गंगा स्नान के बाद जलशयन से लौटे बड़े हनुमान जी, 12 दिन बाद मंदिर के पट खुले, प्रयागराज के संगम तट पर विशेष पूजा-अर्चना, भक्तों में उमड़ा उत्साह

Prayagraj Ganga-Yamuna River: प्रयागराज में गंगा-जमुना के संगम के किनारे बड़े हनुमान जी का मंदिर पिछले 12 दिनों से जलमग्न था। यह साल में दूसरा मौका था जब संगम किनारे हनुमान जी के मंदिर पर लेटे बड़े हनुमान जी को गंगा जी स्नान करने मंदिर तक पहुंची थीं। हालांकि आज एक बार संगम पर गंगा जमुना का जलस्तर कम होने के बाद मंदिर पर मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना के साथ मंदिर को खोला जाएगा। जिसको लेकर हनुमान भक्तों और श्रद्धालुओं में काफी खुशी देखी जा रही है।

कब गंगा जी का पानी बढ़ा था?

गंगा नदी का जलस्तर इस साल मानसून के चलते तेजी से बढ़ गया था, जिसकी वजह से श्री बड़े हनुमान जी का मंदिर पानी में डूब गया। हर साल की तरह, इस बार भी गंगा जी ने हनुमान जी के पांव पखारे, जो धार्मिक रूप से एक शुभ संकेत माना जाता है। हनुमान जी के जलशयन में जाने का मुख्य कारण गंगा का बढ़ता जलस्तर था, जिससे पूरा मंदिर पानी में समा गया।

कब मंदिर पूरी तरह डूब गया था?

प्रयागराज के इस ऐतिहासिक मंदिर के पूरी तरह डूबने का यह दृश्य हर साल मानसून के दौरान देखने को मिलता है। इस बार 12 दिन पहले मंदिर में पानी घुसा, और इसके साथ ही भगवान हनुमान जी जलशयन को चले गए। जब गंगा का पानी मंदिर के भीतर प्रवेश करता है, तो भक्तों को हनुमान जी के दर्शन अस्थायी रूप से रोक दिए जाते हैं।

इस साल इससे पहले कब डूबा था और कितने दिन के लिए डूबा था?

इस वर्ष यह दूसरी बार था जब गंगा का जलस्तर बढ़ने के कारण मंदिर जलमग्न हुआ। इसके पहले जुलाई में भी गंगा का जलस्तर बढ़ा था, जब मंदिर कुछ दिनों के लिए डूब गया था। हालांकि उस समय मंदिर कम दिनों के लिए जलमग्न हुआ था, जबकि इस बार कुल 12 दिन तक हनुमान जी जलशयन में रहे।

गंगा के स्नान कराने की क्या मान्यता है?

प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, गंगा जी हर साल भगवान हनुमान के पांव पखारने आती हैं। इसे अत्यंत शुभ माना जाता है, और लोगों का विश्वास है कि गंगा द्वारा हनुमान जी को स्नान कराने से क्षेत्र में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। महंत बलबीर गिरि जी महाराज बताते हैं कि जिस साल गंगा जी हनुमान जी को स्नान नहीं कराती हैं, उस वर्ष इलाके में सूखा और अन्य प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ जाता है। यह आस्था का प्रतीक है, जिसे प्रयागराज के लोग श्रद्धा से मानते हैं।

श्रद्धालुओं में अपार उत्साह

हनुमान जी के दर्शन के लिए भक्तों में अद्भुत उत्साह है। बाघंबरी मठ के महंत बलबीर गिरि जी ने बताया कि जैसे ही गंगा का जलस्तर कम हुआ और मंदिर फिर से जल से बाहर आया, पूरे प्रयागराज में घंटा-घड़ियाल और शंखनाद की ध्वनि गूंज उठी। इस धार्मिक प्रक्रिया को देखने के लिए दूर-दूर से भक्त प्रयागराज आ रहे हैं। हनुमान जी की महाआरती के साथ ही सभी भक्तों के लिए मंदिर के कपाट खोल दिए जाएंगे।