कोलकाता। बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी का गुरुवार को कोलकाता के एक सरकारी अस्पताल में निधन हो गया। 75 वर्षीय मुखर्जी लंबे समय से बीमार थे। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद उनके स्वास्थ्य का जायजा लेने एसएसकेएम अस्पताल गई थीं। उन्होंने ही गुरुवार देर शाम अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेता के निधन के बारे में जानकारी दी।
सुब्रत मुखर्जी के निधन को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ी क्षति बताया है। बोलीं, ‘मैं यकीन नहीं कर पा रही हूं, कि वो अब हमारे बीच नहीं हैं। वह पार्टी के एक समर्पित नेता थे। यह मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है।’ मुखर्जी के संबंध में अस्पताल के सूत्रों ने बताया, कि उन्हें सांस लेने में गंभीर समस्या थी। पिछले हफ्ते उन्हें आईसीयू (ICU) में भर्ती किया गया था।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, कि सुब्रत मुखर्जी के पार्थिव शरीर को लोगों के दर्शन के लिए शुक्रवार (05 नवंबर, 2021) की सुबह कोलकाता के रवींद्र सदन में रखा जाएगा। टीएमसी के जानकार बताते हैं कि सुब्रत मुखर्जी सीएम ममता बनर्जी के काफी करीबी नेताओं में से एक थे। सुब्रत के कुशल नेतृत्व में पंचायत विभाग ने एक विशिष्ट मुकाम हासिल किया। बता दें, कि सुब्रत मुखर्जी एक समय कोलकाता के मेयर (महापौर) भी रह चुके थे। बंगाल की राजनीति में उनकी खास पहचान रही है। मुखर्जी, पश्चिम बंगाल सरकार में पंचायतों और ग्रामीण विकास से जुड़े थे।
ख़बरों के अनुसार, सुब्रत बनर्जी को सांस लेने में तकलीफ थी। साथ ही वो दिल की बीमारी से भी पीड़ित थे। इसके अलावा बंगाल सरकार में मंत्री सुब्रत मुखर्जी को डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर की भी परेशान थी। अस्पताल सूत्रों के हवाले से बताया गया कि सुब्रत मुखर्जी को सांस लेने में गंभीर परेशानी हो रही थी, जिसके बाद पिछले हफ्ते उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया था। बालीगंज निर्वाचन क्षेत्र से चुनकर आते थे ममता सरकार के मंत्री सुब्रत मुखर्जी इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में बालीगंज निर्वाचन क्षेत्र से चुनकर आए थे। पहली बार साल 1971 और फिर 1972 में वह बालीगंज विधानसभा क्षेत्र से जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। वर्ष 1972 में मुखर्जी को सिद्धार्थ शंकर रे की सरकार में सूचना और सांस्कृतिक मामलों के राज्य मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में राज्य की सरकारों में राज्य मंत्री के साथ-साथ अतिरिक्त प्रभार भी संभाला था।