Kejriwal’s Letter, Arvind Kejriwal, Mohan Bhagwat: नई दिल्ली। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत को एक महत्वपूर्ण पत्र लिखा है। इस पत्र में केजरीवाल ने देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर चिंता जताते हुए पांच गंभीर मुद्दों पर चर्चा की है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रिटायरमेंट से लेकर भाजपा की मौजूदा नीतियों पर सवाल उठाए हैं और आरएसएस से इन सवालों पर जवाब की उम्मीद की है।
केजरीवाल ने यह पत्र राजनीतिक नेता के रूप में नहीं, बल्कि एक सामान्य नागरिक के तौर पर लिखा है, जिससे यह पत्र और भी गंभीरता से लिया जा सकता है। उन्होंने यह साफ किया है कि उनकी चिंता सिर्फ देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को लेकर है। केजरीवाल ने लिखा, “अगर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इसी दिशा में आगे बढ़ती रही, तो देश और लोकतंत्र का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा।”
लोकतंत्र की रक्षा पर जोर
केजरीवाल ने अपने पत्र की शुरुआत देश में लोकतंत्र के अस्तित्व पर चिंता जताते हुए की। उनका कहना है कि केंद्र सरकार देश की राजनीति को एक खतरनाक दिशा में ले जा रही है, जो लोकतंत्र के लिए हानिकारक साबित हो सकती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लोकतंत्र का अस्तित्व हमेशा के लिए जरूरी है और तिरंगा हमेशा आसमान में गर्व से लहराता रहना चाहिए।
सरकार गिराने के आरोप
अपने दूसरे सवाल में केजरीवाल ने सीधे तौर पर भाजपा पर आरोप लगाए हैं कि वे अन्य दलों के नेताओं को लालच और केंद्रीय एजेंसियों के डर से अपने पक्ष में कर रहे हैं। उन्होंने भागवत से सवाल किया, “क्या बेईमानी करके सत्ता हासिल करना आरएसएस के सिद्धांतों के अनुरूप है?”
भ्रष्ट नेताओं का भाजपा में स्वागत
केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधते हुए कहा कि जिन नेताओं को कभी भाजपा ने भ्रष्ट कहा था, वे अब उसी पार्टी का हिस्सा हैं। उन्होंने भागवत से पूछा, “क्या आपने या आरएसएस ने कभी इस पर आपत्ति जताई है?”
आरएसएस और भाजपा के संबंध
चौथे सवाल में, केजरीवाल ने जेपी नड्डा के बयान का हवाला देते हुए कहा कि अब भाजपा को आरएसएस की जरूरत नहीं है। उन्होंने पूछा, “क्या इस बयान ने आपको और आपके कार्यकर्ताओं को आहत किया?”
मोदी की रिटायरमेंट का सवाल
अंतिम सवाल में केजरीवाल ने 75 साल की उम्र में नेताओं के रिटायरमेंट का मुद्दा उठाया। उन्होंने पूछा, “क्यों मोदी जी के लिए यह नियम लागू नहीं होता, जबकि आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे वरिष्ठ नेता रिटायर हो चुके हैं?”
केजरीवाल ने अपने पत्र में पांच ऐसे सवाल उठाए हैं, जो वर्तमान भारतीय राजनीति और आरएसएस के संबंधों को लेकर गंभीर चर्चा का मुद्दा बन सकते हैं। यह पत्र केवल एक राजनीतिक विवाद नहीं, बल्कि देश की लोकतांत्रिक संरचना को बचाने के लिए उठाया गया कदम प्रतीत होता है। अब देखना यह है कि मोहन भागवत और आरएसएस इन सवालों का क्या जवाब देते हैं।