चिरमिरी से रवि कुमार सावरे… आर्टिकल
- नीयत, नीति और वायदों का समय, नेताजी चुनाव आ गया है
कहने का तात्पर्य बिल्कुल साफ है लोकसभा चुनाव सर पर है। आदर्श आचार सहिता लागू हो चुकी है इसलिएं दलों को उनके नेताओं का प्रचार – प्रसार भी करना है और नेताजी को एसी छोड़कर सड़कों पर भी निकलना है वो सिर्फ 80 लाख रू0 में, अन्यथा जीतने के बाद उम्मीदवार की उम्मीदवारी पर चुनाव आयोग विराम लगाते हुएं जीत को हार मे बदल सकता है।
छ0ग0 के कोरबा लोकसभा सीट की बात की जाय तो डा0 चरणदास महंत यहा से सांसद है। क्षेत्र में उनकी उपस्थिति से पूरा कोरिया जिला प्रभावित है कितु बीते विधानसभा चुनाव के दौरान टिकटों के बटवारा को लेकर कई दिग्गज कांग्रेसी महंत से सीधे तौर पर खफा है । कोरबा लोकसभा सीट के अंतर्गत 08 विधानसभा शामिल है जिसमें कोरिया के भीतर भरतपुर – सोनहत, मनेन्द्रगढ़ और बैकुण्ठपुर तथा कोरबा में कटघोरा, पाली – तानाखार, मरवाही, रामपुर और कोरबा है जहां पर कांग्रेस औश्र भाजपा में सीधी टक्कर है, विधान सभा के लिहाज से कोरिया जिले में भाजपा मजबूत दिखाई दे रही है क्योकि यहा की तीनों सीट भाजपा की झोली में चली गयी है और तीनों विधायक कभी भी नही चाहेगे कि यहां की सीट किसी भी रूप में कांग्रेस की झोली में जा गिरे पर इसके बाबजूद भी भाजपाई ज्यादा खुश इसलिएं नही है क्योकि उनके जीत का अंतर बहुत कम था यानि कुल मिलाकर कांग्रेस ज्यादा मजबूत नही तो ज्यादा कमजोर भी नही है जो एक चिंता का प्रमुख कारण है। कुछ इसी तरह कोरबा जिले का भी हस्र है यहां पर विधानसभा की पांच सीटे है जिनमें चार पर कांग्रेस फतेह हासिल की है और एक पर भाजपा का कब्जा है । आठ विधानसभाओं वाले इस ससंदीय क्षेत्र में बीते विधान सभा की 4-4 सीट दोनों बड़े दलों के पास मौजूद है यानि मुकाबला दिलचस्प होगा।
आधे – आधे पर बटी चार – चार विधानसभाओं को अपने कब्जे में रखने वाले कांग्रेस और भाजपा का दम प्रत्याशियों के चेहरें को देखकर लगाया जा सकेगा लिहाजा कांग्रेस कोरबा विधान सभा वार सीट पर जीत हासिल करने के लिएं पूरी तरह अस्वस्त हो सकती हैै पर कोरिया से भी तीनों विधानसभा सीट निकलाना ज्यादा अहम होगा तभी किला कांग्रेस के लिएं फतेह हो पायेगा और डा0 चरणदास महंत एक बार फिर कोरबा से सांसद का प्रतिनिधित्व कर सकेगे। उम्मीदवारों के नाम की घोषणा के साथ ही जीत और हार के लिएं परिस्थितियों का अ ाकलन कर पाना आईने की तरह साफ हो सकता है लेकिन वही कांग्रेस ने अपने पत्ते खोल कर एक कदम आगे की रणनीति दर्ज की है इसलिएं अब सभी की निगाहे भाजपा के प्रत्याशी की घोषणा पर है ताकि आसानी से समझा जा सके कि दो जिलों वाले ससंदीय क्षेत्र कोरबा में किस जिले पर किस प्रत्याशी की पकड़ ज्यादा मजबूत है । वर्तमान हालात को देखे तो कांग्रेस के चरणदास महंत पर भाजपा के उम्मीदवार तभी भरी पड़ सकते है जब भाजपा कोरिया से किसी नेता को प्रत्याशी बनाये फिलहाल एैसा होता नही दिखाई दे रहा है लिहाजा दिग्गज नेताओं के खफा होने के बाद भी कांग्रेस कोरबा सीट निकालने का दम रखती है।
आकड़ों की बात करें तो 2009 के लोकसभा चुनाव में 262738 मत कांग्रेस के डां0 चरणदास महंत को मिला था तो वही 241816 मत भाजपा के करूणा षुक्ला को मिला था। जीत और हार का अंतर महज 20922 मतों का था जो कि संसदीय क्षेत्र के मुताबिक बिलकुल भी ज्यादा नही है वो उस स्थिति में जब करूणा शुक्ला द्वारा भाजपा कार्यकर्ताओं को ही हराने का आरोप लगाया जा चुका है। आमने सामने की इस लड़ाई में दोनों दल 19 बीस साबित होगे अब मोंहरे के उपर है कि चुनावी उट किस करवट बैठायेेगा।
चौकाने वाले हो सकते है उम्मीदवार अन्य दलों से : गुलाब सिंह
कांग्रेस से मनेन्द्रगढ़ विधान सभा में हारे गुलाब सिंह भी एक बार सांसद के रूप में किस्मत चमकाने के लिएं मैदान में उतर सकते है। खबरे तो और भी चैकाने वाले आ रहे है जिसमें बताया जा रहा कि ममता बेनर्जी की तृणमूल कांग्रेस से उन्हे कोरबा लोकसभा की सीट से लड़ाया जा सकता है हालाकि अभी तक स्पष्ट संकेत नही मिले है फिर भी इतना जरूर है कि कोरबा सीट से गुलाब सिंह लउ़ सकते है चाहे निर्दलीय ही क्यों ना हो, गर एैसा होता है तो भाजपा और कांग्रेस दोनों को नुकसान होगा क्योकि स्थानीय पत्याशियों की मांग चल रही ळै और दल हमेशा ही कोरिया की उपेक्षा करते रहे है इस कारण गुलाब सिंह क ेलड़ने पर स्थानीय मतदाता का झुकाव उनके पक्ष में अधिक हो सकता है।