Super Blue Moon : आज आसमान में दिखेगा अद्द्भुत नजारा, रक्षाबंधन पर सुपर ब्लू मून की चमक होगी बेहद ख़ास, होंगे अद्वितीय खगोलीय चमत्कार

Super Blue Moon, Science News, Astronomy

Super Blue Moon, Super Moon, Blue Moon , Science News, Astronomy : रक्षाबंधन का पर्व इस बार एक विशेष खगोलीय घटना के साथ मनाया जाएगा। आज, 19 अगस्त को, आसमान में एक अद्भुत खगोलीय घटना घटित होने जा रही है। इस दिन पूर्णिमा की रात को सुपर ब्लू मून का अद्वितीय दृश्य देखने को मिलेगा। यह सुपरमून 2024 का सबसे बड़ा और सबसे चमकीला चांद होगा, जो 19 अगस्त की रात और 20 अगस्त की सुबह तक दिखाई देगा। यदि आपके पास दूरबीन या टेलिस्कोप हो तो इस दृश्य का अधिक सटीक और नजदीक अनुभव किया जा सकता है।

Random Image

सुपरमून क्या होता है?

चंद्रमा जब पृथ्वी की परिक्रमा करता है, तो उसकी कक्षा अंडाकार होती है, जिससे कभी वह पृथ्वी के करीब और कभी दूर होता है। जब चंद्रमा पृथ्वी के बेहद करीब होता है, तो इसे सुपरमून कहा जाता है। इस स्थिति में चंद्रमा सामान्य पूर्णिमा की रात के मुकाबले 30 फीसदी तक अधिक चमकीला और 14 फीसदी तक बड़ा दिखाई देता है।

सारिका घारू, राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त विज्ञान प्रसारक, के अनुसार, आज रक्षाबंधन की शाम को पूर्णिमा का चंद्रमा सुपरमून के रूप में दिखाई देगा। यह चंद्रमा पृथ्वी से 3,61,969 किलोमीटर की दूरी पर होगा, जिससे यह और भी बड़ा और चमकीला नजर आएगा। चंद्रमा की इस अद्वितीय स्थिति को देखकर लोग विशेष रूप से प्रभावित होंगे।

ब्लू मून का महत्व

ब्लू मून का नाम केवल रंग से संबंधित नहीं है। दरअसल, ब्लू मून दो प्रकार का होता है: मौसमी और मासिक। मौसमी ब्लू मून तब होता है जब एक मौसम में चार पूर्णिमा होती हैं, जिसमें से तीसरी पूर्णिमा को ब्लू मून कहा जाता है। मासिक ब्लू मून वह होता है जब एक महीने में दो पूर्णिमा होती हैं।

सारिका घारू के अनुसार, इस साल ब्लू मून की घटना इसलिए विशेष है क्योंकि 21 जून से 22 सितंबर तक के खगोलीय सीजन में चार पूर्णिमा हैं, जिनमें से आज की पूर्णिमा तीसरी है। हालांकि, ब्लू मून का रंग सामान्य पूर्णिमा जैसा ही रहेगा, लेकिन इसका नामकरण इस तथ्य के आधार पर किया गया है कि यह तीसरी पूर्णिमा है।

खास जानकारी

सुपरमून का अर्थ तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब आता है। इस स्थिति को पेरिजी कहा जाता है। दूसरी ओर, जब चंद्रमा पृथ्वी से सबसे दूर होता है, तो इसे अपोजी कहते हैं। अपोजी की दूरी लगभग 4,05,500 किलोमीटर होती है, जबकि पेरिजी की दूरी लगभग 3,63,300 किलोमीटर या इससे कम होती है।

इस खगोलीय सीजन में 21 जून, 21 जुलाई, 19 अगस्त और 18 सितंबर को चार पूर्णिमा आ रही हैं। इनमें से 19 अगस्त की पूर्णिमा विशेष है क्योंकि यह सुपरमून के साथ मेल खाती है और इसे ब्लू मून भी कहा जा रहा है।

सुपरमून के दर्शन का महत्व

सुपरमून का यह दृश्य न केवल खगोल विज्ञान प्रेमियों के लिए, बल्कि आम जनता के लिए भी एक अद्वितीय अनुभव होगा। यह पूर्णिमा का चंद्रमा अपने अद्भुत आकार और चमक के साथ रक्षाबंधन की रात को और भी खास बना देगा। लोग इस खास अवसर का लाभ उठाने के लिए दूरबीन और टेलिस्कोप का उपयोग कर सकते हैं और चंद्रमा की इस भव्यता का आनंद ले सकते हैं।