Success Story: दिव्यांगता को मात देकर IAS से पैरालंपिक में सिल्वर तक, पैरालंपिक में रचा इतिहास, सुहास यथिराज की संघर्ष और सफलता की कहानी

Success Story, Suhas Yathiraj, Indian Administrative Service: लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।’ सोहन लाल द्विवेदी की ये प्रसिद्ध पंक्तियाँ आईएएस अधिकारी और पैरालंपिक खिलाड़ी सुहास यथिराज पर पूरी तरह से सटीक बैठती हैं। सुहास ने पेरिस में चल रहे पैरालंपिक खेलों में इतिहास रचते हुए बैडमिंटन के मेंस सिंगल्स एसएल4 कैटेगरी में सिल्वर मेडल जीता है। इस उपलब्धि के साथ वह पैरालंपिक में लगातार दो मेडल जीतने वाले भारत के पहले बैडमिंटन खिलाड़ी बन गए हैं।

संघर्ष से सफलता की ओर

सुहास यथिराज की जिंदगी संघर्ष की एक अद्वितीय मिसाल है। जन्म से दिव्यांग होते हुए भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी। कर्नाटक के शिमोगा में जन्मे सुहास का पूरा नाम सुहास लालिनाकेरे यथिराज है। जन्म से ही उनके पैर में दिक्कत थी, लेकिन उन्होंने अपनी शारीरिक विकलांगता को कभी खुद पर हावी नहीं होने दिया। चाहे वह शिक्षा हो या खेल, सुहास ने हर क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल की। पहले उन्होंने यूपीएससी परीक्षा पास कर आईएएस अधिकारी के रूप में सेवा दी, और अब बैडमिंटन खिलाड़ी के रूप में देश का नाम रोशन कर रहे हैं।

शिक्षा की पृष्ठभूमि

सुहास की प्रारंभिक शिक्षा उनके गांव में हुई। बाद में उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए सूरतकल शहर का रुख किया। उन्होंने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान कर्नाटक (NITK) से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की, जो देश के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थानों में से एक है।

पिता की मृत्यु और जीवन में नया मोड़

साल 2005 में, उनके पिता की मृत्यु ने उनकी जिंदगी को नया मोड़ दिया। पिता की इस अप्रत्याशित मौत ने उन्हें भीतर से तोड़ दिया, लेकिन इस घटना ने उनके जीवन का उद्देश्य बदल दिया। उन्होंने ठान लिया कि उन्हें भी सरकारी नौकरी करनी है और सिविल सर्विस में शामिल होना है। इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू की और 2007 में आईएएस अधिकारी बने। उन्हें उत्तर प्रदेश कैडर मिला और तब से वह अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

प्रशासनिक यात्रा

सुहास यथिराज ने अपनी प्रशासनिक सेवा की शुरुआत आजमगढ़ में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के रूप में की। इसके बाद उन्होंने मथुरा, महाराजगंज, हाथरस, सोनभद्र, जौनपुर, प्रयागराज और गौतम बुद्ध नगर में जिला अधिकारी (डीएम) के रूप में अपनी सेवाएं दी हैं।

पत्नी भी प्रशासनिक अधिकारी

सुहास ने 2008 में रितु सुहास से शादी की, जो 2004 बैच की पीसीएस अधिकारी हैं और वर्तमान में गाजियाबाद में एडीएम (प्रशासन) के पद पर तैनात हैं। रितु सुहास अपने प्रशासनिक कार्यों के साथ-साथ मॉडलिंग में भी नाम कमा चुकी हैं। उन्होंने 2019 में मिसेज इंडिया का खिताब जीता था। लखनऊ विकास प्राधिकरण में संयुक्त सचिव रहते हुए उन्होंने गैंगस्टर मुख्तार अंसारी के अवैध निर्माणों पर कार्रवाई करके सुर्खियाँ बटोरी थीं।

सुहास का संतुलन

सुहास यथिराज न सिर्फ एक सफल प्रशासनिक अधिकारी हैं, बल्कि एक उच्च कोटि के एथलीट भी हैं। पैरालंपिक में उनके द्वारा जीते गए मेडल्स इस बात का प्रमाण हैं कि अगर इच्छाशक्ति हो, तो कोई भी बाधा आपको सफलता पाने से रोक नहीं सकती। उनकी इस सफलता ने न केवल देश का मान बढ़ाया है, बल्कि दिव्यांगजनों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत भी बनी है।