नई दिल्ली
केन्द्र मे महिला नेता प्रतिपक्ष, लोकसभा मे महिला स्पीकर, कांग्रेस मे महिला राष्ट्रीय अध्यक्ष, राज्य मे महिला मुख्यमंत्री , इसके बावजूद दिल्ली राज्य के 70 सीटो के लिए महज़ 17 महिला प्रत्याशी,, सुनकर हैरानी होती है,, हलांकि हमारे नेता और राजनीतिक दल महिलाओं के मुद्दे पर जमकर राजनीति करते है। वोट बैंक के लिए ये राजनीतिक दल भले ही महिलाओं के मुद्दे पर जमकर दिमाग लडाते हो, ,लेकिन जब दिल से उनके अधिकारों की लडाई करनी होती है, उन्हें आगे लाने की बातें आती हो, तो राजनैतिक दल और मंझे हुए नेता खुद फिसड्डी साबित हो जाते है।
जी हा हम बात कर रहे है दिल्ली विधानसभा चुनाव में महिला उम्मीदवारों की संख्या की। महिलाओं के मुद्दे को हमेशा उछालकर वोट की राजनीति करने वाले ये राजनेता उस वक्त खुद पीछे हो जाते है जब उन्हें महिलाओं को आगे करने का मौका मिलता है। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि 70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा चुनाव में सिर्फ 17 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा गया है। देश के दो प्रमुख दल बीजेपी और कांग्रेस के साथ भी है, जिन्होंने 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा के लिए कुल 11 महिलाओं को ही चुनाव मैदान में उतारा है, जबकि आम आदमी पार्टी से 6 महिला प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है। बात कांग्रेस नेता और दिल्ली की सीएम की करें तो पिछले 15 सालों से दिल्ली की सत्ता संभाल रही शीला ने भी महिलाओं पर भरोसा नहीं दिखाया। उनकी पार्टी ने दिल्ली चुनाव में 70 सीटों पर सिर्फ 6 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जबकि बीजेपी ने 5 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है जो कुल 66 उम्मीदवारों का 7.5 फीसदी है। वहीं आम आदमी पार्टी ने मैदान में सिर्फ 6 महिला उम्मीदवारों को उतारा है। ऐसे में क्या राजनीतिक दलों का महिलाओं पर भरोसा नहीं है? तीनों प्रमुख पार्टियों द्वारा महिला उम्मीदवारों को दिए गए टिकटों की संख्या दिल्ली की महिला आबादी से बिल्कुल सामंजस्य नहीं रखती हैं। मतदाता सूची के मुताबिक दिल्ली में 1.19 करोड़ लोग वोट डालने के लिए योग्य हैं, जिनमें से 53 लाख महिलाएं हैं। ऐसे में महिलाओं की संख्या और चुनावी मैदान में महिला उम्मीदवारों की संख्या कौतुहल का विषय बन गई है।