क्या है डिजिटल अरेस्ट! स्कैम की चपेट में भारत… डिजिटल अरेस्ट कर लूटे जा रहे हैं लोगों के पैसे.. जानें आखिर क्या है ठगों का यह नया पैंतरा

Digital Arrest: आज कल आपने एक शब्द जरूर सुना होगा और वह शब्द है डिजिटल अरेस्ट। ये शब्द मीडिया की सुर्खियों में लगातार बना हुआ है। देश के कोने-कोने से आए दिन डिजिटल अरेस्ट से जुड़ी खबरें सामने आ रही हैं कि कैसे ठगों ने फलाना आदमी को डिजिटल अरेस्ट कर उनसे लाखों-करोड़ों की रकम लूट ली। कई बार इन ठगों पर पुलिस कार्रवाई भी करती है। यहां तक कि इनका आतंक इस कदर बढ़ चुका है कि प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस समस्या पर गहरी चिंता जताई और लोगों को इससे बचने के लिए चेतावनी भी जारी की।

इस वक्त भारत डिजिटल स्कैम के चपेट में आ चुका है। हर महीने हजारों भारतीयों को इस स्कैम का शिकार बनाया जा रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी 2024 से अक्टूबर 2024 के बीच साइबर क्रिमिनल ने भारत के लोगों से लगभग 2,140 करोड़ रुपये चुरा लिए हैं। इन स्कैम्स की वजह से कई लोग अपनी जान भी दे चुके हैं तो कई लोगों ने अपने जीवन भर की कमाई भी गंवा चुके हैं। आखिर ये स्कैम क्या है, कैसे ठग दूर बैठे अपने ठिकाने से दूसरे लोगों के की भारी-भरकम रकम लूट ले रहे हैं। आज हम इसी बारे में जानेंगे।

क्या है डिजिटल अरेस्ट?

डिजिटल अरेस्ट सुनकर ही ये पता चल रहा है कि इसमें आपको ऑनलाइन गिरफ्तार किया जा रहा है। मतलब कि आप एक कैमरे के सामने लगातार किसी की नजर में बैठे रहेंगे। कुल मिलाकर मान लीजिए कि यह ब्लैकमेल करने का एक एडवांस तरीका है। इसमें वह लैपटॉप, डेस्कटॉप या मोबाइल में जांच के नाम पर ऐप डाउनलोड करवाते हैं। वीडियो कॉल से जांच प्रक्रिया का हवाला और गिरफ्तारी का डर दिखाकर निगरानी में ले लेते हैं। मोबाइल सामने रखवा लेते हैं। घर से बाहर नहीं जाने देते न ही किसी से संपर्क करने देते हैं। व्यक्ति किसी से कोई मदद भी नहीं ले पाता।

खुद को बताते हैं पुलिस या सरकारी अधिकारी

ये साइबर अपराधी खुद को पुलिस, नॉरकोटिक्स, साइबर सेल पुलिस, इनकम टैक्स या सीबीआई अधिकारी की तरह पेश करते हैं और लोगों को धमका कर अपना शिकार बनाते हैं। वे बाकायदा किसी ऑफिस से यूनिफॉर्म में कॉल करते हैं। इस दौरान ये ठग लोगों से वीडियो कॉल पर लगातार बने रहने के लिए कहते हैं, इस दौरान वे किसी से बात भी नहीं करने देते। वे लोगों को बताते हैं कि जब तक उनकी जांच खत्म नहीं हो जाती, तब तक वे उनकी निगरानी में कैमरे के सामने चुपचाप बैठे रहेंगे। इसी बीच केस को खत्म करने के लिए पैसे भी ट्रांसफर करवाते हैं। ये पैसे ऐसे अकाउंट में डलवाए जाते हैं जिनका अपराधियों की पहचान से कोई लेना देना नहीं होता है और पैसा भी वहां से तुरंत निकाल कर ये साइबर अपराधी गायब हो जाते हैं।

ऐसे में क्या करें

अगर कोई अनजान व्यक्ति किसी ग्रुप पर जोड़ता है तो उससे इसका कारण पूछें। कम समय में कोई अगर भारी मुनाफा होने का झांसा दे तो सतर्क हो जाएं। अनजान व्यक्ति पार्सल में ड्रग्स होने की बात कहे तो पुलिस को बताएं। साइबर सेल के टोल फ्री नंबर 1930 और 155260 पर कॉल करें। cybercrime. gov.in पर ई-मेल के जरिये शिकायत करें।

कोई भी जांच एजेंसी ऐसे नहीं करती है पूछताछ

पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह का कहना कि देश की कोई भी जांच एजेंसी न तो डिजिटल अरेस्ट करती है और न ही इस तरह से पूछताछ करती है कि एक ही कॉल पर एक साथ पुलिस, सीबीआई, सीआईडी, आरबीआई आदि के अधिकारी आ जाएं। यह सब फर्जी होता है। इस तरह से आने वाली कॉल पर बेधड़कर होकर जवाब दें और लोकल पुलिस के साथ घर पर आकर पूछताछ करें। बिना लोकल पुलिस के कोई बातचीत नहीं होगी। यदि कोई किसी अन्य राज्य में मुकदमा दर्ज कराने की बात कहकर डराता है तो उससे डरे नहीं।