फटाफट डेस्क. पूरा प्रदेश 29 मई को शोक में डूब गया. वजह थी छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी का निधन. 74 साल की उम्र में उन्होंने 29 मई दोपहर 3:30 बजे अंतिम सांस ली. पिछले 20 दिनों से जोगी का रायपुर के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था. 9 मई को अजीत जोगी को कार्डियक अरेस्ट आया था. जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया. इसके बाद जोगी कोमा में थे. शुक्रवार अचानक उन्हें फिर एक कार्डियक अरेस्ट आया जिसके कुछ ही घंटे बाद उनके निधन की खबर सामने आई.
प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री को श्रद्धांजलि देते हुए उनके जीवन पर प्रकाश डालते हैं..
बिलासपुर के पेंड्रा में जन्मे अजीत प्रमोद कुमार जोगी का जन्म 29 अप्रैल 1946 में हुआ. जोगी एक साधारण परिवार में जन्मे थे. बचपन से ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. इस वजह से जोगी को गुदड़ी का लाल भी कहा जाता था 1967 में उन्होंने मौलाना आजाद कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी भोपाल से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली. गोल्ड मेडलिस्ट रहे कॉलेज के दिनों में छात्रसंघ अध्यक्ष भी रहे. रायपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में जोगी ने बतौर व्याख्याता के रूप में काम भी किया.
नवंबर 2000 को नवीनतम राज्य छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में जोगी ने शपथ ली. 2000 से 2003 तक जोगी मुख्यमंत्री रहे. 2003 के पहले विधानसभा में जो कि मरवाही से विधायक रहे. 2004 में 14 वीं लोकसभा में जोगी महासमुंद से सांसद चुने गए. 2008 में पुनः मरवाही क्षेत्र से विधान सभा सदस्य बने 2009 में फिर से जोगी पुनः महासमुंद से सांसद बने 2014 में वे अपनी सीट बरकरार रखने में असफल रहे. जिसके बाद 2016 में जोगी ने छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस नाम से एक नए राजनीतिक संगठन की स्थापना की.
आपको जोगी के ढाई घंटों में कलेक्टर से नेता बनने की कहानी बताते हैं….
जब जोगी इंदौर कलेक्टर थे तब एक दिन ग्रामीण इलाके में इंदौर के लिए गए थे. तब रात को घर लौटे तो पत्नी रेणु जोगी ने बताया कि प्रधानमंत्री कार्यालय से फोन आया था पीएम राजीव गांधी बात करना चाहते थे. जोगी ने सोचा सोचा पीएम क्यों फोन करने लगे जिसके बाद उन्होंने पीएम ऑफिस फोन किया. राजीव गांधी के पीए जार्ज ने फोन उठाया और कहा कमाल करते हो यार देश का प्रधानमंत्री तुमसे बात करना चाहता है और तुम गांव घूम रहे हो. इसके बाद पीए जॉर्ज ने कहा पीएम चाहते हैं तुम कलेक्टर पद से इस्तीफा दे दो पीएम चाहते हैं कि तुम राज्यसभा के लिए एमपी से नामांकन भरो उनसे कहा गया कि रात 12:00 बजे तक दिग्विजय सिंह उन्हें लेने इंदौर पहुंच जाएंगे और इस्तीफे की सारी औपचारिकता सुबह 11:00 बजे तक पूरी हो जाएगी. उनके पास केवल ढाई घंटों का समय था डिसाइड करने के लिए इसके बाद उन्होंने राजनीति में आने का निर्णय किया यदि अजीत जोगी की पूरी कहानी.