नई दिल्ली: सूचना प्रौद्योगिकी (IT) मंत्रालय ने वाट्सएप से मंगलवार को सेवा में आई रुकावट का कारण पूछा है। इस मामले में 7 दिन में जवाब मांगा है। मेटा की स्वामित्व वाले मैसेजिंग प्लेटफार्म की सेवा लगभग दो घंटे तक ठप रही थी। इसके चलते यूजर्स को वाट्सएप मैसेज भेजने और देखने में दिक्कत आई। सूत्रों ने बताया कि आइटी मंत्रालय ने कंपनी से सेवा में आई इस रुकावट का कारण बताने कहा है।केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि ‘हमारे पास देश भर में करोड़ों वाट्सएप यूजर्स हैं और हमने कंपनी से आउटेज के बारे में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।’
घटनाक्रम से वाकिफ सूत्रों ने बताया कि व्हाट्सएप की मूल कंपनी मेटा को अपनी रिपोर्ट भारत सरकार को सौंपने के लिए एक हफ्ते का समय दिया गया है। इस खबर की पुष्टि के लिए वाट्सएप ने ई-मेल का जवाब नहीं दिया। मंगलवार देर रात वाट्सएप ने सेवा ठप होने की पीछे तकनीकी खामी को कारण बताया था, जिसे कंपनी ने बाद में सुधार लिया था।
कंपनी ने नहीं दिया कोई जवाब
सूत्रों ने बताया कि आईटी मंत्रालय ने कंपनी से वाट्सएप के बंद होने के कारणों को साझा करने को कहा है। इस संबंध में वाट्सएप को भेजे गए ईमेल का खबर बनाये जाने तक कंपनी ने कोई जवाब नहीं दिया।
29,000 यूजर्स ने व्यवधान की शिकायत की
वाट्सएप ने मंगलवार देर रात जारी बयान में कहा था कि तकनीकी खामी के कारण सेवाएं बाधित हुई हैं। सेवाओं में बाधाओं की घटनाओं पर निगरानी रखने वाले डाउनडेटेक्टर के अनुसार, वाट्सएप कई क्षेत्रों में कई उपयोगकर्ताओं के लिए काम नहीं कर रहा था। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और कोलकाता समेत प्रमुख शहरों में वाट्सएप यूजर्स सेवाओं में व्यवधान से प्रभावित थे। डाउनडेटेक्टर ने बताया कि करीब 29,000 उपयोगकर्ताओं ने व्यवधान की शिकायत की है। इसके तुरंत बाद ट्विटर पर #Whatsappdown ट्रेंड करने लगा और कई यूजर्स ने इस मुद्दे पर मजेदार मीम्स शेयर करने के लिए माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफार्म टि्वटर का सहारा लिया।
कई देशों में डाउन हुई थी सर्विस
वाट्सएप केवल भारत ही नहीं बल्कि ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका, सिंगापुर, तुर्की, इटली में भी ठप रहा था। वहां भी दो घंटे के करीब तमाम सर्विस ठप रही। वाट्सएप का इस्तेमाल 2 अरब से ज्यादा लोग करते हैं। इसकी वजह से ये है कि इतनी बड़ी सर्विस के लिए डेटा को कई जगहों पर होस्ट किया जाता है। पूरी दुनियाभर के सर्वर पर अलग-अलग देश के कानून के हिसाब से डेटा स्टोर होता है।