ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक भैंस के मरने के बाद पूरा गांव परेशान है। पागल कुत्ते के काटने से हुई भैंस की मौत के बार ग्रामीणों को रेबीज से जान का खतरा सता रहा है। बड़ी संख्या में ग्रामीण रेबीज का इंजेक्शन लगवाने अस्पताल पहुंच रहे हैं। मामला इतना गंभीर हो गया कि ग्रामीणों के लिए डॉक्टरों को सलाह जारी करनी पड़ी। आइये आपको बताते हैं डॉक्टरों ने ग्रामीणों से क्या कहा?
मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के एक गांव में भैंस और उसके बच्चे की मौत पागल कुत्ते के काटने के कारण हो गई। इस खबर के गांव में पहुंचते ही वहां के निवासी डर के मारे अस्पताल में रेबीज रोधी इंजेक्शन लगवाने पहुंच गए, क्योंकि इसी भैंस के दूध से बनाये गये छांछ का इस्तेमाल एक मृत्यु भोज में किया गया था।
इस भोज में पूरे गांव ने खाना खाया था। करीब 25 ग्रामीणों को यह इंजेक्शन लगया गया है, लेकिन बाद में प्रशासनिक अधिकारियों और चिकित्सकों ने ग्रामीणों को समझाया कि दूध से रेबीज नहीं होता। इसके बाद ही गांव वाले माने।
प्रशासन एवं चिकित्सकों की इस समझाइश के बाद रविवार को इस गांव का कोई भी व्यक्ति रेबीज रोधी इंजेक्शन लगवाने के लिए नहीं आया। इस बारे में डबरा के सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) प्रदीप शर्मा ने रविवार को बताया कि, यह घटना ग्वालियर जिले की डबरा तहसील के चांदपुरा गांव में तीन दिन पहले की है।
इस गांव के एक घर में मृत्यु भोज था, जिसमें पूरे गांव के लोग (करीब 700 लोग) भोजन करने पहुंचे थे। शर्मा ने कहा कि इस भोज में जिस दूध के छाछ से रायता बनाया गया था, वह पास के गांव पाली, जो दतिया जिले में है। शर्मा ने बताया कि बाद में खबर आई कि जिस भैंस के दूध का रायता बना है, उसकी व उसके बच्चे की मौत पागल कुत्ते के काटने से हो गई।
यह सुनकर ग्रामीण परेशान हो गए और तुरंत सभी लोग डबरा के सिविल अस्पताल पहुंच गए। ये ग्रामीण चिकित्सक से रेबीज रोधी इंजेक्शन लगवाने लगे। करीब 25 लोगों को इंजेक्शन लग गया तब चिकित्सकों ने ग्रामीणों से जानकारी ली, इसके बाद दूध व भैंस की घटना सामने आईं।
शर्मा ने कहा कि ग्रामीणों को पहले चिकित्सकों ने समझाया। जब वे नहीं माने तो प्रशासनिक अधिकारी पहुंचे और विशेषज्ञ चिकित्सकों की एक टीम ग्वालियर से डबरा आई। सभी ने ग्रामीणों को समझाया कि दूध पीने या रायता पीने से रेबीज नहीं होता। इसके बाद ग्रामीण मान गए।