फटाफट डेस्क. श्रीलंका में संकट कम होने के नाम नही ले रहा, महंगाई चरम पर हैं, ऐसे में वहाँ गर्भवती महिलाओं की स्थिति सबसे भयावह बनी हुई हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वहां के कुछ एनजीओ का कहना हैं यहां 10% महिलाएं कुपोषण की शिकार हैं, इन्हें भरपूर भोजन नही मिल पा रहा,इसका सीधा असर उनके होने वाले बच्चें पर पड़ेगा।
श्रीलंका में क्या हो रहा हैं?
श्रीलंका में रोज़मर्रा के सामानों के कीमतें बढ़ रही है। महंगाई दर 57 प्रतिशत को पार कर चुकी है, लोगों को बिजली की कमी का सामना भी करना पड़ रहा है। दवाइयों की कमी के कारण पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है। देश में बस, ट्रेन और मेडिकल ज़रुरतों से जुड़े वाहनों के लिए ईंधन नहीं बचा है। अधिकारियों का कहना है कि आयात के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा अब नहीं बची है।
क्यों बनी श्रीलंका में ऐसी स्थिति
श्रीलंका की विदेशी मुद्रा लगभग ख़त्म हो चुकी है, यानी कि दूसरे देशों से सामान ख़रीदने के लिए अब उनके पास पैसे नहीं बचे हैं। मई 2022 में विदेशी कर्ज़ के बदले तय रकम चुकाने में श्रीलंका नाकाम रहा। इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ। सरकार इसके लिए कोविड महामारी को दोष दे रही है क्योंकि इसका असर टूरिज़्म पर पड़ा और टूरिज़्म से श्रीलंका की कमाई का एक अहम हिस्सा आता रहा है।
सरकार का ये भी कहना है कि साल 2019 में चर्च पर हुए कई जानलेवा हमलों के कारण भी सैलानियों में डर बैठ गया, लेकिन कई जानकार ग़लत आर्थिक नीतियों को ज़िम्मेदार ठहराते हैं।
2009 के गृह युद्ध के बाद श्रीलंका का ज़ोर घरेलू बाज़ार में सामानों की आपूर्ति पर रहा, उन्होंने विदेशी बाज़ार में पहुंचने की कोशिश नहीं की, इसलिए दूसरे देशों से आमदनी तो कम हुई ही, आयात का बिल भी बढ़ता गया।