अम्बिकापुर
- अम्बिकापुर वासियो द्वारा देखा सपना हुआ पूरा
- विकास यात्रा के समापन मे 7 सितंबर को अम्बिकापुर आए थे मोदी
- भाजयुमो ने मंच को लाल किले की सक्ल देकर मोदी को दिखाया था सपना
- 7 सितंबर के बाद 13 सितंबर को भाजपा ने घोषित किया था प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज दूसरी बार लाल किला के प्राचीर से देश की जनता को संबोधित करेगे। लेकिन दूसरी बार वो दिल्ली के लाल किला से दहाड लगाने वाले है। जबकि इससे पहले मोदी ने छत्तीसगढ के अम्बिकापुर मे बनाए गए लाल किला से भाषण दिया था। लेकिन तब वो ना ही देश के प्रधानमंत्री थे और ना ही प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार। नकली लाल किला से असली लाल किला तक के सफर पर ये खास खबर ..
छत्तीसगढ मे विधानसभा चुनाव के पहले सितंबर 2013 मे मुख्यमंत्री डाँ रमन सिंह की विकास यात्रा पूरे प्रदेश मे घूम रही थी। और इस विकासयात्रा का समापन 7 सितंबर को अम्बिकापुर मे किया जाना था। समापन कार्यक्रम मे तात्कालिक राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह और गुजरात के मुख्यमंत्री और मौजूदा प्रचार प्रभारी नरेन्द्र मोदी ने भी हिस्सा लिया था। लेकिन उससे पहले अम्बिकापुर के पीजी कालेज ग्राउण्ड मे समापन के लिए बनाए गए स्टेज को भारतीय जनता युवा मोर्चा के लोगो ने दिल्ली के उस लाल की सक्ल दे दी थी। जिसके प्राचीर से देश के प्रधानमंत्री,, स्वतंत्रता दिवस और स्वाधीनता दिवस पर लोगो को संबोधित करते है। लेकिन अब परिस्थियां एकदम विपरीत है, क्योकि 7 सितंबर 2013 को जिस नरेन्द्र मोदी को अम्बिकापुर की जनता ने लाल किले से भाषण देने का सपना दिखाया था। वो सपना आज साकर हो गया ।
7 सितंबर 2103 को छग की विकासयात्रा के समापन पर अम्बिकापुर मे प्रतीकात्मक लाल किला से भाषण देने वाले नरेन्द्र मोदी उस वक्त ना ही देश के प्रधानमंत्री थे। और ना ही पार्टी ने उन्हे प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया था। इस दौरान देश की राजनीति मे जबरजस्त उबाल आ गया था। लेकिन अम्बिकापुर के नकली लाल किला से असली भाषण देने के ठीक पांच ही दिन बाद 13 सितंबर को भाजपा ने नरेन्द्र मोदी को प्रधानंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया था। और तकरबीन एक साल पहले अम्बिकापुर मे देखा गया सपना अब साकार हो रहा है। और नरेन्द्र मोदी असली लाल किला से भाषण देने की तैयारी मे है। ऐसे मे पूरे देश के साथ अम्बिकापुर के लोगो की नरेन्द्र मोदी से अपेक्षा है कि वो देश से भ्रष्टाचार और बेरोजगारी मिटाए।
गुजरात के मुख्यमंत्री और भाजपा प्रचार समिति के प्रमुख रहते हुए अम्बिकापुर मे लाल किला के प्रतीक रुपी मंच से भाषण देने वाले नरेन्द्र मोदी 15 अगस्त 2014 को दिल्ली के लाल किला से देश की जनता को संबोधित करने वाले है। बहरहाल भले ही ये वाक्या प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी के दिलो दिमाग मे धुंधला हो गया हो। लेकिन अम्बिकापुर के लिए 7 सितंबर का दिन सुनहरे इतिहास के पन्नो मे दर्ज हो चुका है।
7 सितंबर 2013 के बाद अम्बिकापुर मे बनाए गए लाल किला पर हुई थी लंबी बहस
नकली लाल किले से असली लाल किले का सफर पूरा करने के दौरान ,, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को विपक्षियो के साथ एनडीए के घटक दलो की काफी आलोचना झेलना पडी थी। लेकिन सच तो ये था कि अम्बिकापुर की जनता ने नरेन्द्र मोदी के लिए ये सपना काफी सिद्दत से देखा था। लिहाजा आज वो दिल्ली के लाल किला से देश की जनता को संबोधित करने की हैसियत तक पंहुच गए है।
सरगुजा मतलब सर ऊंचा , सरगुजा ने छत्तीसगढ और देश का सर ऊंचा किया है। और मै अम्बिकापुर और समूचे सरगुजा जिला की जनता का नमन करता हूं। 7 सितंबर 2013 को ये सब कुछ नरेन्द्र मोदी ने अम्बिकापुर मे लाल किले के सरीके बनाए गए मंच से कहा था। लेकिन छग के विकास यात्रा के समापन और
प्रधानमंत्री पद की यात्रा की शुरुआत मे मोदी के इस कद को पचाना विपक्षियो के लिए नामुमकिन था। लिहाजा देश के कोने कोने मे मोदी की आलोचना शुरु हो गई थी। चूंकि छत्तीसगढ मे उसी वक्त विधानसभा चुनाव था ,, तो भला उस वक्त कांग्रेसी अम्बिकापुर के लाल किला को चुनावी मुद्दा बनाने से कैसे गुरेज करते।
मोदी के नकली लाल किले से भाषण देने वाली बात की चर्चा पूरे देश मे आग की तरह फैल गई थी। और किसी ने इसे मोदी का उतावलापन तो किसी ने प्रधानमंत्री पद की अति लालसा बताया था। लेकिन अब जब मोदी देश के प्रधानमंत्री की हैसियत से दिल्ली के लाल किला से देश की जनता को अपना संदेश देने वाले तो ऐसे मे आलोचको की जुबान बंद हो गई है। और मोदी को लाल किला का सपना दिखाने वाले युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अनुराग सिंहदेव ,,अब विपक्षियो की बातो पर चुटकिया ले रहे है।
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अम्बिकापुर का चोली दामन का साथ है। अगर ऐसा कहे तो शायद गलत नही होगा। क्योकि जो सपना मोदी ने दिल्ली से हजार किलोमीटर दूर अम्बिकापुर मे देखा था। वो मजह 11 महीनो मे ही पूरा हो गया। बहरहाल मोदी के नकली से असली लाल किले के सफर 11 महीनो मे तो पूरा हो गया है, लेकिन अगर अम्बिकापुर और देश की जनता के जीवन मे अच्चे दिन भी इतने ही महीनो मे आ जाते तो अच्छा होता।