Today’s History: आज ही के दिन गाया गया था जन-गण-मन, जानें – राष्ट्रगान की रचना कैसे हुई?

फटाफट डेस्क. हम अपने पेज में रोजाना आपको इतिहास से जुड़ी जनाकारी बताते हैं. आज 27 दिसंबर के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं. आज ही के दिन सन 1911 में पहली बार राष्ट्रगान गाया गया था. पहली बार 1911 में गाया गया राष्ट्रगान गीत के रचयिता राष्ट्र कवि रवींद्रनाथ टैगोर हैं. गीत को गाने में 52 सेकंड का समय लगता है.

संयुक्त राष्ट्र महासभा में 1947 में भारतीय प्रतिनिधिमंडल से राष्ट्रगान को लेकर जानकारी मांगी गई थी. तब जन गण मन की रिकॉर्डिंग सौंपी गई थी. ऐसा भी कहा जाता हैं कि ये राष्ट्रगान रवींद्रनाथ टैगोर की लिखी एक कविता से लिया गया था.

राष्ट्रगान के रचयिता राष्ट्रकवि रवींद्रनाथ टैगोर थे, जबकि इसे गाया उनकी भांजी सरला ने था. उन्होंने स्कूल के बच्चों के साथ गीत को बंगाली और हिंदी भाषा में गाया था. ये वही साल था. जब रवींद्रनाथ टैगोर ने इसकी रचना की थी. उन्होंने पहले ये गीत बंगाली भाषा में लिखा था, फिर नेताजी सुभाषचंद्र बोस के अनुरोध पर आबिद अली ने इसका हिंदी और उर्दू में ट्रांसलेशन किया. फिर इसकी अंग्रेजी भाषा में भी रचना की गई थी. राष्ट्रगान सबसे पहले आजाद हिंद सेना का राष्ट्रगान बना था. 1947 में देश के आजाद होने के बाद 24 जनवरी, 1950 में संविधान सभा ने ‘जन गण मन’ को भारत का राष्ट्रगान घोषित किया था.

कविता के वैसे तो 5 पद थे, लेकिन इसके पहले पद को राष्ट्रगान के तौर पर लिया गया. रवींद्रनाथ टैगोर ने 1919 में ये गीत पहली बार आंध्र प्रदेश के बेसेंट थियोसोफिकल कॉलेज में गया था. तभी कॉलेज प्रशासन ने गीत को सवेरे की प्रार्थन के लिए स्वीकार कर लिया.

राष्ट्रगान के लिए नियमों का पालन जरूरी

राष्ट्रगान को गाने में 52 सेकंड का समय लगता है, वहीं इसकी पहली और आखिरी पंक्ति को गाने में 20 सेकंड का समय लगता है. इसे लेकर कुछ नियम भी बनाए गए हैं. जिनका पालन करना जरूरी है. अगर कोई शख्स इन नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है.

आपको ये बात जानकर हैरानी होगी कि भारत पर कब्जे के दौरान 1870 में अंग्रेजों ने अपने गीत ‘गॉड सेव द क्वीन’ को गाना अनिवार्य किया हुआ था. इससे तत्कालीन सरकारी अधिकारी बंकिमचंद्र चटर्जी को ठेस पहुंची और उन्होंने 1876 में इसके विकल्प के तौर पर संस्कृत और बांग्ला भाषा के मिश्रण के साथ ‘वंदे मातरम’ गीत की रचना की थी. शुरुआत में इसके केवल दो पद रचे गए. ये दोनों ही संस्कृत भाषा में थे, फिर देश को आजादी मिलने के बाद इसे राष्ट्रीय गीत का दर्जा दिया गया.

राष्ट्रगान के जुड़ी और भी दिलचस्प बातें

राष्ट्रगान से जुड़ी एक खास बात ये भी है कि उसके बोल और धुन खुद रवींद्रनाथ टैगोर ने आंध्र प्रदेश के मदनपल्ली में तैयार किए थे. अगर कोई राष्ट्रगान के नियमों का पालन नहीं करता है और इसका अपमान करता है, तो उसके खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट टू नेशनल ऑनर एक्ट 1971 की धारा 3 के तहत कार्रवाई की जा सकती है.