इस खतरनाक बीमारी से हर साल मर रहे हैं 37.5 लाख लोग, डॉक्टर भी नहीं पहचान पाते लक्षण, जानिए इसके बारे में…


नई दिल्ली. दुनियाभर में कई खतरनाक बीमारियां हैं, जिसकी वजह से लोगों की जान जाती हैं। अमूमन ऐसा माना जाता है कि मच्छरों की वजह से पनपने वाले रोगों से सबसे ज्यादा लोगों की मौत होती है, लेकिन हाल ही में हुए एक स्टडी ने इसे झुठला दिया। स्टडी में खुलासा हुआ है कि फंगस की वजह से सबसे ज्यादा लोगों की मौत हो रही है। एक दशक पहले जहां दुनिया भर में हर साल लगभग 20 लाख लोग फंगल संक्रमण से मर रहे थे, वहीं इस साल ये आंकड़े दोगुना हो गए हैं। बताया जा रहा है कि फंगल इंफेक्शन से कुल 38 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुए है। ये अध्ययन लैंसेट इंफेक्शियस डिजीज में प्रकाशित हुआ है।

लैंसेट इंफेक्सियस डिजिजेज में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक भारत सहित 80 से अधिक देशों में किए गए अध्ययन के बाद यह खुलासा हुआ है। इस मामले में ब्रिटेन के मैनचेस्टर विश्वविद्यालय में संक्रामक रोग विभाग के प्रोफेसर डेविड डेनिंग ने बताया कि फंगस से होने वाली मौतों के मामले में पूर्वानुमान अस्पष्ट थे। दरअसल, फंगस कई रोगों (जैसे एड्स व ल्यूकेमिया) में विकारों को बढ़ा देते हैं। ऐसे में इससे मौत की आशंका बढ़ जाती है। इस अध्ययन के लिए दुनियाभर के 300 पेशेवरों का सहयोग लिया गया, तब जाकर ये पूरा हुआ।

मलेरिया, टीबी से भी ज्यादा मौतें फंगस के कारण

शोधकर्ताओं ने बताया कि फंगस जनित रोगों ने होने वाली मौत की दर ने किसी अन्य एक रोगाणु से होने वाली मौतों के आंकड़ों को पीछे छोड़ दिया है। फंगस जनित रोगों से मलेरिया की तुलना में 6 गुना और टीबी की तुलना में 3 गुना अधिक मौतें हुईं। फंगस का सबसे महत्वपूर्ण घातक कवक एस्परगिलस फ्यूमिगेटस और एस्परगिलस फ्लेवस हैं, जो फेफड़ों में संक्रमण का कारण बनते हैं। प्रभावित लोगों में अस्थमा, टीबी और फेफड़ों के कैंसर जैसी फेफड़ों की बीमारियों से पीड़ित शामिल हैं, लेकिन ल्यूकेमिया से पीड़ित लोग भी हैं, जिनका अंग प्रत्यारोपण हुआ है और जो गहन देखभाल में हैं।

68 फीसदी मौतों के लिए सीधा जिम्मेदार

फंगस जनित रोगों से हुई मौतों में 68% (25.5 लाख) सीधे तौर से इससे जुड़ी थीं, जबकि 12 लाख (32%) का संबंध अन्य रोगों से था। सांस की परेशानी से जुड़े गंभीर रोगों से होने वाली 32.3 लाख मौतों में से एक तिहाई एस्परगिलस फंगस के संक्रमण से होती हैं। इनमें से कई लोग मर जाते हैं क्योंकि उनके डॉक्टर यह नहीं पहचान पाते कि उन्हें फंगल रोग है, या वे इसे बहुत देर से पहचानते हैं।