नई दिल्ली. दिल्ली हाई कोर्ट ने बदला लेने के लिये रिश्तेदार के खिलाफ जनहित याचिका दायर करने वाली एक महिला पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ ने उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें एक ‘अवैध और अनधिकृत निर्माण’ को हटाने की मांग की गई थी.
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने हलफनामे में दावा किया कि इस मामले में उसका कोई व्यक्तिगत हित नहीं है, लेकिन इस तथ्य को छुपाया कि इमारत के मालिक उसके रिश्तेदार हैं और दोनों के परिवारों के बीच विवाद है. पीठ ने हाल के आदेश में कहा, ” यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जनहित याचिका के मंच का उपयोग पक्षकारों के बीच के संबंधों को छुपाकर व्यक्तिगत मसलों को निपटाने के लिए किया जा रहा है.” पीठ में न्यायाधीश तुषार राव गेडेला भी शामिल हैं.
कोर्ट ने आदेश दिया कि याचिकाकर्ता ने खुली अदालत में प्रतिवादी संख्या पांच से अपना रिश्ता स्वीकार किया है और याचिकाकर्ता का निश्चित रूप से हित है, लिहाज़ा याचिका एक लाख रुपये के जुर्माने के साथ खारिज की जाती है. कोर्ट ने कहा कि जुर्माने की रकम को 30 दिन के अंदर ‘आर्मी बैटल कैजुअल्टी फंड’ में जमा कराया जाए.