नई दिल्ली। सरसों तेल में अब किसी दूसरे खाद्य तेलों की मिलावट करने पर एक अक्टूबर से पूरी तरह रोक लगा दी गई हैं। सरसों का तेल अधिकांश घरों में इस्तेमाल किया जाता हैं। खाद्य नियामक एफएसएसएआई ने इस बारे में आदेश जारी किया है। भारत में किसी भी अन्य खाद्य तेल के साथ सरसों तेल के सम्मिश्रण पर एक अक्टूबर 2020 से पूरी तरह से रोक लगा दी जाएगी।
पत्र में कहा गया है कि ऐसे खाद्य तेल विनिर्माता या प्रसंस्करणकर्ता जिनके पास भी सरसों तेल में सम्मिश्रण के साथ वनस्पति खाद्य तेल उत्पादन का लाइसेंस है। उन्हें निर्देश दिया जाता है कि वह अपना मौजूदा सरसों बीज,सरसों तेल, अथवा अन्य किसी खाद्य तेल के स्टाक को बिना मिलवावट वाले खाद्य तेल के रूप में ही बेचें।
नियम के अनुसार- दो खाद्य तेलों को मिलाने की अनुमति है लेकिन इसमें उपयोग में लाये गये किसी भी खाद्य तेल का अनुपात वजन के लिहाज से 20 प्रतिशत से कम नहीं होना चाहिये। अब भारत सरकार ने सोच विचार के बाद एफएसएसएआई को सरसों में कोई भी दूसरा तेल मिलाने पर रोक लगाने को कहा है। सरकार ने कहा है कि सार्वजनिक हित में घरेलू खपत के लिये शुद्ध सरसों तेल के उत्पादन और बिक्री को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
इस संबंध में एफएसएसएआई ने कहा कि एक मसौदा नियमन पर काम चल रहा है और फिर अंशधारकों से प्रतिक्रिया लेने के बाद नियमों को अंतिम रूप देने में कुछ समय लगेगा। कारोबारियों ने सरकार के इस निर्णय को देश में तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिहाज से सही दिशा में उठाया गया कदम बताया है। उनका कहना है कि इससे सरसों उत्पादक किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य मिलने में मदद मिलेगी।