Success Story, UPSC Success Story, IAS Motivational Story, IAS Ramesh Gholap: UPSC परीक्षा की तैयारी करना कठिन है, लेकिन जब इसे बिना कोचिंग और अत्यंत साधारण संसाधनों के साथ पास किया जाए, तो ये अपने आप में प्रेरणा का स्रोत बन जाती है। ऐसे ही दृढ़ संकल्प और संघर्ष की कहानी है IAS रमेश घोलप की, जिन्होंने चूड़ियां बेचने वाले परिवार से निकलकर भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक UPSC को बिना कोचिंग के पार किया और AIR 287 हासिल की।
संघर्ष से सफलता तक का सफर
IAS रमेश घोलप का जन्म महाराष्ट्र के सोलापुर के एक छोटे से गाँव में हुआ। उनके पिता गोरख घोलप साइकिल ठीक करते थे, पर शराब की लत ने उनकी तबीयत को बिगाड़ दिया, और एक दिन रमेश जब स्कूल में थे, तब उनके पिता का निधन हो गया। रमेश की आर्थिक स्थिति इतनी गंभीर थी कि वे अपने पिता के अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हो सके।
उनकी मां विमला घोलप ने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए आस-पास के गांवों में चूड़ियां बेचना शुरू किया, और रमेश भी अपनी मां की इस कठिन जीवन-यात्रा में साथ देने लगे। पोलियो से पीड़ित और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद रमेश का सपना बड़ा था। वे अपने चाचा के साथ बार्शी चले गए, जहां उन्होंने पढ़ाई जारी रखी।
पढ़ाई और नौकरी के बीच बने IAS अफसर
रमेश अपनी पढ़ाई में अव्वल थे, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उन्हें बीएड के लिए डिप्लोमा लेना पड़ा। इसके बाद 2009 में उन्होंने एक स्कूल में शिक्षक की नौकरी कर ली। इसी दौरान एक तहसीलदार से हुई बातचीत ने उनके अंदर IAS बनने की प्रेरणा जगाई। उनके दृढ़ निश्चय और मां के सहयोग से उन्होंने नौकरी छोड़कर UPSC की तैयारी शुरू की।
बिना कोचिंग के UPSC में कामयाबी
रमेश ने बिना किसी कोचिंग के UPSC की तैयारी शुरू की। हालांकि पहले प्रयास में असफलता मिली, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। 2012 में उन्होंने विकलांग कोटे में 287वीं रैंक के साथ UPSC परीक्षा में सफलता हासिल की और IAS बने। आज रमेश झारखंड में ऊर्जा विभाग में संयुक्त सचिव के पद पर कार्यरत हैं।
IAS रमेश घोलप की ये कहानी बताती है कि यदि आपके पास दृढ़ संकल्प, कड़ी मेहनत और आत्म-विश्वास हो, तो कोई भी कठिनाई आपके सपनों के रास्ते में नहीं आ सकती।