कांग्रेस की मुश्किलें खत्म होने के नाम नहीं ले रही हैं। पंजाब विवाद अभी सुलझा नहीं है, वहीं दूसरे राज्यों में आंतरिक कलह जोर पकड़ने लगी है। पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती नए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों की नियुक्ति है। क्योंकि, राज्यों में गुटबाजी चरम पर है।
तमाम कोशिशों के बावजूद पार्टी पंजाब विवाद को हल करने में नाकाम है। कई माह की मशक्कत के बावजूद कलह बरकरार है। उत्तराखंड में भी प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत में सहमति नहीं बन पाने की वजह से विवाद बढ़ रहा है।
पार्टी का आंतरिक झगड़ा सिर्फ इन दो प्रदेशों तक सीमित नहीं है। असम, पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड सहित कई दूसरे प्रदेशों में भी विवाद है। बिहार का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं से नए अध्यक्ष को लेकर चर्चा की है। ताकि, किसी तरह का विवाद न हो।
पश्चिम बंगाल में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी से प्रदेश कांग्रेस के कई नेता नाराज हैं। वह चौधरी को हटाकर नया अध्यक्ष बनाने की मांग कर रहे हैं। पर नया अध्यक्ष कौन हो, इसको लेकर एक राय नहीं है। सभी अपनी-अपनी दावेदारी कर रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि एक के बाद एक प्रदेश में शुरू हो रही अंदरूनी कलह की एक वजह पार्टी अध्यक्ष को लेकर अनिश्चितता है। पद की दावेदारी करने वाले सभी नेता और गुट पार्टी नेतृत्व पर दबाव बनाने की कोशिश करते हैं। इससे कलह बढ़ती है।
कांग्रेस के रणनीतिकार भी मानते हैं कि पार्टी नेतृत्व को और अधिक सक्रिय भूमिका निभानी होगी। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि राहुल गांधी ने प्रदेश कांग्रेस नेताओं से मिलना शुरू किया है। इसका लाभ मिलेगा, पर उन्हें अपना दायरा बढ़ाथते हुए जल्द निर्णय लेने होंगे।