फटाफट डेस्क : इंदिरा गांधी भारत की पहली महिला प्रधामंत्री है, और भारत के प्रथम प्रधानमंत्री की बेटी भी है। वे करीब 15 साल तक देश की प्रधानमंत्री रहीं है, उन्होंने कभी कल्पना तक नहीं की होगी कि जिस देश में उन्होंने राज किया, उनके पिता भी 17 साल तक देश के पीएम रहे, उनके साथ भी इस तरह की ‘भयावह’ घटना हो सकती है? 3 अक्टूबर 1977 की रात इंदिरा गांधी के लिए बहुत भयानक रात थी क्योंकि उस रात पुलिस उन्हें पकड़ कर ले गई थी और सारी रात उन्होंने हिरासत में गुजारी थी। ये उनके लिए ऐसा पहला अनुभव था जब उन्हें गिरफ्तार करके इस तरह ले जाया गया. आज इस घटनाक्रम को पूरे 43 साल हो गए.
इस घटना के बाद इंदिरा गांधी और संजय गांधी को अगले साल फिर से गिरफ्तार किया गया था और तब उन्हे एक हफ्ता तिहाड़ जेल में गुजारना पड़ा था. लेकिन 3 अक्टूबर इस मामले में इसलिए खास रहा क्योंकि वो उनकी पहली गिरफ्तारी थी और उन्हें गिरफ्तार करवाने वाले किसानों के मसीहा और देश के तत्कालीन गृह मंत्री चौधरी चरण सिंह थे. लेकिन चौधरी चरण सिंह के लिए ये आसान नहीं था, उनका पूरा दिन और वो रात भी तनाव में ही गुजरी थी.
दरअसल इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में इंदिरा गांधी हार गई थीं. जनता पार्टी की सरकार में चाहे पीएम मोरारजी देसाई हों या होम मिनिस्टर चौधरी चरण सिंह, दोनों इंदिरा कैबिनेट में रह चुके थे. ऐसे में इंदिरा को जेल की सलाखों के पीछे भेजने की इच्छा को पूरा करना आसान नहीं था. लेकिन मंत्रिमंडल के बाकी सदस्य भी इंदिरा को सलाखों के पीछे देखना चाहते थे, चाहे वो जॉर्ज फर्नांडिस हों, अटल बिहारी वाजपेई या फिर आडवाणी सभी चाहते थे कि जिसकी वजह से उन्होंने महीनों का वक्त जेल में गुजारा, वो भी जेल जाकर उस माहौल का अहसास करें.
जनता पार्टी की सरकार कानूनी प्रक्रिया के तहत इंदिरा को सबक सिखाना चाहती थी. ऐसे में इंदिरा के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के लिए शाह आयोग बनाया गया. कई केसों में सबसे अहम जो इंदिरा गांधी के खिलाफ केस था वो जीप स्कैम था, रायबरेली के चुनाव में इंदिरा गांधी की मदद के लिए 100 जीपें खरीदी गई थीं, जिनकी कीमत उन दिनों करीब चालीस लाख थी। राजनारायण ने आरोप लगाया कि वो जीपें कांग्रेस के पैसे से नहीं बल्कि इंडस्ट्रियलिस्ट्स और सरकारी पैसे से खरीदी गई थीं. चौधरी चरण सिंह गिरफ्तारी से पहले इस केस को मजबूत करना चाहते थे ताकि आसानी से जमानत ना हो सके।