
फटाफट डेस्क। दिसंबर न सिर्फ साल का आखिरी महीना होता है, बल्कि प्रकृति के लिहाज से भी कई अनोखे बदलाव अपने साथ लाता है। इन्हीं बदलावों में एक है साल का सबसे छोटा दिन, जो इस बार 22 दिसंबर को पड़ रहा है। इस दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक का समय महज 10 घंटे 41 मिनट का रहेगा, जबकि रात 13 घंटे 19 मिनट तक फैली होगी। यही वजह है कि 22 दिसंबर को साल का सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात माना जाता है।
दिन-रात के इस असंतुलन के पीछे पृथ्वी की गति और उसका झुका हुआ अक्ष जिम्मेदार है। पृथ्वी अपने अक्ष पर सीधी नहीं, बल्कि झुकी हुई अवस्था में सूर्य की परिक्रमा करती है। 22 दिसंबर को पृथ्वी ऐसी स्थिति में होती है कि सूर्य की किरणें मकर रेखा पर सीधी पड़ती हैं। इस खगोलीय घटना को विंटर सॉल्सटिस कहा जाता है। ‘सॉल्सटिस’ शब्द लैटिन भाषा से आया है, जिसमें ‘सोल’ का अर्थ सूर्य और ‘सेस्टेयर’ का मतलब ठहरना होता है। यानी वह समय, जब सूर्य मानो एक स्थिति में ठहरा हुआ सा प्रतीत होता है।
इस दिन सूर्य की रोशनी उत्तरी गोलार्द्ध तक कम समय के लिए पहुंच पाती है, इसलिए भारत सहित उत्तरी गोलार्द्ध के देशों में दिन छोटा और रात लंबी हो जाती है। हालांकि यह नियम पूरी दुनिया पर लागू नहीं होता। ठीक इसके उलट, दक्षिणी गोलार्द्ध में इसी दिन सूर्य की रोशनी ज्यादा देर तक रहती है, जिससे वहां दिन लंबे और रातें छोटी होती हैं।
यही कारण है कि 22 दिसंबर के बाद ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, अर्जेंटीना जैसे देशों में गर्मी का असर बढ़ने लगता है, जबकि भारत सहित उत्तरी गोलार्द्ध में ठंड अपने चरम की ओर बढ़ती है। खगोल विज्ञान की यह अद्भुत व्यवस्था हर साल हमें याद दिलाती है कि पृथ्वी और सूर्य का यह संतुलन ही दिन, रात और मौसमों की कहानी लिखता है।




