Hindu Man and Muslim Girl Marriage: धर्म और जाति के आधार पर सामाज में दीवार खड़ी करने वाले ठेकेदारों के लिए मुंबई की ये घटना एक सबक है। यहां एक मुस्लिम लड़की और हिंदू लड़के के बीच प्यार होता है। फिर वे दोनों शादी करने की योजना बनाते हैं लेकिन, परिवार सहित धर्म के ठेकेदारों को इन दोनों की मोहब्बत रास नहीं आती है। ये उनके दुश्मन बन जाते हैं, फिर उनके लिए बंबई हाईकोर्ट फरिश्ता बनता है। फिर आगे….
दरअसल, बंबई हाई कोर्ट ने गुरुवार को राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह एक अंतरधार्मिक कपल को तुरंत सुरक्षा देने के लिए एक सुरक्षित घर की व्यवस्था करे। इस कपल ने बुधवार को अदालत में याचिका दायर की थी, क्योंकि उन्हें अपने जीवन को खतरा महसूस हो रहा था। राज्य ने हाईकोर्ट को आश्वासन दिया कि यह आदेश शाम 6 बजे तक पूरा कर दिया जाएगा। इसके बाद याचिकाकर्ताओं को सुरक्षित घर में भेज दिया गया। मुंबई शहर में एक अंतरधार्मिक कपल को सुरक्षा देने का यह पहला मामला है। राज्य के गृह विभाग ने तीन दिन पहले ऐसे कपल की सुरक्षा के लिए एक एसओपी और सुरक्षित घर स्थापित करने को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए थे।
इस मामले में लड़का पुणे का है। वह हिंदू समुदाय से है। महिला मुंबई की है और वह मुस्लिम धर्म को मानती है। दोनों 23 साल के हैं। वे 2019 में मुंबई के एक कॉलेज में एक-दूसरे से मिले थे और फिर दोनों के बीच प्यार हो गया। दोनों के परिवारों ने उनके रिश्ते का विरोध किया, इसलिए उन्होंने परिवारों से खतरे के चलते मुंबई में सुरक्षित घर की मांग की।
लड़की ने छोड़ी नौकरी
कपल स्पेशल मैरेज एक्ट के तहत शादी करना चाहता था और 14 दिसंबर को आवेदन दिया था। उनके वकील मिहिर देसाई और लारा जैसानी ने बताया कि लड़की ने 10 दिसंबर को अपने परिवार के विरोध के कारण अपनी नौकरी छोड़ दी और लड़के को सोमवार से ऑफिस पर पहुंचना है। इसलिए उन्होंने पुलिस सुरक्षा की मांग की थी।
हाईकोर्ट के जस्टिस रेवती मोहिते देरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की डिवीजन बेंच ने वरिष्ठ वकील देसाई और अतिरिक्त लोक अभियोजक प्राजक्ता शिंदे की दलीलें सुनने के बाद निर्देश दिया कि संबंधित पुलिस स्टेशन या ठाणे पुलिस आयुक्त 48 घंटे के भीतर लड़के के आवेदन पर फैसला लें। जब अदालत को बताया गया कि सेफ हाउस के बाहर पुलिस की तैनाती की गई है तो कोर्ट ने आदेश दिया कि हम निर्देश देते हैं कि संबंधित पुलिस स्टेशन इस क्षेत्र में अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करे, जब तक याचिकाकर्ता सेफ हाउस में रहें। यह सुरक्षा गुरुवार से उपलब्ध कराई जाए। शिंदे ने कहा कि पुलिस अदालत के आदेशों का पालन करेगी। मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी को है।
सोमवार को राज्य सरकार ने अंतरजातीय और अंतरधार्मिक जोड़ों की सुरक्षा के लिए सुरक्षित आश्रय स्थापित करने का नोटिफिकेशन जारी किया था, जो सुप्रीम कोर्ट और बंबई हाईकोर्ट के आदेशों के बाद आया है। हाईकोर्ट ने गुरुवार को इस नोटिफिकेशन को रिकॉर्ड में लिया और कहा कि जिन जिलों में सुरक्षित आश्रय हैं, उनका उल्लेख किया जाना चाहिए, लेकिन इन घरों की सूची ऑनलाइन प्रकाशित नहीं की जानी चाहिए।
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