जैसा कि नाम से ही जाहिर है, ग्रुप डिस्कशन में लोगों का एक समूह किसी दिए गए विषय पर चर्चा करता है। उद्देश्य होता है किसी विषय के इर्द-गिर्द कई आइडिया हासिल करना और अलग-अलग नजरिये पाना।
उम्मीदवारों के समूह को एक विषय दिया जाता है और उस पर सोचने के लिए कुछ मिनट का समय दिया जाता है। आम तौर पर एक व्यक्ति लीड करते हुए डिस्कशन की शुरूआत करता है। फिर बाकी लोग अपने-अपने बिंदुओं को लेकर चर्चा में भाग लेते हैं। अंत में एक निष्कर्ष निकाला जाता है।
ग्रुप डिस्कशन में इन बिंदुओं पर उम्मीदवारों का आंकलन किया जाता है :
- कम्यूनिकेशन स्किल
- थिंकिंग एबिलिटी
- लिसनिंग स्किल
- लीडरशिप
- टीम वर्क।
कुल मिलाकर किसी उम्मीदवार की योग्यता को कम समय में आंकने का अच्छा जरिया है ग्रुप डिस्कशन। मगर अक्सर उम्मीदवार इसमें कुछ गलतियां कर बैठते हैं और इसका खामियाजा भुगतते हैं। ऐसी ही कुछ आम गलतियां इस प्रकार हैं :
टॉपिक को जाने बगैर लीड करना
लीड करना अच्छा गुण है लेकिन अगर टॉपिक की जानकारी के बिना ही आप लीड करने लगते हैं, तो यह अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारने के बराबर है। बेहतर होगा कि आप किसी और को शुरूआत करने दें और टॉपिक के बारे में कुछ समझ बनने के बाद ही चर्चा में भाग लें।
बोलने में हिचकिचाना
जिस प्रकार टॉपिक की समझ के बिना लीड करना नुकसानदायक है, उसी तरह आपके पास कोई अच्छा पॉइंट होते हुए भी खुद को उसे व्यक्त करने से रोकना गलत है। पूरे आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़कर अपनी बात कहिए।
आंख मिलाने से बचना
यह बहुत ही जरूरी है कि आप ग्रूप मेंबर्स के साथ आई कॉन्टैक्ट बनाए रखें (पैनल के साथ नहीं)। आंख मिलाने से बचना आत्मविश्वास की कमी दर्शाता है।
अपने ही पॉइंट्स को काटना
इस बात का ध्यान रखें कि आप विचारों की एक ही श्रृंखला के साथ चलें। अगर आप कभी एक बात कहते हैं और कभी उससे ठीक उलट बात, तो यह आपके खिलाफ जाएगा।
आंख मूंदकर
दूसरों के पीछे हो लेना किसी विचार के पक्ष में सिर्फ इसलिए न खड़े हों कि वह लोकप्रिय है। बेहतर होगा कि आप अपने खुद के विचार सामने रखें।
एक साथ बोल पड़ना
किसी की भी बात तभी सुनी जा सकती है, जब एक समय पर एक व्यक्ति बोल रहा हो। अगर सब एक साथ बोलना शुरू कर दें, तो किसी की भी बात सुनी नहीं जा सकेगी!
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