पटना। बिहार में शराबबंदी कानून में कोताही, बालू उत्खनन में व्याप्त भ्रष्टाचार और भूमि विवाद जैसे मामलों में उगाही और लापरवाही करने वाले 644 पुलिस अफसरों पर कार्रवाई की गई है। अभी तक कुल 85 पदाधिकारियों को सेवा से बर्खास्त करने के साथ ही 56 पदाधिकारियों को भी दंड दिया जा चुका है। पुलिस मुख्यालय ने दावा किया है कि वो अपने पदाधिकारियों और कर्मियों की पेशेवर कुशलता में लापरवाही, कर्तव्यहीनता और भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाती रही है।
पुलिस मुख्यालय की मानें तो इसी के तहत ये कार्रवाइयां की गई हैं। इस साल यानी 2020 में नवंबर तक मुख्य रूप से शराबबंदी कानून के क्रियान्वयन में कोताही, बालू के अवैध खनन और परिवहन में संलिप्तता भूमि विवाद संबंधी मामलों और भ्रष्टाचार एवं कर्तव्यहीनता जैसे मामलों में 644 पदाधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है। जिन राजपत्रित अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई और विभागीय कार्यवाही संचालित की गई है उनकी संख्या बिहार पुलिस मुख्यालय ने 38 बताई है। इनमें से भारतीय पुलिस सेवा के दो ऐसे पदाधिकारी हैं जिनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई में बड़ी सजा दी गई है, जबकि चार पदाधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई संचालित है।
जिन राजपत्रित अधिकारियों और कर्मियों के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई और विभागीय कार्रवाई संचालित है उनकी संख्या 606 बताई गई है। अभी तक कुल 85 पदाधिकारियों को सेवा से बर्खास्त करने के साथ ही 56 पदाधिकारियों को भी दंड दिया जा चुका है, साथ ही कई राजपत्रित अधिकारियों और कर्मियों के खिलाफ मामले विचाराधीन है जिस पर त्वरित कार्रवाई की जा रही है।
बिहार पुलिस मुख्यालय ने इन विभागीय कार्रवाई को त्वरित संचालन कर निष्पादन का निर्देश दिया है, इस नीति के तहत पुलिस मुख्यालय द्वारा 48 मामलों जिनमें आरोप की तुलना में अपर्याप्त सजा दी गई थी कि पुनर्समीक्षा की गई जिसके बाद से दूसरे पदाधिकारियों को दंडित किया गया है। इसमें 30 पदाधिकारियों को सेवा से बर्खास्त और 5 सेवानिवृत्त अधिकारियों के पेंशन में कटौती के दंड तय किए गए हैं।