Karakat Lok Sabha Election Results 2024: बिहार की काराकाट लोकसभा सीट पर मुकाबला काफी दिलचस्प रहा है। इस सीट पर सीपीआई-एमएल उम्मीदवार राजा राम सिंह ने 1,05,858 वोटों के अंतर से जीत हासिल की है। उपेन्द्र कुशवाहा और भोजपुरी अभिनेता पवन सिंह के बीच की अनबन राजा राम के लिए फायदेमंद साबित हुई। राजा राम को पवन सिंह (2,74,723 वोट) और उपेन्द्र कुशवाह (2,74,723 वोट) के मुकाबले 3,80,581 वोट मिले। भोजपुरी फिल्म और म्यूजिक इंडस्ट्री का जाना माना नाम पवन सिंह की हार के बाद उनकी पत्नी ज्योति सिंह ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया है, जिसकी चर्चा हर जगह हो रही है।
ज्योति सिंह ने बढ़ाया पति का हौसला
पवन सिंह की पत्नी ज्योति सिंह ने एक्टर के साथ अपनी एक तस्वीर इंस्टाग्राम पर शेयर की है। इस तस्वीर को शेयर करते हुए कैप्शन में ज्योति सिंह ने लिखा है, ”क्या हुआ जो मैदान हार गए। अभी सब कुछ नहीं हारे। वो अदम्य साहस और इच्छाशक्ति अभी भी है।” ज्योति सिंह के इस पोस्ट पर यूजर्स भी अपने मिले-जुले रिएक्शन दे रहे हैं।
पवन सिंह ने भी लिखा इमोशनल पोस्ट
वहीं, पवन सिंह ने भी अपनी हार के बाद एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर किया है। पवन सिंह ने काराकाट लोकसभा सीट पर मिली हार के बाद लिखा, ”हार तो क्षणिक है। हौसला निरंतर रहना चाहिए। हम तो वो है वैसे लोगों में है, जो विजय पर गर्व नहीं करते और हार पर खेद और शोक नहीं करते। खुशी और गर्व इस बात की है कि काराकाट की जनता ने मुझे अपना बेटा-भाई स्वीकार कर इतना प्यार दुलार और आशीर्वाद जो दिया, उसके लिए आप सभी का दिल से धन्यवाद।”
क्यों मिली पवन सिंह को हार
बता दें कि भोजपुरी इंडस्ट्री में अपार लोकप्रियता के बावजूद पवन सिंह की हार के पीछे के कारण कई कारण हैं। पवन सिंह की हार की वजह में सबसे पहली है यह है कि काराकाट में अपने स्वयं के राजपूत समुदाय से उन्हें सपोर्ट नहीं मिल पाया। वोट पवन सिंह और भाजपा के सहयोगी राष्ट्रीय लोक मोर्चा के उम्मीदवार उपेंद्र कुशवाहा के बीच बंट गए, जिससे पवन सिंह की जीत की संभावना काफी प्रभावित हुई। इसके अलावा पवन सिंह का स्टारडम वोट में बदलने में नाकाम रहा।
पवन सिंह ने अकेले लड़ा चुनाव
बीजेपी से निकाले जाने के बाद पवन सिंह को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ना पड़ा। ऐसे में वोटर्स के बीच उनकी विश्वसनीयता को काफी कम कर दिया, जो एक मजबूत राजनीतिक दल के समर्थन के बिना उनका समर्थन करने में झिझक रहे थे। पवन सिंह का बीजेपी से निकाला जाना, उनकी हार का अहम कारण रहा। पार्टी के इस फैसले से मतदाताओं के बीच उनकी प्रतिष्ठा और सम्मान को नुकसान पहुंचा, जो उन्हें ऐसे व्यक्ति के रूप में मानते थे जो भाजपा जैसी प्रमुख राजनीतिक ताकत के साथ संबंध बनाए नहीं रख सकते।