आईएएस एग्जाम में बड़े काम का पॉलिटिकल साइंस

 

  • यह सब्जेक्ट बड़ा जीएस-फ्रैंडली है। हर साल प्रिलिमनरी एग्जाम में 8 से 10 प्रश्न भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और 15 से 20 प्रश्न इंडियन पॉलिटी एंड गवर्नेंस सेक्शन से पूछे जाते हैं। ये प्रश्न हर साल ज्यादा जटिल होते जा रहे हैं। अत: जिस स्टूडेंट को भारतीय संविधान और राजनीति की गहरी समझ है, वह इन प्रश्नों के उत्तर बेहतर तरीके से दे सकता है और अच्छे मार्क्स पा सकता है।
  • इसके अलावा, 3 से 8 प्रश्न इंटरनेशनल अफेयर्स/ इंटरनेशनल इंस्टीट्यूशंस सेक्शन से पूछे जाते हैं। खास बात यह है कि इन सारे प्रश्नों के उत्तर देना ज्यादा कठिन नहीं होता, बशर्ते आपको इस सब्जेक्ट का अच्छा ज्ञान हो। पॉलिटिकल साइंस स्टूडेंट को तो अपने सिलेबस के कारण इन विषयों की मास्टरी हो ही जाती है। बीते वर्षों में प्रिलिम्स में पॉलिटिकल साइंस से जुड़े प्रश्नों की संख्या इस प्रकार रही :

2010: 5 प्रश्न, 2011: 8 प्रश्न, 2012: 18 प्रश्न, 2013: 18 प्रश्न, 2014: 15 प्रश्न।

  • पॉलिटिकल साइंस का ज्ञान दूसरे सेक्शंस को हल करने में भी काम आता है। मसलन, सीसैट 2014 में तुर्की की लोकेशन के बारे में भूगोल का प्रश्न पॉलिटिकल साइंस स्टूडेंट्स के लिए बड़ा ही आसान रहा क्योंकि जिस क्षेत्र की बात हो रही थी, वह ‘यूक्रेन संकट’ का हिस्सा है। इसी तरह, अरब स्प्रिंग, ब्रिक्स सम्मेलन, अग्नि-4 और अक्सर चर्चा में रहने वाले क्षेत्रों (चेचन्या, दारफुर, स्वात घाटी) से जुड़े प्रश्न भी सीधे -सीधे पॉलिटिकल साइंस (पेपर-2) के इंटरनेशनल रिलेशंस वाले खंड से थे। अत: पॉलिटिकल साइंस के स्टूडेंट्स के लिए ये प्रश्न आसान रहे।
  • दूसरे शब्दों में कहें, तो जो भी प्रिलिम्स को क्लियर करना चाहता है, वह इंडियन पोलिटी सेक्शन की उपेक्षा नहीं कर सकता। अत: जो मेन्स के लिए ऑप्शनल सब्जेक्ट के रूप में पॉलिटिकल साइंस लेता है, वह इंडियन पॉलिटी एंड गवर्नेंस की पढ़ाई तो करेगा ही, सो प्रिलिम्स के लिए अन्य विषयों की पढ़ाई करने के लिए उसके पास समय रहेगा। इस प्रकार पॉलिटिकल साइंस स्टूडेंट के लिए प्रिलिम्स और मेन्स की पढ़ाई एक साथ करना ज्यादा आसान और फायदेमंद रहेगा।
  • हाल ही में रिवाइज किए गए जनरल स्टडीज मेन्स सिलेबस में पॉलिटिकल साइंस सिलेबस का लगभग 60 प्रतिशत भाग कवर किया जाता है।
  • अगर आप जनरल स्टडीज पेपर-2 के गवर्नेंस, कॉन्स्टीट्यूशन, पॉलिटी, सोशल जस्टिस, इंडियन डायस्पोरा तथा इंटरनेशनल रिलेशंस से जुड़े प्रश्न देखें और फिर पॉलिटिकल साइंस क्वेश्चन पेपर 1 एवं 2 के प्रश्न देखें, तो इनमें कोई खास अंतर नहीं दिखेगा। मसलन, 2013 में जनरल स्टडीज-2 में इंटरनेशनल रिलेशंस से जुड़े सारे प्रश्न पॉलिटिकल साइंस एंड इंटरनेशनल रिलेशंस के पेपर-2 से जुड़े टॉपिक्स से ही थे।
  • एसे पेपर (200 मार्क्स) में लगभग हर साल एक टॉपिक इंडियन गवर्नमेंट एंड पॉलिटिक्स एंड इंटरनेशनल रिलेशंस से जुड़ा होता है।
  • जनरल स्टडीज के सिलेबस को रिवाइज करने के फैसले के चलते इसमें अच्छा स्कोर करना आसान हो गया है। चूंकि नए सिलेबस में लगभग सभी तथ्यात्मक भाग हटा दिए गए हैं, अत: पॉलिटिकल साइंस के थ्योरी सेक्शन में मूल अवधारणा की समझ होने से बेहतर तरीके से उत्तर दिए जा सकते हैं।
  • पॉलिटिकल साइंस के कंसेप्चुअल पोर्शन के उत्तर लिखने की प्रेक्टिस से जनरल स्टडीज के पेपर हल करने में भी मदद मिलती है।
  • अंत में, इंटरव्यू के दौरान भी पॉलिटिकल साइंस काम आता है क्योंकि गवर्नेंस, पॉलिटी और इंटरनेशनल रिलेशंस का ज्ञान आपको बेहतर मार्क्स दिला सकता है। ये चंद एक्स्ट्रा मार्क्स तय करते हैं कि आपका सिलेक्शन हो जाता है या आपको एक साल और इंतजार करना होगा…।

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