वेलिंग्टन। न्यूजीलैंड में आज से इच्छा-मृत्यु का कानून लागू कर दिया गया है। इस कानून के लागू होने के साथ ही न्यूजीलैंड उन देशों में शामिल हो गया है, जहां इच्छा मृत्यु को क़ानूनी दर्जा हासिल है। बता दें कि इससे पहले स्विट्ज़रलैंड, नीदरलैंड, स्पेन, बेल्जियम, लग्ज़मबर्ग, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, कोलंबिया में ही इच्छा मृत्यु को कानूनी मान्यता दी गई है। बता दें कि इच्छामृत्यु का मतलब किसी गंभीर और लाइलाज बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को दर्द से मुक्ति दिलाने के लिए डॉक्टर की सहायता से उसके जीवन का अंत करना है। यूथनेशिया मूलतः ग्रीक (यूनानी) शब्द है। जिसमें Eu का मतलब अच्छी और Thanatos का अर्थ मृत्यु होता है. इसे मर्सी किलिंग भी कहा जाता है। दुनियाभर में इच्छा-मृत्यु की इजाज़त देने की मांग बढ़ी है।
बता दें कि न्यूजीलैंड में उसी व्यक्ति को इच्छा मृत्यु दी जाएगी, जिसे ऐसी बीमारी है, जिससे अगले 6 महीने के अंदर उसकी मौत हो जाएगी। इस दौरान वह काफी दर्द से गुजर रहा है तो वह इच्छा मृत्यु की मांग कर सकता है। किसी भी व्यक्ति को इच्छा मृत्यु देने के लिए कम से कम दो डॉक्टरों की सहमति आवश्यक है। बता दें कि न्यूजीलैंड में इच्छा मृत्यु के लिए कानून लागू करने के लिए जनमत संग्रह कराया गया था। जनमत संग्रह के दौरान 65 फीसदी वोट इस कानून के पक्ष में डाले गए थे।
भारत में इच्छा-मृत्यु और दया मृत्यु दोनों ही अवैधानिक कृत्य हैं, ये भारतीय दंड विधान (आईपीसी) की धारा 309 के अंतर्गत आत्महत्या का अपराध है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने निष्क्रिय इच्छामृत्यु को अनुमति प्रदान की है।
किन देशों में है इच्छा मृत्यु का प्रावधान
अमेरिका – यहां सक्रिय इच्छा मृत्यु ग़ैर-क़ानूनी है, लेकिन ओरेगन, वॉशिंगटन और मोंटाना राज्यों में डॉक्टर की सलाह और उसकी मदद से ‘इच्छामृत्यु’ की इजाज़त है।
स्विट्ज़रलैंड – यहां ख़ुद से ज़हरीली सुई लेकर आत्महत्या करने की इजाज़त है, हालांकि इच्छा मृत्यु ग़ैर-क़ानूनी है।
नीदरलैंड्स – यहां डॉक्टरों के हाथों सक्रिय इच्छामृत्यु और मरीज की मर्ज़ी से दी जाने वाली मृत्यु पर दंडनीय अपराध नहीं है।
बेल्जियम – यहां सितंबर 2002 से इच्छामृत्यु वैधानिक हो चुकी है।
ब्रिटेन, स्पेन, फ्रांस और इटली जैसे यूरोपीय देशों सहित दुनिया के ज़्यादातर देशों में इच्छा मृत्यु ग़ैर-क़ानूनी है।