IMD Weather Update: भीषण गर्मी और लू की मार के बीच जून में थोड़ी बहुत हुई बारिश ने उमस बढ़ा दी है। मौसम विभाग ने कहा है कि उत्तर-पश्चिम भारत में 1901 के बाद से इस साल जून का महीना सबसे गर्म रहा है। वहीं, जुलाई माह में अच्छी बारिश की उम्मीद की जा रही है। मौसम विभाग ने जुलाई में देश के ज्यादातर हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश की संभावना जताई है। दिल्ली में जून के अंतिम दिन अच्छी खासी बारिश हुई, फिर ब्रेक लग गया। उत्तर प्रदेश में भी बारिश तो हुई, लेकिन उमस भरी गर्मी ने पस्त कर दिया है, जबकि पहाड़ी राज्यों में अच्छी बरसात देखने को मिल रही है।
जून महीने का औसत तापमान 31.73 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। मौसम विभाग के मुताबिक, उत्तर-पश्चिम भारत में जून के महीने का औसत अधिकतम तापमान सामान्य से 1.96 डिग्री सेल्सियस अधिक 38.02 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार, औसत न्यूनतम तापमान सामान्य से 1.35 डिग्री सेल्सियस ज्यादा 25.44 डिग्री सेल्सियस रहा। आईएमडी प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि उत्तर-पश्चिम भारत में जून में औसत तापमान 31.73 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 1.65 डिग्री सेल्सियस ज्यादा है और यह साल 1901 के बाद से सबसे ज्यादा दर्ज किया गया है।
पूर्वोत्तर भारत में बारिश कम हुई
आईएमडी चीफ महापात्र ने बताया कि पूर्वोत्तर भारत में जून के महीने में 33 प्रतिशत कम बारिश हुई, जिसकी वजह से देश के उत्तरी और पूर्वी भागों में मानसून की धीमी गति से आगे बढ़ना रहा। उन्होंने बताया कि जून के अंत में सिर्फ एक कम दबाव वाला क्षेत्र बना। आम तौर पर महीने में तीन कम दबाव वाले क्षेत्र बनते हैं। हालांकि, मौसम परिस्थितियां अनुकूल नहीं होने के कारण कम दबाव वाले क्षेत्र नहीं बन सके। आईएमडी प्रमुख ने कहा कि 10 से 19 जून के दौरान पश्चिमी विक्षोभों की मौजूदगी के कारण उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में लंबे समय तक मौसम शुष्क रहा और लू चली।
जुलाई में कैसा रहेगा मानसून?
मौसम विभाग के मुताबिक, पूर्वोत्तर क्षेत्र के कुछ हिस्सों को छोड़कर देश में जुलाई में सामान्य से ज्यादा बारिश हो सकती है। आईएमडी प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि पूरे देश में जुलाई की औसत बारिश सामान्य से ज्यादा होने की संभावना है, जो 28.04 सेमी से 106 प्रतिशत अधिक रह सकती है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर भारत के कई हिस्से- उत्तर-पश्चिम, पूर्व और दक्षिण-पूर्वी प्रायद्वीपीय भारत के कुछ हिस्सों को छोड़कर देश के ज्यादातर हिस्से में सामान्य से ज्यादा बारिश होने की संभावना है।