कोलकाता। सरकारी अस्पतालों में मरीजों को भर्ती करने और उसके इलाज से पहले कागजी कार्यवाही की वजह से कई मरीजों की जान चली जाती है। ऐसे में पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने डॉक्टरों से कागजी कार्यवाही से पहले अस्पताल में मरीज को भर्ती कर उसका उपचार करने को कहा है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सरकारी एसएसकेएम (स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान और सेठ सुखलाल करनानी मेमोरियल) अस्पताल में दी जाने वाली चिकित्सा सेवाओं पर असंतोष जताया और चिकित्सकों से मरीज को भर्ती करने की कागजी प्रक्रिया में समय गंवाने के बजाए पहले उनका इलाज करने का आग्रह किया।
टीएमसी सुप्रीमो और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बृहस्पतिवार शाम नई दिल्ली से लौटने के बाद सीधे अस्पताल गईं। उन्होंने चिकित्सकों द्वारा मरीजों को दूसरे अस्पतालों में रेफर करने के चलन पर भी आपत्ति जताई. मुख्यमंत्री बनर्जी ने कहा, ‘विशेष रूप से (एसएसकेएम जैसे अस्पतालों के) ट्रॉमा केयर सेंटर में पहले (मरीजों का) इलाज करें और बाद में प्रक्रिया शुरू करें।’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘इसके अलावा यदि गर्भवती महिलाओं जैसे मरीजों को अन्य अस्पतालों में रेफर किया जाता है, तो उनकी दूसरे अस्पताल ले जाते समय लंबी यात्रा के दौरान मौत हो सकती है।’ उन्होंने आईपीजीएमईआर एसएसकेएम अस्पताल में विभिन्न परियोजनाओं के शिलान्यास समारोह में यह कहा।
ममता बनर्जी ने अस्पताल के अधिकारियों से सेवाओं में सुधार के लिए और कर्मचारियों को नियुक्त करने को कहा तथा उन्हें रात की ड्यूटी के लिए वरिष्ठ चिकित्सकों की उपलब्धता की व्यवस्था करने की सलाह दी। माना जा रहा है कि ममता बनर्जी के इस आदेश से सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था में कुछ सुधार होगा और कागजी कार्यवाही की वजह से किसी मरीज की जान नहीं जाएगी।