नई दिल्ली. स्वास्थ्य मंत्रालय से मिले आंकड़ों के मुताबिक, एक हफ्ते में भारत में कोरोना के मामलों में 14 फीसदी से ज्यादा का उछाल आया है. आंकड़े बताते हैं कि 13 से 19 दिसंबर के बीच देशभर में कोरोना के 1,104 मामले सामने आए थे. जबकि, 20 से 26 दिसंबर के बीच 1,260 मामले सामने आए हैं.
हालांकि, 13 से 19 दिसंबर के बीच 15 लोगों की मौत कोरोना से हुई है. वहीं, 20 से 26 दिसंबर के बीच 19 मौतें हुईं हैं. हालांकि, मौतों के इन आंकड़ों में कुछ पुरानी मौतें भी शामिल हैं. वो इसलिए क्योंकि केरल पुरानी मौतों को भी आंकड़ों में शामिल कर रहा है. मसलन, 22 दिसंबर को 9 मौतें हुई थीं, लेकिन इनमें से 6 मौतें पुरानी थीं. यानी, ये पहले हो चुकी थीं लेकिन इन्हें बाद में कोविड डेथ में काउंट किया गया था.
इतना ही नहीं, देश में कोरोना का इलाज करा रहे मरीजों की संख्या में भी मामूली बढ़ोतरी हुई है. 22 दिसंबर तक एक्टिव केसेस की संख्या 3,380 थी जो 26 दिसंबर तक बढ़कर 3,421 पर पहुंच गई.
तो क्या आने वाली है चौथी लहर ?
फिलहाल तो चौथी लहर का कोई खतरा दिख नहीं रहा. एक्सपर्ट भी यही मानते हैं कि चौथी लहर की गुंजाइश कम है. उसकी वजह ये है कि भारत में 90 फीसदी से ज्यादा आबादी में कोरोना के खिलाफ इम्युनिटी है. फिर भी सतर्कता बढ़ा दी गई है. एम्स के पूर्व डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने हाल ही में एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था कि अगर केसेस बढ़ते भी हैं तो ये माइल्ड होंगे और लोगों को भी अस्पताल में भर्ती होने की शायद ही जरूरत पड़े.
डॉ. गुलेरिया ने बताया था कि ओमिक्रॉन के सब- वैरिएंट BF.7 की वजह से न तो हॉस्पिटलाइजेशन बढ़ेगा और न ही मौतों की संख्या, क्योंकि अब हमारी इम्युनिटी बहुत ज्यादा हो गई है. उनका ये भी कहना था कि BF.7 भारत में जुलाई में आ गया था, लेकिन हमने देखा कि इसकी वजह से न तो हॉस्पिटलाइजेशन बढ़ा और न ही मौतें. डॉ. गुलेरिया का मानना है कि ये वैरिएंट लंबे समय तक भी रह सकता है लेकिन इससे नई लहर आने की उम्मीद नहीं है.