धर्मनगरी कटड़ा के पास त्रिकुटा पहाड़ियों में मंगलवार को लगी भीषण आग पर बुधवार शाम तक लगभग काबू पा लिया गया। इस आग को बुझाने में वायुसेना के दो हेलीकाप्टर की मदद ली गई,
वहीं मौजूद वक्त में वैष्णो देवी हेलीकाप्टर सेवा का बेस कैंप और यात्रा मार्ग पूरी तरह सुरक्षित रहा है, हालांकि भवन मार्ग के दूर दराज क्षेत्रों में आग की हल्की लपटें उठती देखी गई,लेकिन दर्शन को गए श्रद्धालु सभी सुरक्षित है,
जानकारी के मुताबिक त्रिकुटा पहाड़ी पर लगी आग पर काबू पाने के लिए श्राइन बोर्ड के कर्मचारियों, सीआरपीएफ और वन विभाग के लगभग तीन सौ लोग लगे थे। हवा का रुख भवन मार्ग की ओर होने की वजह से आग से यात्रा मार्ग प्रभावित होने की संभावना जताई जा रही थी, लेकिन समय रहते आग पर काबू पा लिया गया।
जानकारी के मुताबिक त्रिकुटा पहाड़ी पर लगी आग पर काबू पाने के लिए श्राइन बोर्ड के कर्मचारियों, सीआरपीएफ और वन विभाग के लगभग तीन सौ लोग लगे थे। हवा का रुख भवन मार्ग की ओर होने की वजह से आग से यात्रा मार्ग प्रभावित होने की संभावना जताई जा रही थी, लेकिन समय रहते आग पर काबू पा लिया गया।
विशेषज्ञों के मुताबिक आगजनी वाला क्षेत्र मानवीय पहुंच से दूर था, जिस कारण आग को नियंत्रित करने के लिए काउंटर फायर प्रक्रिया का इस्तेमाल संभाव नहीं हो सका। अगर काउंटर फायर प्रक्रिया को इस्तेमाल होता तो आग पर जल्दी काबू पाया जा सकता था।
आगजनी वाला क्षेत्र वैष्णो देवी यात्रा मार्ग से काफी दूर था, इसलिए यात्रा मार्ग पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ा। मंगलवार शाम को ऐहतियातन कटड़ा हेलीपैड से हेलीकाप्टरों को ककरयाल विश्वविद्यालय शिफ्ट कर दिया गया था।
आगजनी वाला क्षेत्र वैष्णो देवी यात्रा मार्ग से काफी दूर था, इसलिए यात्रा मार्ग पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ा। मंगलवार शाम को ऐहतियातन कटड़ा हेलीपैड से हेलीकाप्टरों को ककरयाल विश्वविद्यालय शिफ्ट कर दिया गया था।
अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक श्राइन बोर्ड के आग्रह पर वायुसेना के हेलीकाप्टरों ने आगजनी वाले क्षेत्र में सलाल झील से पानी लाकर करीब दस बार में बीस हजार लीटर पानी का छिड़काव किया