Bengal Rape-Murder Case: क्या वाकई बंगाल विरोधी हो गई है मीडिया, एजेंडा पर TMC ने उठाए सवाल, डिबेट बहिष्कार का फैसला कितना सही?

Bengal Rape-Murder Case: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक प्रशिक्षु महिला डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले ने पश्चिम बंगाल में सियासी भूचाल ला दिया है। राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पर विपक्षी दलों ने कड़ी आलोचना की है। इस घटना के बाद टीएमसी ने तीन प्रमुख टीवी चैनलों पर बंगाल विरोधी एजेंडा चलाने का आरोप लगाते हुए एक बड़ा फैसला लिया है।

टीएमसी ने घोषणा की है कि वह एबीपी आनंदा, रिपब्लिक और टीवी9 जैसे चैनलों की बहस में अपने आधिकारिक प्रवक्ताओं को नहीं भेजेगी। पार्टी का आरोप है कि ये चैनल बंगाल विरोधी एजेंडा चला रहे हैं और राज्य की छवि को धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं।

टीएमसी के आधिकारिक एक्स अकाउंट से इस निर्णय के बारे में एक बयान जारी किया गया। बयान में कहा गया कि टीएमसी फिलहाल एबीपी आनंदा, रिपब्लिक और टीवी9 जैसे मीडिया चैनलों पर अपने प्रवक्ताओं को न भेजने का फैसला कर रही है क्योंकि ये चैनल बंगाल विरोधी एजेंडे का प्रचार कर रहे हैं। बयान में यह भी कहा गया कि ये चैनल दिल्ली के जमींदारों को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि उनके प्रमोटर और कंपनियों पर जांच और प्रवर्तन के मामले चल रहे हैं।

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टीएमसी का बयान: लोगों को गुमराह न होने की अपील

टीएमसी ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि वह पश्चिम बंगाल के लोगों से अनुरोध करती है कि वे इन प्लेटफार्मों पर पार्टी के समर्थक या हमदर्द के रूप में दिखाए गए व्यक्तियों से गुमराह न हों। पार्टी ने कहा कि ये लोग पार्टी द्वारा अधिकृत नहीं हैं और हमारे आधिकारिक रुख का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।

विवादित बयान के बाद हुआ फैसला

टीएमसी का यह फैसला एबीपी आनंदा चैनल में हुई एक बहस के बाद आया है। इस बहस में टीएमसी सांसद काकोली घोष दस्तीदार ने एक विवादित बयान दिया था, जिसमें उन्होंने डॉक्टरों के बारे में टिप्पणी की थी। इसके बाद से ही इस मुद्दे पर टीएमसी को आलोचना का सामना करना पड़ रहा था। बाद में, दस्तीदार ने अपने बयान पर खेद व्यक्त किया और माफी मांगी। उन्होंने कहा कि उनका इरादा हमेशा महिलाओं के कल्याण और अधिकारों की वकालत करना रहा है और रहेगा।

टीवी बहस में भाजपा विधायक से हुई थी तीखी बहस

यह विवाद तब और बढ़ गया जब एक टीवी टॉक शो में टीएमसी सांसद काकोली घोष दस्तीदार और भाजपा विधायक अग्निमित्र पॉल के बीच बहस हुई। बहस के दौरान दस्तीदार ने पॉल पर टिप्पणी की और कहा कि वह साड़ी बनाने वाले हैं। इस पर पॉल ने नाराजगी जताते हुए कहा कि उन्हें अपने पेशे पर गर्व है और उन्होंने दस्तीदार के बयान की कड़ी निंदा की।

ममता बनर्जी सरकार पर विपक्ष का हमला

इस पूरे मामले पर विपक्ष ने ममता बनर्जी और उनकी सरकार पर जमकर हमला बोला है। भाजपा और कांग्रेस ने टीएमसी सरकार पर आरोप लगाया है कि वह राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने में नाकाम रही है और महिलाओं की सुरक्षा के प्रति उदासीन है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि राज्य में लगातार बढ़ती आपराधिक घटनाओं से जनता में भय का माहौल है और सरकार को इस पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

टीएमसी का कदम: राजनीतिक रणनीति या असल मुद्दा?

टीएमसी द्वारा तीन प्रमुख टीवी चैनलों का बहिष्कार करना राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि टीएमसी का यह कदम एक राजनीतिक रणनीति का हिस्सा हो सकता है। चैनलों पर प्रतिबंध लगाकर टीएमसी ने यह संकेत देने की कोशिश की है कि वह राज्य के खिलाफ चल रहे कथित अभियान का विरोध कर रही है।

वहीं, कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का यह भी कहना है कि टीएमसी का यह फैसला एक असल मुद्दे को छुपाने का प्रयास है। प्रशिक्षु महिला डॉक्टर की हत्या के मामले में टीएमसी सरकार की आलोचना को भटकाने के लिए यह कदम उठाया गया है।

आगे की राह

इस विवाद के बीच यह देखना दिलचस्प होगा कि टीएमसी के इस फैसले का जनता और मीडिया पर क्या असर पड़ता है। क्या पार्टी इस निर्णय से अपने खिलाफ हो रहे विरोध को कम कर पाएगी या फिर यह कदम उल्टा पड़ जाएगा? यह भी महत्वपूर्ण है कि इस घटना के बाद राज्य सरकार किस तरह से अपराधों को रोकने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए कदम उठाती है। इस मुद्दे पर पूरे देश की नजर है और आने वाले दिनों में यह मामला और गरमा सकता है।