- पवन गुप्ता
छत्तीसगढ़ के कोयलांचल के रूप में विख्यात, वनों से आच्छादित और जनजाति संस्कृति से ओतप्रोत कोरिया जिला जो कभी अपने पिछड़ेपन के कारण जाना जाता था, वह आज निरंतर विकास के पथ पर अग्रसर है। प्रशासनिक व्यवस्था के सुचारू संपादन हेतु 25 मई 1998 को अविभाजित मध्यप्रदेश के सरगुजा जिले से पृथक जिले में रूप में जन्मे कोरिया जिले में शुरू से ही विकास की असीम संभावनाएं मौजूद रही। एक नवंबर सन् 2000 को पृथक छत्तीसगढ़ राज्य बनने और मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में विगत नौ सालों में इस जिले में विकास कार्यो को जो गति मिली उसने इस दूरस्थ जिले के पिछड़ेपन की पहचान को ही बदल डाली। गांव-गांव में आज न केवल शिक्षा, स्वास्थ्य और पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं का विस्तार हुआ है बल्कि सड़क, पुल-पुलिओं सहित अनके आधारभूत संरचनाओं के निर्माण के साथ ही बेरोजगारों के लिए रोजगार के पर्याप्त अवसर सृजित हुए है। विभिन्न क्षेत्रों में कोरिया जिले ने न केवल राज्य स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी उल्लेखनीय ख्याति अर्जित की है। कोरिया जिले ने इन नौ सालों में विकास ने कई नए आयाम भी तय किए है।
किसानों का जीवन हुआ खुशहाल
कोरिया जिले में खेती-किसानी के विकास के लिए इस दौरान अनेक अभिनव कदम उठाएं गए है। परिणाम स्वरूप जहां राज्य निर्माण के समय जिले में खरीफ व रबी का कुल आच्छादन क्षेत्र एक लाख 14 हजार हेक्टेयर था वह आज बढ़कर एक लाख 88 हजार 575 हेक्टेयर हो गया है। इसमें अनाज के साथ दलहन व तिलहन के क्षेत्रों में उल्लेखनीय वृध्दि हुयी है जिससे किसान आज बेहतर आमदनी प्राप्त कर पा रहे है। इसी तरह उद्यानिकी फसलों का रकबा भी इस अवधि में तीन हजार हेक्टेयर से बढ़कर 24 हजार हेक्टेयर हो गया है। प्रदेश में किसानों के कल्याण व कृषि विकास के लिए संचालित योजनाओं का भी यहां के किसानों ने भरपूर लाभ उठाया है। वर्ष 2002 में जिले में नलकूपों की संख्या जहां मात्र 32 थी, जो आज बढ़कर 830 हो गयी है। इसी तरह शाकम्भरी योजना के तहत वर्ष 2005 से अब तक तीन हजार 427 पंप तथा 963 कुंआ के निर्माण से किसानों को भरपूर सिंचाई की सुविधा मुहैया हो है। वर्ष 2002 में जहां किसानों को मात्र एक हजार 403 मीटरिक टन प्रमाणित बीज ही प्रदान किए जाते थे वहीं आज यह बढ़कर 21 हजार 279 मीटरिक टन हो गया है। यही स्थिति उवर्रकों की भी है। वर्ष 2002 में जहां तीन हजार 654 मीटरिक टन उवर्रक किसानों को सहकारी समितियों से मिलता था वह आज बढ़कर 8 हजार 852 मीटरिक टन हो गया है। इतना ही नही जिले के खड़गवां विकासखण्ड के ग्राम बंजारीडांड व बैकुण्ठपुर विकासखण्ड के ग्राम मुरमा को राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत आर्दश ग्राम के रूप में भी विकसित किया जा रहा है। यहां निवासरत किसानों को उन्नत और आधुनिक खेती के साथ ही साथ मछली पालन, पशुपालन, उद्यानिकी जैसी आयमूलक गतिविधियों से समन्वित रूप से जोड़ा जा रहा है ताकि वे उतने ही संसाधनों में अच्छी आमदनी प्राप्त कर अपने जीवन स्तर को ऊचा कर सके। छत्तीसगढ़ सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान और मक्के की खरीदी भी कर रही ताकि प्रदेश के किसानों की उनकी मेहनत से उपजे एक-एक दाने का वाजिफ दाम मिल सके। कोरिया जिले में वर्ष 2004 में जहां मात्र 8 हजार मीटरिक टन ही धान की खरीदी होती थी वहीं यह अब बढ़कर 50 हजार 598 मीटरिक टन जा पहुंची है। वर्ष 2011-12 में समर्थन मूल्य पर की गयी धान खरीदी से जिले के किसानों को 56 करोड़ 16 लाख रूपए का भुगतान तथा दो करोड़ 53 लाख रूपए का बोनस मिला है। वर्ष 2002 में जिले में अनाजों के भण्डारण की क्षमता जहां मात्र दो हजार मीटरिक टन ही थी जो आज बढ़कर 11 हजार 200 मीटरिक टन हो गयी है। जिले में 23 प्राथमिक सहकारी समितियां कार्यरत है। जिनके माध्यम से इस वर्ष खरीफ में किसानों को मात्र एक प्रतिशत ब्याज दर पर 13 करोड़ 78 लाख रूपए का अल्पकालीन कृषि ऋण मुहैया कराया गया है। जिले में राज्य निर्माण के बाद वर्ष 2011 तक मात्र 19 हजार 545 किसानों के पास ही किसान क्रेडिट कार्ड थे परंतु जिला प्रशासन द्वारा चलाए गए विशेष अभियान के परिणाम स्वरूप आज जिले के 47 हजार 640 किसान क्रेडिट कार्ड धारी हो गए है। जिले में खेती के साथ ही साथ मछली पालन व पशुपालन की भी असीम संभावनाओं को देखते हुए इस ओर लगातार किसानों को प्रोत्साहित कर उन्हें इससे जोड़ा जा रहा है ताकि वे अतिरिक्त आमदनी प्राप्त कर सके। जिले के गठन के समय जहां यहां के मछली पालक किसानों को मछली बीज के लिए दूसरे जिले व प्रदेश की ओर देखना पड़ता था वहीं जिले में मस्स्य बीज प्रक्षेत्र गेज व बेलबहरा के निर्माण से मछली बीज उत्पादन के मामले में यह जिला आज आत्मनिर्भर हो गया है। वर्ष 2000 में जहां जिले में 4 करोड़ स्पान तथा 90 लाख स्टैण्डर्ड फ्राई का ही उत्पादन होता था वह आज बढ़कर 16 करोड़ स्पान तथा 2 करोड़ 66 लाख स्टैण्डर्ड फ्राई हो गया है। पशुपालन के क्षेत्र में भी किसानों को विभिन्न योजनाओं के तहत अनुदान पर बड़ी संख्या में बैकायार्ड कुक्कट, विनिमय पर उन्नत नस्ल का बकरा, सूकर तथा शतप्रतिशत अनुदान पर उन्नत नस्ल के सांड प्रदान किए गए है जिसके फलस्वरूप किसान खेती के साथ साथ पशुपालन भी कर रहे है और उससे अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहे है।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में उल्लेखनीय पहल
जिले की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने, उन्हें शोषण से बचाने तथा विकास में उनकी बराबर की भागीदारी सुनिश्चित करने शासन के सहयोग से कोरिया महिला गृह उद्योग की स्थापना की गयी है। इसमें महिलाओं को समूहों में संगठित कर जहां व्यवसायिक गतिविधियों में शामिल किया गया है वहीं इसके माध्यम से स्कूलों में संचालित मध्यान्ह भोजन और आंगनबाड़ी केन्द्रों में पूरक पोषण आहार में लगने वाली गुणवत्तायुक्त सामाग्रियों की आपूर्ति भी स्थानीय स्तर पर सुनिश्चित की जा रही है। कोरिया महिला गृह उद्योग के अंतर्गत जिला मुख्यालय बैकुण्ठपुर सहित जिले के विभिन्न 22 स्थानों में उत्पादन और वितरण केन्द्र स्थापित किए गए है। जहां छत्तीसगढ़ राज्य महिला कोष और पिछड़ा क्षेत्र अनुदान कोष से विभिन्न प्रकार के मसालें और दाल आदि पीसने के लिए आधुनिक मशीनें उपलब्ध करायी गयी है साथ ही महिलाओं को इन कार्यो में पारंगत करने और उनके कौशल उन्नयन के लिए उन्हें आवष्यक प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया है।
इस कार्य में करीब 300 महिला स्व सहायता समूह की तीन हजार महिलाओं द्वारा घरेलू उपयोग की वस्तुएं जैसे धनिया, मिर्च व हल्दी पावडर, गरममसाला, आचार, पापड़, बड़ी और अगरबत्ती का निर्माण किया जा रहा है। समूह की महिलाएं यहां आटा, दलिया, कपड़े के थैले, कागज के पैकेट और फिनाईल का निर्माण भी कर रही है। इन सभी सामग्रियों को कोरिया ब्रांड के नाम से आकर्षक पैकिंग कर बाजार में बेचने का काम भी समूह की महिलाओं द्वारा किया जा रहा है। इन उत्पादों की बिक्री के लिए जिले की सभी 239 ग्राम पंचायतों और सातों नगरीय निकायों में महिला समूह की किराना दुकानें भी संचालित की जा रही है। इस तरह महिलाओं द्वारा सामानों को स्वयं तैयार कर और उसे स्वयं बेचने से मुनाफा भी ज्यादा मिल रहा है। इससे इन महिलाओं में विशेषकर आदिवासी और गरीब परिवार की महिलाओं में जहां आत्मविश्वास और उत्साह बढ़ा है वहीं उनमें व्यावसायिक और वित्तीय प्रबंधन की समझ भी विकसित हुयी है। स्कूलों में मध्यान्ह भोजन और आंगनबाड़ी केन्द्रों में रेडी-टू-ईट में लगने वाली सामग्रियों की सप्लाई भी महिला समूहों द्वारा की जा रही है। नया रायपुर में आयोजित राज्योत्सव के अवसर पर देश के राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी के कर कमलों से कोरिया महिला गृह उद्योग को राज्य के मिनीमाता सम्मान से सम्मानित भी किया गया है। महिला समूहों की सफलता को देखते हुए जिले में महिलाओं को कोरिया गारमेंट्स के तहत सिलाई कार्य में प्रशिक्षित कर उन्हें जिले के 88 हजार स्कूली बच्चों के गणवेश तैयार करने की जिम्मेवारी दी गयी है। महिला समूहों द्वारा तैयार किए गए गणवेश पहनावा ब्राण्डनेम से उपलब्ध होंगे। महिला द्वारा अब सहज ब्राण्डनेम से इस सेनेटरी नेपकीन का निर्माण किया जा रहा है जो बाजार में मिलने वाले ब्राण्डेंड नेपकीनों से कहीं सस्ता और गुणवत्तायुक्त है। जिला प्रशासन द्वारा महिलाओं द्वारा तैयार किए गए नेपकीनों की खपत के लिए आश्रमों व छात्रावासों की किशोरी बालिकाओं व जननी सुरक्षा योजना के तहत डिलवरी के समय माताओं को प्रदान करने की व्यवस्था की गयी है।
सिंचाई सुविधाओं का हुआ विस्तार
जिले के किसानों को सिंचाई की भरपूर सुविधा मुहैया कराने वर्ष 2002 से अब तक राज्य सरकार द्वारा जिले में कुल 27 लघु सिंचाई योजनाओं की स्वीकृति दी गयी। जिनमें से 15 लघु सिंचाई योजनाओ का कार्य पूर्ण हो गया है। इन सिंचाई परियोजनाओं से एक हजार 14 हेक्टेयर खरीफ में तथा एक हजार 70 हेक्टेयर रबी में इस प्रकार कुल दो हजार 84 हेक्टेयर क्षेत्र में जिले के किसानों को सिंचाई की सुविधा मुहैया हो रही है। इससे जिले में सिंचाई क्षमता में दो प्रतिशत से अधिक की वृध्दि दर्ज हुयी है। जिले में वर्तमान समय में 12 विभिन्न सिंचाई योजनाओं का कार्य प्रगति पर है। इन योजनाओ के पूर्ण होने से दो हजार 157 हेक्टेयर खरीफ में और एक हजार 611 हेक्टेयर रबी में इस तरह कुल तीन हजार 768 हेक्टेयर क्षेत्र में किसानों को सिंचाई की सुविधा मिलेगी।
गरीब परिवारों के लिए दो जून के भरपेट भोजन की व्यवस्था
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रदेश में सभी गरीब परिवारों को दो जून का भरपेट उपलब्ध कराने की व्यवस्था भी की गयी है। राज्य सरकार द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम जिले के 27 हजार 498 गरीब परिवारों को केवल एक रूपए की दर से तथा 63 हजार 106 गरीब परिवारों को दो रूपए प्रति किलो की दर से हर माह 35 किलो चावल व दो किलो आयोडीन युक्त अमृत नमक मुफ्त में मुहैया कराया जा रहा है। अब इन परिवारों को दो किलो पौष्टिक चना भी मात्र पांच रूपए में प्रदान किया जा रहा है।
साक्षरता ने दूर किया लोगों के जीवन से निरक्षता का अभिशाप
लोगों के जीवन से निरक्षरता का अंधकार मिटाने जिले में वर्ष 2003 से साक्षरता अभियान चलाया जा रहा है । इस अभियान के तहत जिले के 83 हजार 126 शिक्षार्थियों का चिन्हाकन कर उन्हें लोक शिक्षा केन्द्रो के माध्यम से साक्षरता कौशल प्रदान किया गया। कार्यक्रम के सफल संचालन के परिणाम स्वरूप राष्ट्रीय साक्षरता मिशन व राष्ट्रीय ओपन स्कूल दिल्ली के द्वारा आयोजित शिक्षार्थी आंकलन परीक्षा में जिले के 57 हजार 126 शिक्षार्थियों ने सफलता प्राप्त की है । समतुल्यता परीक्षा के माध्यम से 8 हजार 881 शिक्षार्थियों ने कक्षा 5 वीं की तथा 5 हजार 268 शिक्षार्थियों ने कक्षा 8वीं की परीक्षा भी उत्तीर्ण कर ली है ।
जिला लोक शिक्षा समिति द्वारा इन साक्षर लोगों के कौशल विकास के लिए कटिंग -टेलरिंग, ब्यूटीपार्लर तथा बेल्डिंग जैसी आयमूलक विधाओं में प्रशिक्षण प्रदान कर उन्हें पारंगत भी किया गया ताकि वे स्वयं का रोजगार स्थापित कर बेहतर तरीके से अपना और अपने परिवार का भरण पोषण कर सके। वर्ष 2011 में प्रदेश के महामहिम राज्यपाल द्वारा कोरिया जिले को राज्य स्तरीय साक्षरता सम्मान से सम्मानित किया गया। इसी तरह राष्ट्रीय साक्षरता मिशन नई दिल्ली के द्वारा जिले के मनेन्द्रगढ विकासखंड की ग्राम पंचायत घाघरा को वर्ष 2012 में ” साक्षर भारत का राष्ट्रीय पुरस्कार ” प्रदान किया गया। राज्य गठन के बाद इस अभियान के परिणाम स्वरूप जिले में साक्षरता दर में 8.32 प्रतिशत की बढोत्तरी हुई है। जिसमें महिला साक्षरता दर में 11.28 प्रतिशत तथा पुरूष साक्षरता दर में 5.84 प्रतिशत की वृद्वि दर्ज हुई है।
गांव-गांव में स्वच्छ पेयजल की माकूल व्यवस्था
वर्ष 2002 में कोरिया जिले के 644 आबाद ग्रामों एवं दो हजार 156 बसाहटों में ग्रामीण क्षेत्रों में 30 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन के मान से 3 हजार 154 हैण्डपम्पों तथा पांच ग्रामीण व तीन शहरी नलजल योजनाओं के माध्यम से पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा था। विगत नौ सालों इस दिशा में किए गए विशेष प्रयासों के परिणाम स्वरूप आज 644 आबाद ग्रामों तथा तीन हजार 741 बसाहटों में नौ हजार 315 हैण्डपम्पों, छह ग्रामीण नलजल योजनाओं तथा पांच शहरी जलप्रदाय योजनाओं के माध्यम से 40 लीटर प्रतिदिन प्रति व्यक्ति के मान से लोगों को शुध्द पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। खुले में शौच की कुप्रथा को दूर करने के लिए जिले में निर्मल भारत अभियान के तहत बीपीएल, एपीएल परिवारों, शालाओं व ऑगनबाडी केन्द्रों सहित गांवो में सामुदायिक स्वच्छता परिसरों में शौचालयों का निर्माण कराया जा रहा है। जिसके तहत वर्ष 2005-06 से अभी तक जिले के 30 हजार 664 बीपीएल परिवार, 18 हजार 345 एपीएल परिवार, दो हजार 282 शालेय शौचालय तथा 798 ऑगनबाडी केन्द्रों में शौचालयों का निर्माण कराया जा चुका है। जिले में अभी तक 23 ग्राम पंचायतें निर्मल ग्राम पंचायतों के रूप में पुरस्कृत भी हो चुकी है।
वन संपदा से आकूत कोरिया जिला
जिले का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 46.44 प्रतिशत वनों से अच्छादित है। वन विभाग के अंतर्गत इस जिले में दो वनमण्डल तथा एक राष्ट्रीय उद्यान कार्यरत है। यहां निवासरत आदिवासी परिवारों का आर्थिक जीवन पूण्र्ात: वनोपज के संग्रहण और उसके विक्रय पर आधारित है। राज्य शासन द्वारा वनवासी परिवारों के कल्याण व विकास के लिए अनेक कदम उठाएं जा रहे है। हरियर छत्तीसगढ़ और हरियाली प्रसार योजना के तहत के चालू वर्ष में 27 लाख पौधे लगाए गए है। पिछले साल जिला वनोपज सहकारी यूनियन मर्यादित कोरिया के माध्यम से 70 हजार मानक बोरा तेन्दूपत्ता का संग्रहण किया गया। जिसमें तेन्दूपत्ता संग्राहकों को 6 करोड़ 80 लाख रूपए का भुगतान किया गया है। इसी तरह साल बीज के संग्रहण में 40 लाख 71 हजार 680 रूपए का लाभ वनवासी परिवारों को मिला। जिले के वनवासियों द्वारा 84.71 क्ंविटल लाख का उत्पादन भी किया गया जिसका उन्हें 9 लाख 31 हजार 810 रूपए पारिश्रमिक का भुगतान किया गया है।
राज्य सरकार द्वारा वनवासी परिवारों के लिए संचालित जनश्री बीमा योजना के तहत वर्ष 2011 में करीब 50 लाख रूपए पीड़ित व्यक्तियों को भुगतान किया गया है। विभाग द्वारा तेन्दूपत्ता संग्राहकों के 860 बच्चों को दस लाख 32 हजार रूपए छात्रवृत्ति भी प्रदान की गयी है। चरण पादुका वितरण योजना के तहत वर्ष 2010-11 में जिले के 47 हजार तेन्दूपत्ता संग्राहकों को चरण पादुका भी वितरित की गयी है। अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी अधिनियम के तहत अब तक 3 हजार 159 हितग्राहियों को 3 हजार 409 हेक्टेयर वन क्षेत्र का पट्टा प्रदान किया गया है। जिले में जंगली हाथियों व अन्य वन्य प्राणियों द्वारा किए गए जनहानि के अब तक 14 प्रकरणों पर 20 लाख रूपए का भुगतान संबंधित परिवारजनों को किया गया है। इस अवधि में जनघायल के 152 प्रकरणों पर 15 लाख 70 हजार 842 रूपए तथा पशु हानि के 175 प्रकरणों पर 7 लाख 53 हजार 750 रूपए का भुगतान भी किया गया है। फसल संपत्तियों के नुकसान के दो हजार 319 प्रकरणों में 68 लाख 59 हजार 204 रूपए तथा मकान की क्षति के 478 प्रकरणों पर 20 लाख 84 हजार 334 रूपए प्रदान किए गए है।
गांव-गांव में फैली शिक्षा की रोशनी
कोरिया जिले में शिक्षा के विकास और विस्तार के लिए भी उल्लेखनीय कदम उठाए गए है। आज प्रत्येक बसाहट जहां आबादी है वहां एक कि.मी. के दायरे में प्राथमिक शाला तथा तीन कि.मी. के दायरे में उच्च प्राथमिक शाला संचालित हो रही है। जिले में कुल एक हजार 67 प्राथमिक शाला, 509 माध्यमिक शाला, 122 हाई स्कूल तथा 90 हायर सेकेण्डरी स्कूल बच्चों के जीवन में शिक्षा की रौशनी फैला रहे है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा स्कूली बच्चों को नि:शुल्क पाठय पुस्तके, गणेवश, मध्यान्ह भोजन, छात्रवृत्ति व शिष्यवृत्ति प्रदान कर प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि वे पढ़-लिखकर अपने जीवन को निखार सके। इसके अलावा कक्षा नवमी में अध्ययनरत् अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा बीपीएल परिवार की छात्राओं को स्कूल आने-जाने में कठिनाई न हो तथा वे आगे की पढ़ाई सुचारू रूप से कर सके इसके लिए सरस्वती सायकल योजना के तहत उन्हें नि:शुल्क सायकल प्रदान की जा रही है। वर्ष 2012-13 में जिले की दो हजार 153 छात्राओं को नि:शुल्क सायकल प्रदान की जाएगी । मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम के तहत जिले में प्राथमिक स्तर पर एक लाख 38 हजार 225 तथा माध्यमिक शाला स्तर में 67 हजार 742 बच्चे इससे लाभान्वित हो रहे है। शैक्षण्0श्निाक रूप से पिछड़े क्षेत्रों के प्रतिभावान बच्चों के लिए जिले के भरतपुर, खड़गवां एवं मनेन्द्रगढ़ विकासखण्ड में केन्द्रीय विद्यालय की तर्ज पर मॉडल स्कूल भी खोले गए है। अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के प्रतिभावान बच्चों को आगे की बेहतर पढ़ाई के लिए मुख्यमंत्री बाल भविष्य सुरक्षा योजना के तहत~ रायपुर में ” प्रयास” उत्कृष्ट आवासीय विद्यालय संचालित किया जा रहा है। यहां बच्चों को कक्षा 11वीं व 12वीं की पढ़ाई के साथ ही साथ मेडिकल एवं इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा हेतु तैयारी भी कराई जा रही है। अभी तक जिले से 14 विद्यार्थियों को इस संस्था में प्रवेश दिलाया गया है। इसी तरह कक्षा 5वीं एवं 10वीं में 80 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले बच्चों को राज्य के उत्कृष्ठ आवासीय विद्यालयों में अध्ययन की नि:शुल्क व्यवस्था भी सुनिष्चित की जा रही है। कोरिया जिले से अब तक कुल 78 मेधावी छात्र-छात्राओं का प्रवेश इन उत्कृष्ठ आवासीय विद्यालयों में कराया गया है। इसी तरह बी0एस0सी0नर्सिग पाठयक्रम के तहत जिले की 98 छात्राएं तथा एयर होस्टेस प्रशिक्षण योजना के तहत जिले की 12 युवतियां यह प्रशिक्षण प्राप्त कर रही है। जिले में उच्च शिक्षा के लिए भी अब यहां के बच्चों को बाहर नही जाना पड़ता। राज्य निर्माण के समय जिले में जहां मात्र तीन महाविद्यालय ही संचालित थे वहीं आज 8 शासकीय व 6 अशासकीय महाविद्यालयों में बच्चों को विभिन्न विषयों की उच्च शिक्षा आसानी से सुलभ हो रही है। इसके अलावा बैकुण्ठपुर में पॉलिटेनिक महाविद्यालय, जनकपुर, चिरमिरी, मनेन्द्रगढ़ तथा कटगोड़ी में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान भी संचालित हो रहे है। जहां बच्चे विभिन्न व्यवसायों का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे है।
पारे-टोले हुए विद्युत से रोशन
कोरिया जिले में राज्य निर्माण के समय जहां केवल 388 ग्राम ही विद्युतीकृत थे वहीं आज जिले के 647 ग्राम विद्युत से रोशन हो रहे है। इसी तरह वर्ष 2002 में जिले में एकल बत्ती कनेक्शनधारियों की संख्या मात्र पांच हजार 326 थी जो नौ वर्षो में बढ़कर 18 हजार 555 हो गयी है। असाध्य पंपों के ऊर्जीकरण के तहत राज्य निर्माण के समय जिले में ऊर्जीकृत पंपों की संख्या जहां 271 थी जो आज बढ़कर 652 हो गयी है। जिले के शेष बचे मजरे टोलों में से 855 मजरे टोले के विद्युतीकरण के लिए राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत 83 करोड़ रूपए की कार्ययोजना स्वीकृत की गयी है। शेष 121 मजरे टोलों के विद्युतीकरण का कार्य बीआरजीएफ, आईएपी एवं सरगुजा विकास प्राधिकरण मद के किया जा रहा है । जिले के दूरस्थ व वनबाधित क्षेत्रों में जहां परंपरागत विद्युत का विस्तार नही हो सका है वहां अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण क्रेडा के माध्यम से विद्युतीकरण्ा का कार्य किया जा रहा है। अब तक कोरिया जिले के 124 ग्रामों एवं 87 मजरेटोले को सौर ऊर्जा से प्रकाशमय किया गया है।
रोजगार के साथ अधोसंरचनाओं का हुआ विकास
जिले में विभिन्न विभागों के माध्यम से लोगों का कौशल उन्नयन कर उन्हें आवष्यक रोजगार मुहैया कराया जा रहा है ताकि वे बेहतर तरीके से अपना जीवन-यापन कर सके। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत जिले के एक लाख 867 परिवारों का पंजीयन कर उन्हें जॉबकार्ड उपलब्ध कराया गया है। वर्ष 2012 में 74 हजार परिवारों को इसके तहत रोजगार मुहैया कराया गया है। इससे गांवों में स्टापडैम, नाली, डबरी, कूप, भूमि समतलीकरण, पुलिया, सड़क, तालाब तथा चैकडेम आदि बड़ी संख्या में आधारभूत संरचनाएं भी निर्मित हुयी है। जिले में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 175 सड़कें 921.26 कि.मी. लंबाई की पूर्ण की जा चुकी है। जिसकी लागत 216.45 करोड़ रूपए है। इसी तरह लोक निर्माण विभाग के द्वारा भी 28 बसाहटें बारहमासी पक्की सड़कों से जोड़ी गई हैं। सेतु संभाग द्वारा दस दौरान जिले में कुल 55 करोड़ 03 लाख रूपए की लागत से 41 सेतुओं का निर्माण कार्य कराया गया है। इससे जिले के दुर्गम व दूरस्थ क्षेत्रों का आवागमन सुचारू बन सका है। इसके साथ ही जिले में बड़ी संख्या में स्कूल, आंगनबाड़ी व स्वास्थ्य केन्द्र भवन, पुल-पुलियों सहित विभिन्न आधारभूत संरचनाएं निर्मित होने से आम आदमी का जीवन खुशहाल हुआ है।
स्वास्थ्य सेवाओं का हुआ विस्तार
जिला बनने के पूर्व में यहां के गम्भीर रोगियों को उपचार हेतु 80 किलोमीटर दूर अम्बिकापुर जिला अस्पताल जाना पड़ता था। कोरिया जिले के दुर्गम क्षेत्र जनकपुर के लोग स्वास्थ्य सेवाओं के लिये मध्य प्रदेश के शहडोल जिले पर आश्रित थे। राज्य बनने के पष्चात् छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जिला मुख्यालय में जिला अस्पताल का शुभारंभ किया गया। वर्तमान में यहां पर शिशु रोग, स्त्री रोग, नेत्र रोग, सर्जरी, सोनोग्राफी, कलर डाप्लर, ई.सी.जी. आदि की सेवायें मरीजों को सुलभ हो रही है। राज्य निर्माण के समय बैकुण्ठपुर, मनेन्द्रगढ़ एवं चिरमिरी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में ही सिर्फ 30 बिस्तर की सुविधा उपलब्ध थी। वर्तमान में जिले के सभी पांच सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में यह सुविधा उपलब्ध है। गत वर्ष प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पटना को भी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के रूप में उन्नयन कर दिया गया है। वर्ष 2002 में जिले में मात्र 18 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र थे जिनकी संख्या अब बढ़कर 29 हो गयी है। इसी तरह उप स्वास्थ्य केन्द्रों की संख्या इस दौरान 124 से बढ़कर 184 हो गयी है। जिला मुख्यालय बैकुण्ठपुर में पिछले वर्ष महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता प्रशिक्षण केन्द्र भी प्रारम्भ हो गया है इसमें प्रतिवर्ष 40 महिला प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। आपात स्थिति में चिकित्सा सेवा मुहैया कराने तथा मरीज को नजदीक के स्वास्थ्य केन्द्रों तक पहुंचाने के लिए जिले के पांचों विकासखण्डों में एक-एक 108 संजीवनी एक्सप्रेस एम्बूलेंस संचालित की जा रही है। जिले की भौगोलिक परिस्थिति को देखते हुए राज्य शासन द्वारा राज्योत्सव 2012 के अवसर पर जिले को दो 108 संजीवनी एक्सप्रेस एम्बूलेंस और प्रदान की गयी है। जिसमें से एक खड़गवां विकासखण्ड के चिरमिरी में और भरतपुर विकासखण्ड के कोटाडोल में तैनात किया गया है। इसी तरह दूरस्थ और वनांच्छादित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को मुहैया कराने के लिए राज्य शासन द्वारा कोरिया जिले को दो चलित चिकित्सालय वाहन भी प्रदान किए गए है जो ऐसे क्षेत्रों के हॉट बाजारों में पहुंचकर लोगों को आवष्यक चिकित्सा सेवाएं मुहैया करा रहे है।