना नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद सावंत ने राणे के व्यवहार की निंदा की। उन्होंने कहा कि यह व्यक्ति नहीं बल्कि पद है जिसका सम्मान करने की आवश्यकता है। लेकिन फिर, हम राणे से अच्छे व्यवहार की उम्मीद नहीं कर सकते। वहीं, कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने कहा कि इस तरह का व्यवहार राहत कार्य करने वाले अधिकारियों का ही मनोबल गिराता है। सावंत ने कहा, “राणे वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री हैं और हम उनसे और अधिक जिम्मेदार व्यवहार की उम्मीद करते हैं।