रायपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह प्रांत संघचालक डॉ पूर्णेन्दु सक्सैना पर महिला डॉक्टर शानू मशीह ने आरोप लगाते हुए फर्जी FIR करवाने की बात कही है। मसीह ने कहा कि वे बड़े राजनैतिक साजिश का शिकार हुई है व भारी दबाव के चलते उन पर गंभीर धाराओं के तहत झूठे व फ़र्ज़ी अपराध दर्ज किए गए थे।
आपको बता दें कि अधिवक्ता महेंद्र सिंह सिसोदिया ने आज प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए हुए पूरे मामले को स्पष्ट किया है। अधिवक्ता सिसोदिया ने बताया कि इस पूरे मामले को फर्जी तरीके से डॉ. शानू मसीह के खिलाफ बिना किसी सबूत के कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया गया। जहां कोर्ट ने भी अब महिला डॉक्टर को निर्दोष करार दिया है। मामला वर्ष 2018 का है जब डॉ.पूर्णेन्दु सक्सेना ने महिला डॉक्टर पर अपना रजिस्ट्रेशन नंबर का उपयोग करने का आरोप लगाया था। जिस पर कोतवाली थाना पुलिस ने महिला डॉक्टर शानू के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 467,468,471 सहित मेडिकल एक्ट के पंजीयन धारा 24 के तहत धोखाधड़ी करते हुए फर्जी दस्तावेज बनाकर मेडिकल प्रैक्टिस करने के आरोप में अपराध पंजीबद्ध किया था।
अधिवक्ता सिसोदिया ने बताया कि पुलिस ने इस मामले में कोर्ट के समक्ष किसी भी प्रकार का सबूत या दस्तावेज पेश नहीं किया, यही बात न्यायालय ने भी अपने फैसले में लिखी है जिसके बाद अब ट्रायल कोर्ट ने डॉ शानू मसीह को निर्दोष करार देते हुए रिहा कर दिया है। वही मीडिया प्रतिनिधियों से चर्चा करते हुए डॉक्टर शानू ने कहा कि 18 महीने उन्हें निर्दोष होने की सजा मिलती रहे, जेल में भी उन्हें अलग-अलग तरीके से प्रताड़ित किया गया।
प्रेस वार्ता में डॉ.शानू मसीह ने कहा कि भविष्य में भी उन्हें एवं उनके परिवार को किसी साजिश के तहत बेवजह फंसाने की कोशिश की जा सकती है व उन्हें डॉ. पूर्णेन्दु सक्सेना से जान का खतरा भी है। शानू ने बताया कि वहां एक समाज सेविका है व टिकरापारा के चांदनी चौक पर एक दुकान किराए से लेकर मानवाधिकार से संबंधित कार्य करती थी जिसका भी कथन दुकान मालिक ने कोर्ट के समक्ष दिया है व उक्त स्थल पर उन्हें किसी ने भी चिकित्सा व्यवसाय करते नही देखा था। फ़र्ज़ी विजिटिंग कार्ड एवं लेटर पैड भी कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया गया। जिसमें कोर्ट ने उक्त सामानो से आरोप की सिद्धि नही होना बताया।
मसीह ने बताया कि पुलिस ने खुद कोर्ट को यह बताया कि उनके किराए के दुकान से पुलिस को किसी भी प्रकार का चिकित्सा उपकरण नही पाया गया। और अब कोर्ट ने कहा है कि मसीह पर उन्हें बिल्कुल भी संदेह नही है तथा साक्ष्य के अभाव में मसीह को दोष मुक्त किया जाता है।डॉ.शानू ने पूर्णेन्दु सक्सेना पर आरोप लगाते हुए उनके जीवन के 18 महीने खराब कर समाज में उनकी छवि को धूमिल करने के साथ-साथ मान-प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचाने का भी आरोप लगाया है जिस पर अब डॉ.शानू ने सक्सेना के खिलाफ कोर्ट में मानहानि का भी केस दायर किया है। शानू के वकील सिसोदिया ने कहा कि अब उन्होंने राज्य सरकार से इस पूरे मामले की जांच की मांग करते हुए साजिश रचने वाले दोषियों को सज़ा दिलवाने कहा है।