दुनिया में बाढ़ के लिए ग्लोबल वार्मिंग की परिवर्तन को जिम्मेदार ठहराया जाता है। नासा के एक नए रिसर्च में इन मौसमी तांडव की घटनाओं को चंद्रमा से जोड़ा जा रहा है। नासा की ओर से किए गए अध्ययन में बताया गया है कि ग्लोबल वार्मिंग में परिवर्तन के कारण चांद डगमगा सकता है। जिस कारण पृथ्वी पर भयकर विनाशकारी बाढ़ आ सकती है। यह रिसर्च 21 जून को नेचर क्लाइमेंट चेंज जर्नल में प्रकाशित हुआ है। नासा ने अपने स्टडी में चेतावनी दी है कि ये अतिरिक्त बाढ़ पूरे साल समान रूप से नहीं फैल होंगे। कुछ ही महीनों में एक साथ एकत्रित होने की संभावना है। लाइवसाइंस की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में तटीय क्षेत्र जो महीने में सिर्फ दो या तीन बाढ़ का सामना करते हैं। जल्द ही एक दर्जन या अधिक का सामना कर सकते हैं।
शोधकर्ताओं ने कहा कि अगर अभी शुरुवात नहीं की गई तो लंबे समय तक तटीय बाढ़ से जीवन और आजीविका के लिए बड़े व्यवधान का कारण बनेंगे। अध्ययन के प्रमुख लेखक सहायक प्रोफेसर फिल थॉम्पसन ने कहा कि अगर महीने में 10 या 15 बार बाढ़ आती है। लोग अपनी नौकरी खो देते हैं क्योंकि वे काम पर नहीं जा सकते हैं। पृथ्वी पर बाढ़ पर चंद्रमा के प्रभाव के बारे में बात करते हुए, थॉम्पसन ने कहा कि चंद्रमा की कक्षा में चक्कर को पूरा होने में 18.6 साल लगते हैं। उन्होंने कहा कि जबकि डगमगाना हमेशा से ग्रहों को खतरनाक बनाता है। यह ग्रह के गर्म होने के कारण बढ़ते समुद्र के स्तर के साथ जुड़ जाएगा।
थॉम्पसन के अनुसार, अगली बार यह चक्र 2030 के दशक में आने की उम्मीद है, जो सामान्य जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित करेगा, खासकर तटीय क्षेत्रों में। नासा के प्रशासक बिल नेल्सन ने कहा कि बढ़ती बाढ़ के कारण समुद्र के स्तर के पास के निचले इलाकों में जोखिम और पीड़ा बढ़ रही है। यह आगे ओर बदतर होगा। चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव, समुद्र के बढ़ते स्तर और जलवायु परिवर्तन का संयोजन हमारे समुद्र तटों और दुनिया भर में तटीय बाढ़ को बढ़ाता रहेगा।