कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी आज 67 वां जन्मदिन है,,.लेकिन दक्षिण अफ्रीकी नेता नेल्सन मंडेला के निधन की वजह से श्रीमति गांधी ने किसी भी प्रकार का कोई भी समारोह आयोजित नहीं करने से मना कर दिया है,, और वैसे भी चार राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजों ने कांग्रेस का हाथ पहले ही खाली कर दिया है , जिसमे 3 राज्यों-दिल्ली, राजस्थान और मध्य प्रदेश में तो कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया है, जबकि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की चुनौती के बाद तीसरी बार बीजेपी ने ही बाजी मारी है.
कांग्रेस के जानकार सूत्रों की माने तो सोनिया गांधी के जन्मदिन पर किसी खास समारोह के आयोजित नहीं होने के पीछे,, विधानसभा चुनावों के नतीजों का कोई संबंध नहीं है. ये केवल दिवंगत दक्षिण अफ्रीकी नेता के सम्मान में देश में शुक्रवार से पांच दिनों का राजकीय शोक के कारण है।
पार्टी सोनिया के जन्मदिन पर समारोह आयोजित नहीं करने के पीछे भले ही कोई भी कारण गिनाए लेकिन चारों राज्यों में कांग्रेस की हार निश्चित तौर पर कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब है. स्वयं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी रविवार शाम लगभग 5 बजे मीडिया के सामने आए और अपनी हार स्वीकार की. इसके बाद सोनिया गांधी ने कहा कि इस हार का पूरा विश्लेषण करने के बाद जरूरी एक्शन लिया जाएगा.
सोनिया गांधी ने कहा, ‘शुक्रिया. न सिर्फ चुनावी राज्य, बल्कि दूसरे राज्यों में भी कार्यकर्ताओं ने बहुत मेहनत की. राष्ट्रीय स्तर पर बात करें तो इंट्रेस की जरूरत है. हमें उन तमाम कारणों की पड़ताल करनी होगी, जिनके चलते हम चुनाव हारे. हमें देखना होगा कि हमारा संदेश लोगों तक क्यों नहीं पहुंचा. देखना होगा कि संगठन में कहां कमी रही, चुनाव के लिहाज से.’
सोनिया गांधी ने यह भी कहा, ‘हार की बहुत सारी वजहें होंगी. लोग नाखुश हैं. वर्ना इस तरह के नतीजे क्यों आते. महंगाई एक मुद्दा था, जिससे लोग प्रभावित हो रहे थे. राजस्थान में हमें लगा कि गहलोत ने कुछ बहुत अच्छे कार्यक्रम चलाए. मगर अब सवालिया निशान है. दिल्ली में हम तीन बार सरकार में रहे. बहुत अच्छा काम किया. मगर लोगों ने कुछ और ही बताया. हम गंभीरता के साथ आत्ममंथन करेंगे और गलती सुधारने के लिए कदम उठाएंगे.’
हालांकि सोनिया गांधी ने अपने कार्यकर्ताओं को तसल्ली देने के लिए यह भी कहा कि लोकसभा के चुनाव अलग होते हैं, इसलिए विधानसभा के इन परिणामों से घबराने की जरूरत नहीं है. सोनिया ने कहा, ‘लोकसभा के चुनाव काफी अलग होते हैं. लोग राज्य के चुनाव में व्यक्तितत्व और राज्य के नेताओं पर फोकस करते हैं. आम चुनाव में लोग उस व्यक्ति को देखते हैं, जो देश का नेतृत्व करेगा. मुद्दे भी कुछ अलग होते हैं।