इलेक्शन खत्म होने के बाद चुनाव आयोग क्या करता है, उसके पास कौन से काम होते हैं? जान लीजिए

Election Commission of India: दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक चुनाव यानी भारत के लोकसभा चुनाव 2024 का आयोजन संपन्न हो चुका है। करीब 1.5 महीने में देश के विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की कुल 543 सीटों पर चुनाव आयोजित हुए हैं। अब 4 जून को चुनाव आयोग मतगणना के बाद परिणाम की घोषणाी करेगा। अब हमारे मन में एक और सवाल है कि इतने बड़े इलेक्शन के आयोजन के बाद चुनाव के पास क्या काम होंगे। आपको बता दें कि निर्वाचन आयोग के पास केवल चुनाव आयोजित करवाने की जिम्मेदारी नहीं होती है। इसके अलावा भी कई काम ऐसे हैं जो आयोग करवाता है। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ कार्यों के बारे में हमारे इस एक्सप्लेनर के माध्यम से।

राजनीतिक दलों में विवाद का निपटारा

चुनाव आयोग का एक प्रमुख कार्य किसी राजनीतिक दल में विवाद को सुलझाना भी होता है। किसी पार्टी पर किसका हक होगा ये काम भी चुनाव आयोग देखता है। हाल ही में लोक जनशक्ति पार्टीॉ,  शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में टूट हुई थी। इसके बाद चुनाव आयोग ने ही इस बात का फैसला किया था कि असली पार्टी का हकदार कौन सा गुट है। विवाद का हल निकालते वक्त आयोग सभी दस्तावेजों, पार्टी के नेताओं आदि के समर्थन आदि का ध्यान रखता है।

राजनीतिक दलों को नाम, दर्जा और चिह्न आवंटित करना

चुनाव आयोग का कार्य विभिन्न राजनीतिक दलों को नाम भी आवंटित करता। जैसे शिवसेना का हक एकनाथ शिंदे गुट को मिला तो वहीं, उद्धव गुट को शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नाम मिला। इसके अलावा आयोग राजनीतिक दलों को आधिकारिक चुनाव चिन्ह भी प्रदान करता है। आयोग के पास चुनाव चिह्न को फ्रीज करने का भी अधिकार होता है। वहीं, कौन सा दल राष्ट्रीय है और कौन सा दल क्षेत्रीय, ये फैसला भी चुनाव आयोग दलों को मिले वोट प्रतिशत के आधार पर करता है।

वोटर आईडी कार्ड जारी करना, स्थान बदलना

चुनाव आयोग एक और महत्वपूर्ण कार्य देखता है जो भारत के निर्वाचकों को मतदाता पहचान पत्र जारी करवाना है। इसके अलावा कोई मतदाता किसी एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाता है तो उसका मतदाता लिस्ट में उसका नाम ट्रांसफर करना भी चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है। इसके अलावा आयोग किसी व्यक्ति के निधन पर उसका नाम मतदाता लिस्ट से हटाता भी है।

नए कानूनों पर विचार विमर्श

निर्वाचन आयोग राजनीतिक दलों की सहमति से तैयार की गई आदर्श आचार संहिता का उनके द्वारा कड़ाई से पालन करवाकर निर्वाचन मैदान में राजनीतिक दलों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करता है। आयोग राजनीतिक दलों के साथ समय-समय पर चुनाव के संचालन संबंधी मामलों एवं आदर्श आचार संहिता के अनुपालन और आयोग द्वारा निर्वाचन संबंधी मामलों पर प्रस्तावित नए उपायों को लागू करने पर विचार विमर्श करता है।

परामर्श और कार्रवाई का अधिकार

चुनाव आयोग की वेबसाइट पर बताया गया है कि आयोग संसद एवं राज्य विधान मंडलों के आसीन सदस्यों की निर्वाचन पश्‍चात निरर्हता के मामले में परामर्शी अधिकार रखता है। चुनाव में भ्रष्टाचार के दोषी पाए गए लोगों को अयोग्य घोषित करने के मामले में भी चुनाव आयोग परामर्श देता है। जो प्रत्याशी निर्धारित समय से अपने चुनाव खर्चे के लेखे दाखिल करने में असफल हो जाते हैं उन्हें भी चुनाव आयोग अयोग्य घोषित कर सकता है। इसके अलावा आयोग राजनीति के अपराधीकरण पर रोक लगाने का भी काम करता है।

राष्ट्रपति से लेकर विधानसभा के चुनाव तक

चुनाव आयोग के पास लोकसभा चुनाव के बाद भी कई चुनाव आयोजित करवाने की जिम्मेदारी होती है। इनमें राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति, राज्‍य सभा, राज्‍य विधानसभाओं के चुनाव शामिल हैं। इसके अलावा चुनाव आयोग किसी नेता के निधन या उसे मिली सजा के बाद अयोग्य करार दिए जाने पर उप चुनाव भी आयोजित करवाता है।