नई दिल्ली. ओडिशा ट्रेन हादसे में पुलिस ने एक एफआईआर दर्ज की है। लापरवाही से मौतें और यात्रियों के जीवन को खतरे में डालने जैसे आरोप लगाए गए हैं। हादसे में 275 यात्रियों ने जाव गंवाई। एफआईआर में किसी आरोपी का नाम नहीं है। पुलिस ने बताया कि जांच के दौरान आरोपियों का पता चलेगा और उसी हिसाब से उनके नाम शामिल किए जाएंगे। रेलवे बोर्ड ने ट्रेन हादसे की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की है। पुलिस की शुरुआती जांच-पड़ताल के बाद मामले में आगे की जांच सीबीआई करेगी।
रेलवे को आशंका है कि इलेक्ट्रोनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम के साथ हो सकता है कि छेड़छाड़ किया गया हो। इस बीच सबसे ज्यादा सवाल किसी चीज को लेकर उठ रहे हैं तो वो है ‘कवच’ जो बकौल रेल मंत्री किसी भी ट्रेन हादसे को रोक सकता है। बताया जाता है कि ये ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम ‘कवच’ बालासोर वाले रूट पर नहीं लगाए गए थे। रेलवे ने भी सफाई दी कि अगर इस रूट पर कवच सिस्टम भी लगा होता तो इस तरह का रेल दुर्घटना नहीं रुक सकता था।
मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि सीबीआई की टीम घटनास्थल पर कल यानी मंगलवार को पहुंचेगी। सीबीआई टीम यहां मामले की जांच रेलवे पुलिस से अपने हाथ में लेगी। सीबीआई मामले की जांच आगे बढ़ाने के लिए कमिशन ऑफ रेलवे सेफ्टी की मदद लेगी। इस बीच कई सवाल खड़े हो रहे हैं। हालांकि, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दुर्घटनास्थल पर ही मीडिया से बातचीत में बताया कि कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी ने अपनी जांच पूरी कर ली है।
इस शुरुआती जांच के आधार पर रेल मंत्री ने बताया कि हो सकता है कि घटना इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में गड़बड़ी की वजह से हुई। इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिग्नलिंग सिस्टम को ज्यादातर मामलों में दूर से नियंत्रित किया जाता है। हालांकि, इसके नियंत्रण की जिम्मेदारी रेलवे स्टेशन पर सिग्नल मैन, सेक्शन कंट्रोल ऑफिसर्स, सेक्शन कंट्रोल हेड्स और सीनियर मास्टर्स के हाथों में होती है। इस हादसे में कोरोमंडल एक्सप्रेस के पायल की हालत गंभीर बनी हुई है। रेलवे बोर्ड ने लोको पायलट के हवाले से बताया कि उन्हें ग्रीन सिग्नल मिले थे, और इसलिए वह ट्रेन को पूरी गति के साथ लेकर आगे बढ़े।