अम्बिकापुर. Lok Sabha Election: छत्तीसगढ़ के सरगुजा संसदीय सीट पर एक बार फिर कमल खिला है. भाजपा प्रत्याशी चिंतामणि महराज ने 64822 वोटों से कांग्रेस प्रत्याशी शशि सिह टेकाम को पराजित किया है. चिंतामणि महाराज को 713200 वोंट मिले. जबकि कांग्रेस प्रत्याशी को 648378 वोंट मिले. सरगुजा लोकसभा सीट पर 10 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे. लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही रहा.
छत्तीसगढ़ बनने के बाद से सरगुजा संसदीय सीट पर भाजपा काबिज रही. और भाजपा के इस किले को फतह करने के सारे पैतरे नाकाम ही साबित हुए. सरगुजा संसदीय सीट से कांग्रेस ने इस बार नये चेहरे को उतारा था. तो वहीं भाजपा ने भी कांग्रेस से खफा होकर आए चिंतामणि महराज को अपना प्रत्याशी बनाया था.
संत गहिरा गुरु के पुत्र चिंतामणि महाराज कांग्रेस के दो बार विधायक भी रहे है. वे सरगुजा संसदीय क्षेत्र के लुंड्रा विधानसभा से साल 2013 में कांग्रेस की टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़कर विधायक चुने गये. जिसके बाद 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उनकी सीट बदली और वे अपने गृह क्षेत्र सामरी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में थे. और भाजपा के सिद्धनाथ पैंकरा को हराकर विधायक चुने गये. लेकिन साल 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उनकी टिकर काट दी. और वे हाथ का साथ छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए.
भाजपा में चिंतामणि पहले भी रहे लेकिन 2013 में वे कांग्रेस में शामिल हो गए. और एक बार फिर भाजपा में है. चिंतामणि महराज ने घर वापसी से पहले ही अपनी शर्त रख दी थी कि उन्हें लोकसभा लड़ाया जाएगा तब ही वे भाजपा में शामिल होंगे. और हुआ भी वैसा. और आज परिणाम साफ है.
चिंता की तो बात है, गृह क्षेत्र में पिछड़े महराज
चिंतामणि महराज के लिए चिंता की बात यह रही कि उन्हें अपने गृह क्षेत्र सामरी से ही कांग्रेस प्रत्याशी ने शिकस्त दी. सामरी विधानसभा क्षेत्र से मतगणना के दौरान लगातर कांग्रेस प्रत्याशी लीड करती रही. और महराज पीछे रहे.
विरासत में मिली राजनीति
वैसे शशि सिह भी कांग्रेस में किसी पहचान की मोहताज नही है, युवा है. और टीम राहुल का हिस्सा भी. इसके साथ ही शशि सिह पूर्वमंत्री तुलेश्वर सिह की बेटी है. शशि को राजनीति विरासत में मिली है. मौजूदा दौर में शशि सूरजपुर जिला पंचायत की सदस्य है. चुनाव के दौरान शशि सिह ने जमकर मेहनत भी की है. जाहिर है जिला पंचायत के सदस्य के चुनाव से कही अधिक परिश्रम उन्हें लोकसभा चुनाव में करनी पड़ी. और चिंतामणि महराज के साथ तो मोदी लहर का फैक्टर काम कर गया. चुनाव है हार जीत तो लगा रहता है. लेकिन इसी बहाने कांग्रेस की सरगुजा में एक युवा नेता की तलाश लगभग पूरी हो गई है.
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