पलवल/हरियाणा. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (Department of Agriculture and Farmers Welfare) की जल सरंक्षण के लिए चलाई जा रही महत्वाकांक्षी योजना मेरा पानी मेरी विरासत के अंतर्गत किसान जल का बचाव करते हुए मोटे अनाज व दलहन, तिलहन के साथ-साथ खेत खाली छोड़ने पर भी हरियाणा सरकार की ओर से 7 हजार रुपये अनुदान राशि किसानों को देने का प्रावधान है।
उपायुक्त नेहा सिंह ने बताया कि इस योजना से जुड़ने के लिए किसानों को जागरूक होने की आवश्यकता है वे मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर अपना पंजीकरण अवश्य करावाएं, क्योंकि इसी पंजीकरण के माध्यम से किसान मेरा पानी मेरी विरासत योजना में स्वंय को जोड़ सकता है। जैसा कि विदित है कि जिला पलवल भूमिगत जल भंडार में रेड जोन में है। इसलिए किसान धान जैसी अधिक पानी वाली फसलों के स्थान पर ज्वार, बाजरा, कपास जैसी फसलों का उत्पादन करें, क्योकि इन फसलों में पानी की बहुत कम आवश्यकता होती है और ऐसे किसानों को सरकार अनुदान के रूप में 7 हजार रुपये का भुगतान फसल के सत्यापन उपरांत कृषि विभाग के माध्यम से कराएगी। मेरा पानी मेरी विरासत योजना में पंजीकरण कराने के लिए अंतिम तिथि 31 जुलाई 2023 निर्धारित की गई है। इसलिए किसान जल्द से जल्द अपनी फसल को बदलते हुए कृषि विभाग के पोर्टल पर अपना पंजीकरण करवा ले।
कृषि उपनिदेशक डॉ. पवन शर्मा ने बताया कि जिला पलवल का मेरा पानी मेरी विरासत के लिए 4 हजार एकड का लक्ष्य निर्धारित है। इसलिए किसानों से आह्वान है कि किसान धान की फसल के स्थान पर योजना के अनुरूप कपास, ज्वार, चरी-चारा, मूंग, अरहर, तिल जैसी फसलों का उत्पादन करें। यदि किसान धान वाले खेतों को खाली भी छोड़ता है तो उसे मेरा पानी मेरी विरासत योजना का लाभ प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि मेरी फसल मेरा ब्यौरा पर पिछले वर्ष धान के पंजीकृत किसानों को ही लाभान्वित किया जाएगा। इसके लिए जिला के सभी किसानों को हर सत्र में अपनी फसल का पंजीकरण मेरी फसल मेरा ब्यौरा पर अवश्य करवाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी किसान आगामी 31 जुलाई 2023 से पूर्व ही अपना पंजीकरण जरूर करवा लें, जिससे कि कृषि विभाग जल्द से जल्द उनकी फसल का सत्यापन कर समय पर किसानों को लाभ दिलाने में सहयोग कर सके।