
जशपुर/दिव्यांश रॉय. पूरे देश में सबसे ज्यादा सर्पदंश से मरने वाले राज्य में एक छत्तीसगढ़ है? और बारिश के साथ ये दोगुना हो जाता है? क्या आप जानते हैं छत्तीसगढ़ के नाग भूमि के बारे में? एक मामूली सर्पदंश एक हट्टे-कट्टे आदमी की सिर्फ और सिर्फ 2 घंटे में जान ले सकता है.
लेकिन बारिश के समय ये सर्पदंश बढ़ता क्यों है?
सांप ठंडे खून वाले जानवर होते हैं, आमतौर पर ये ज़मीन में गहरे गड्ढे करके रहते हैं. लेकिन बारिश के समय इनका घर कुछ उजड़ सा जाता है. ये बेघर सांप फिर निकल जाते हैं हमारे घरो में एक सूखी गरम जगह की तलाश में. बारिश के समय सांप तिगुना व्रती से दिखने लगते हैं, या कोई इन्हें छेड़ दे या खतरा लगे तो वो इंसान सर्पदंश का शिकार हो जाता है. और तो और रात के समय ही 50% से ज्यादा सर्पदंश के मामले होते हैं. ये छुपारुस्तम सांप रात के अँधेरे में हमारे घर की दरारों, खुली नालियों से चुपचाप घर में घुस, बिस्तर के नीचे या आपके बच्चों के पास आ जाते हैं, फ़िर एक भूल और एक शिकार।
कई बार तो नींद के चक्कर में लोगों को पता ही नहीं चलता कि उन्हें सांप काट गया है, और सुबह तक बचने का समय निकल चुका होता है.
छत्तीसगढ़ की “नाग भूमि”
जशपुर जिला में स्थित तपकरा देशभर में स्नेक लैंड के नाम से प्रसिद्ध है. इस जगह से 10 गुना ज्यादा सर्पदंश के मामले निकलते हैं. इस जगह हर व्यक्ति ने या तो किसी को सर्पदंश से मरते हुए या खोते हुए देखा है. फिर भी इस छोटे से गांव में अक्सर आपको लोग नंगे पांव घूमते मिल जाएंगे.
पर यहाँ इतने सांप क्यों है?
तपकला के चारो तरफ घना साल का जंगल है, जिसमें बहुत सारे संभावित भोजन भी हैं, जिस कारण सांपो को छुपने और खाने में आसान होता है. वहां के आस पास की मिट्टी और नमी भी साँप के लिए सबसे सही है और इन्हीं जंगलों से लगा है गांव वासियो का खेत और खुले घर.
क्या सांपो से बचा नहीं जा सकता.?
आज का मेडिकल तकनीक इतनी काबिल है कि लोगों को बचाया जा सकता है. मगर जागरुकता की कमी के कारण, ये लोग सीधा डॉक्टर की सलाह लेने की जगह झाड़ फुक करने जाना पसंद करते हैं, नतीजा? समय से इलाज ना हो पाना और बेमतलब मृत्यु. 90% सांपो के शिकार समय से डॉक्टर के पास न पहुच पाने के कारण जान खोते हैं. हालांकि, छोटे गांव के पास अच्छी चिकित्सा सुविधाएं कम होती हैं. A.C.V से युक्त अस्पताल की कमी भी मौत का एक कारण बनती है.
डॉ. हिम्मतराव बावस्कर – भारत में सर्पदंश पर अग्रणी ग्रामीण चिकित्सक एवं शोधकर्ता “टूर्निकेट्स, काटना, जहर चूसना – ये काटने से ज़्यादा लोगों को मारते हैं. झाड़-फूंक एंटी-वेनम का विकल्प नहीं है.”
रोमुलस व्हिटेकर – भारत के सबसे प्रसिद्ध सरीसृप विज्ञानी (मद्रास मगरमच्छ बैंक और इरुला स्नेक कैचर्स को-ऑप के संस्थापक) “भारत में हर साल सांप के काटने से करीब 50,000 लोगों की मौत होती है. ऐसा इसलिए नहीं है क्योंकि हमारे पास इलाज की कमी है, बल्कि इसलिए क्योंकि पीड़ित अस्पताल जाने के बजाय पारंपरिक अनुष्ठानों में समय बर्बाद करते हैं.”
बारिश सिर्फ पानी नहीं लाती ये हमारे गांवों में छुपा हुआ ख़तरा भी साथ लाती है. जब खेत भीगते हैं, जंगलों में पानी भरता है, तब सांप. जो आमतौर पर मिट्टी के अंदर छुपे रहते हैं, हमारे घरों में घुस आते हैं और ये ज़िंदगी और मौत के बीच का फर्क तय करती है.
छत्तीसगढ़ जैसे राज्य, जहां ज्यादातर जनता अभी भी मिट्टी के घरों में, ज़मीन पर सोती है. वहां ये खतरा और भी बढ़ जाता है. आंकड़े साफ़ कहते हैं. देश में सर्पदंश से सबसे ज़्यादा मौतें इन्हीं इलाकों में होती हैं और हैरानी की बात ये है कि इन मौतों का बड़ा हिस्सा रोका जा सकता है. पर असली समस्या सिर्फ सांप नहीं है. समस्या है हमारी तैयारी की कमी, इलाज तक समय पर पहुंचने में बाधाएं, और सबसे बड़ी जानकारी का अभाव.