रायपुर. राजीव भवन कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेंस कर कुछ खुलासे किए हैं। प्रदेश में एक के बाद एक ईडी की कार्रवाई जारी है। राजीव भवन में पत्रकारों से बात करते हुए प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि पिछले एक महीने में 2019 से 2022 तक तीन साल में ईडी द्वारा राज्य में कथित शराब घोटाले में 2000 करोड़ रुपये की वसूली की गई है। भ्रष्टाचार और सरकार को बदनाम करने के लिए साजिश रची जा रही है। इस पूरे मनगढ़ंत आरोपों की पटकथा 3 साल पहले शुरू हुई थी। विधानसभा चुनाव को देखते हुए केंद्र सरकार ने ईडी के जरिए यह साजिश रची है।
आईटी की रेड फेल हुए, सबूत पेश नहीं कर पाए ईडी आईटी द्वारा की गई उसी कार्रवाई के आधार पर कहानी गढ़ रहा है। जब ईडी भी सबूत पेश नहीं कर पाई तो बंदूक के बल पर लोगों को डरा धमका कर सरकार को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है। सरकार में बैठे लोगों के नाम लेने का दबाव बनाया जा रहा है, उन्हें डराया-धमकाया जा रहा है। राज्य में गवाहों के साथ ईडी द्वारा किए जा रहे अत्याचार के संबंध में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सर्वोच्च न्यायालय में राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए बताया कि अनवर ढेबर, पप्पू ढिल्लों और सभी अधिकारियों (गवाहों) पर आरोप लगाया गया है मुख्यमंत्री का झूठा नाम ले रहे हैं। इसके लिए प्रताड़ित किया जा रहा है। कपिल सिब्बल द्वारा यह भी बताया गया कि इतनी बड़ी संख्या में अधिकारियों को परेशान करने का मुख्य उद्देश्य केवल चुनावी वर्ष में राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था को पंगु बनाना है। ऐसी घटना देश के किसी अन्य हिस्से में न कभी देखी गई और न ही सुनी गई। सिब्बल के आरोपों को गंभीरता से लेते हुए, पीठ ने ईडी के वकील को जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
01. 27-28 फरवरी 2020 को दिल्ली की आयकर टीम ने राज्य के शराब कारोबार से संबंधित 28 लोगों के यहां छापेमारी की कार्यवाही की गयी थी। इतनी बड़ी कार्यवाही में बरामद चल-अचल संपत्ति की आयकर विभाग द्वारा जानकारी सार्वजनिक नहीं की गयी कि वे छापे पूरी तरह से फेल हो गये थे।
02. उसके पश्चात सभी स्थानों में जब्त मोबाइल फोन से रिकव्हरर्ड व्हाट्सअप चैट्स के आधार पर सभी संबंधितों के ब्यान आयकर विभाग के अधिकारियों द्वारा नई दिल्ली में दर्ज किये गये। शराब से संबंधित सभी कारोबारियों एवं संबंधित अधिकारियों द्वारा राज्य में शराब के व्यवसाय में भ्रष्टाचार होने अथवा बड़ा घोटाला होने के आरोपों को पूरी तरह खारिज किया गया था। आयकर विभाग के अधिकारियों द्वारा लिये गये समस्त ब्यानों की प्रतियां संलग्न हैं। यह उल्लेखनीय हैं कि, आयकर विभाग के अधिकारियों द्वारा लिये गये ब्यान भी शपथ पत्र पर लिये जाते हैं, तथा ब्यान झूठे पाये जाने की दशा में दोषी भारतीय दंड संहिता की धारा 191 एवं 193 के तहत दंड का भागीदारी होता हैं।
03. वर्ष 2020 में ही दिल्ली के आयकर अधिकारियों द्वारा छत्तीसगढ़ में मारे गये छापों के दौरान जब्त मोबाइल ट्रांसक्रिप्ट्स (जो अप्रैल 2019 से फरवरी 2020 की अवधि के थे)
04. ई.डी. को भी उपलब्ध करा दिये गये थे। ई.डी. के अधिकारी विगत दो-ढाई वर्षों से आयकर विभाग से प्राप्त रिपोर्ट को दबा कर बैठे रहे। राज्य में विधानसभा चुनाव निकट आने पर आयकर विभाग से प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर ईडी द्वारा अचानक 29 मार्च 2023 को पुनः लगभग उन्हीं स्थानों पर छापेमारी की कार्यवाही की गयी, जिन स्थानों पर 3 वर्ष पूर्व आयकर विभाग द्वारा छापे मारने की कार्यवाही की गयी थी। ई.डी. के छापे भी पूरी तरह असफल हो गए। क्योंकि इन छापों में चल-अचल संपत्ति की ऐसी बरामदगी नहीं हुई जिसकी जानकारी सार्वजनिक की जा सके।
05. 29 मार्च को ई.डी. द्वारा जितने व्यक्तियों के यहां छापा मारा गया उन सब को 30 मार्च की सुबह अवैधानिक रूप से सी.आर.पी.एफ. जवानों की अभिरक्षा में ई.डी. कार्यालय लाया गया। पूरे शहर में यह माहौल बनाया गया कि सभी लोगों को गिरफ्तार करके ई.डी. ऑफिस लाया गया हैं।
06. ई.डी कार्यालय में देर रात तक सभी को बैठाये रखने के बाद कुछ व्यक्तियों के साथ क्रूरता पूर्वक मारपीट की कार्रवाई आरंभ की गई हैं।
07. कई लोगों द्वारा यह शिकायत की गई हैं कि, महिलाओं को भी देर रात बुलाकर पूछताछ की जाती हैं, और डरा धमका कर प्रताड़ित किया जाता हैं। देश के किसी अन्य हिस्से में 10:00-11:00 बजे के बाद ईडी के अधिकारियों से पूछताछ नहीं की जाती हैं। लेकिन रायपुर के ईडी के अधिकारी गवाहों को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करते हैं, और उनसे अपने बयान पर हस्ताक्षर करवाते हैं। ईडी कार्यालय का रजिस्टर और सीसीटीवी। रिकॉर्डिंग की जा सकती हैं। शारीरिक और मानसिक रूप से थके हुए व्यक्ति के बयानों का कोई मूल्य नहीं हैं।
08. शराब कारोबार से जुड़े सभी संबंधितों के जबरदस्ती लिखे बयानों के आधार पर राज्य में 2000 करोड़ के कथित शराब घोटाले का ईडी ने प्रेस विज्ञप्ति के जरिए प्रचार-प्रसार शुरू कर दिया था। यह मीडिया ट्रायल सरकार को बदनाम करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। ईडी। इन सभी को अधिकारियों द्वारा और गवाहों को बुलाकर जेल भेजने की धमकी देकर, उन्हें भ्रष्टाचार में शामिल होने और रिश्वत के रूप में अवैध राशि देने के आरोपों को स्वीकार करने के लिए मजबूर किया गया।
09. इसका प्रमाण यह हैं कि, इन सभी व्यक्तियों द्वारा 3 साल पहले एक ही मोबाइल ट्रांसक्रिप्ट के आधार पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों को आयकर विभाग द्वारा लिए गए बयानों में पूरी तरह से खारिज कर दिया गया था।
10. ईडी के अधिकारियों द्वारा कथित शराब घोटाले की अवधि अप्रैल 2019 से मार्च 2022 तक बताई गई हैं। उल्लेखनीय हैं कि, ईडी के पास 2019-20 की अवधि के मोबाइल ट्रांसक्रिप्ट के अलावा कोई दस्तावेज नहीं हैं। वर्ष 2021 एवं 2021-22 की अवधि के लिए ई.डी. के पास नहीं हैं। इन दो सालों में हुए कथित भ्रष्टाचार के फर्जी सबूत शराब कारोबार से जुड़े कारोबारियों के बंदूक की नोंक पर लिए गए बयान मात्र हैं।
11. वर्ष 2019-20 के “अपुष्ट लिपियों और झूठे बयानों” के आधार पर, ईडी द्वारा यह प्रचार 11 शुरू किया गया था कि 3 वर्षों में 2000 करोड़ का कथित घोटाला हुआ। उन्हें किसने कब, कितनी राशि दी, इसकी कोई भी जानकारी जो सच्चाई उपलब्ध नहीं कराई जा रही हैं। वह यह हैं कि, ईडी द्वारा भाजपा के राजनीतिक आकाओं के इशारे पर राज्य सरकार को बदनाम करने के उद्देश्य से पूरी तरह से मनगढ़ंत आरोप लगाए जा रहे हैं। ईडी अधिकारियों द्वारा अनवर ढेबर, नवीन केडिया और पप्पू ढिल्लों की लगभग 80 करोड़ रुपये की संपत्ति की कुर्की की सूचना केवल ईडी द्वारा की गई छापेमारी की झुंझलाहट को छिपाने के लिए पूरी तरह से असफल रही, प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से अवैध राशि प्राप्त होने का कोई सबूत नहीं हैं। उल्लेखनीय हैं कि, उक्त तीनों परिवार दशकों से अंचल के समृद्ध परिवार हैं। इनकी कुल संपत्ति अटैच की गई संपत्तियों से सैकड़ों गुना ज्यादा हैं। यह निष्कर्ष भी त्रुटिपूर्ण हैं कि, 2019 के बाद उनके द्वारा अर्जित की गई संपत्ति अपराध से अर्जित राशि से ली गई हैं।
12. आबकारी राजस्व मद में डेढ़ गुना से अधिक की वृद्धि यह साबित करने के लिए काफी हैं कि, भाजपा और ईडी द्वारा राज्य को 2000 करोड़ के नुकसान के आरोप निराधार हैं। उपरोक्त विवरण से स्पष्ट हैं कि, फरवरी 2020 में आयकर छापे में बरामद व्हाट्सएप के आधार पर 2000 करोड़ के कथित शराब घोटाले को ईडी द्वारा दुर्भावना से प्रचारित किया जा रहा हैं। अगर बीजेपी नेताओं और ईडी के अधिकारियों में कोई नैतिकता हैं। तो कोर्ट या मीडिया के जरिए भ्रष्टाचार के सबूतों के साथ सबूत पेश करें। नहीं तो राज्य की जनता से झूठे आरोप लगाकर राज्य सरकार को बदनाम करने की साजिश के लिए माफी मांगें।