- विकास की बाट जोह रहे वनांचल क्षेत्र के ग्रामीण
- बरसात के बाद भयावह हो गया आंनदपुर पहुच मार्ग चार पहिया वाहनों का प्रवेश बंद
- दो पहिया वाहनों को हर पल दुर्घटना का डर विकास के राह में सड़क बनी सबसे बड़ा रोड़ा
- सरकार के तीसरे कार्यकाल में भी स्थिती जस की तस
कोरिया (सोनहत से राजन पाण्डेय की रिपोर्ट)
विकासखंड सोनहत के वनांचल ग्राम आनंदपुर समेत आस पास के गांवों में शासन की योजनाएं नहीं पहुंच पा रहीं है आलम है की ग्रामवासी रोटी, कपडा और मकान के लिये तो तरस ही रहे हैं उनके नसीब में बिजली, सडक और शुद्ध पानी भी मयस्सर नहीं है । पहुंच मार्ग तो इस कदर जर्जर और खतरनाक हैं की जान जोखिम में डाल कर ही वहां तक पहुचा जा सकता है। पिछले साल वन विभाग ने रास्ते में मिटटी डलवाया था लेकिन बरसात के दौरान मिटटी बह गई और अब सिर्फ पत्थर ही पत्थर शेष बचे है जिससे चार पहिया वाहनों का प्रवेश बेद हो गया है और दो पहिया वाहन चालकों को किसी भी समय दुर्घटना होने का डर बना रहता है। ऐसे मार्ग से ग्राम वासी कैसे आवाजाही करते होंगे ये सोच का विषय है। बेहद खराब सड़क होने के कारण कोई अधिकारी भी इन ग्रामों में जाना नही चाहते यदि एक बार कोई अधिकारी पहुच भी गया तो दुबारा उस ग्राम में जाने की सोच कर भी घबरा जाते है। आनंदपुर गोयनी के बसलुाडांड का भी हैंडपंप पर्याप्त पानी नही दे पा रहा हैं शाला भवन क्षतिग्रस्त हो गया हैं, साथ ही बिजली की समस्या से कई गांव जूझ रहे हैं । ग्रामीण इंद्रभान सिह श्यामलाल सुंदरसाय जगनारायाण एवं अन्य ने जानकारी देते हुए बताया की कई बार शासन प्रशासन को क्षेत्र में विकास कार्य कराने मांग किया गया लेकिन पिछले 15 सालों से स्थिती जस की तस है किसी प्रकार का कोई विकास कार्य नही कराया गया है। सरकार हो या पंचायत प्रतिनिधि आए और गए पर कुछ बदला नहीं आज भी ये पुराने ढर्रे पर ही जीवन गुजर बसर करने को मजबूर हैं।
स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित
सोनहत तहसील ब्लाक मुख्यालय से लगभग 70 किलोमीटर स्थित ग्राम आनंदपुर, गोयनी धनपुर बसुलाडांड़ में स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल है आलम है की किसी तरह नीम हकिमी व्यवस्थाओं से ग्राम वासी अपना इलाज करा रहे है। इसके अतिरक्ति ग्राम कुर्थी एवं ललमटटा में भी हालात बदतर हो चुके है । अपातकालीन परिस्थिती में भी शासकीय एम्बुलेंस अथवा संजीवनी एक्सप्रेस का लाभ नही मिल पाता किसी तरह चारपाई पर लिटा कर अथवा दो पहिया वाहनों पर मरीजों को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र रामगढ और वहां से फिर सोनहत लाया जाता है । कई स्थानों पर तो विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के लिये विभिन्न योजनाओं का संचालन भी महज कागजों तक ही सिमित है, आलम है की ग्राम वासीयों को इन योजनाओं की कोई जानकारी नहीं है वर्तमान समय में ग्राम वासी ढोंढी एवं प्राकृतिक तुर्रे का पानी पीने मजबूर है।
पगडंडी से होता है आवागमन
आनंदपुर गोयनी के अलावा ग्राम सुक्तरा सेमरिया सलगवां ललमटटा रेवला के अंतर्गत आने वाले पहुंच मार्ग खस्ताहाल है, जिससे निकलने में ग्रामवासियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पडता है इन मार्गो में कई स्थानों पर पहुंच मार्ग में पुलिया का आभाव है साथ ही पुलिया विहीन इस मार्ग में चार पहिया वाहन नही जा पाते मात्र दु पहिया वाहन किसी तरह से पहुच पाते है जिससे आपातकालीन परिस्थितीयों में कभी भी कोई अप्रिय घटना घट जाती है । वर्तमान समय में आने जाने वाले लोग इन रास्तों में सफर न करके पगडंडियों का सहारा लेते है ।
आंगनबाडी केन्द्र बदहाल
ग्राम सुक्तरा सेमरिया सलगवां कुर्थी समेत कई ग्रामों के गरीब आदिवासी नवनिहालों को पोषण अहार से लेकर शिक्षा के प्रथम सोपान हेतु तैयार कराने में अहम भुमिका तय कराने के लिए संचालित आंगनबाडी केन्द्र कही भवन तो कही पोषण आहार के अभाव में किसी तरह खानापूर्ति तर्ज पर माह में गिनती के दिवस में संचालित होना ग्रामीणों ने बताते हुए नियमानुसार संचालन कराने की मांग किया है। वही कई स्कूल परिसर में बना आधा अधूरा अतरिक्त कक्ष ,अधूरा शौचालय निर्माण पूर्ण किया जाना प्रशासन स्तर पर आपेक्षित किया है।
नेटवर्क वाले स्थान पर लटका देते है मोबाईल
आनंदपुर क्षेत्र एवं आसपास के क्षेत्र में कोई भी मोबाईल टावर नही होने से ग्रामीण संर्पक से बाहर ही रहते है लेकिन मध्यप्रदेश की सीमा से सटे होने के कारण कहीं कहीं पर हल्का मोबाईल का नेटवर्क मिल जाता है जिससे ग्रामीण नेटवर्क वाले स्थानों पर अपने मोबाईलों को रस्सी से बांध कर लटका देते है जिससे यदि किसी का फोन अथवा मैसेज आता है तो उन्हे जानकारी हो जाती है।
नही बेंच पाते है धान
ग्रामीण किसानों ने बताया की धान का पर्याप्त उत्पादन करने के बाद भी सड़क के खराब होने के कारण धान नही बेंच पाते है कुछ किसानों के पास ट्रैक्टर उन्हे छोड़कर बाकी के किसान धान नही बेंच पाते है
कई निर्माण कार्य अधूरे
वनांचल क्षेत्र आनंदपुर गोयनी धनपुर में विगत कई वर्षों से कई निर्माण कार्य अधूरे पड़े है धनपुर में प्रधानपाठक कक्ष लगभग सात साल से वहीं आनंदपुर में संकुल भवन पिछले लगभग दस सालों से अधूरा पड़ा है इसके अतिरिक्त कई अन्य निर्माण कार्य भी लंबे समय से अधूरे पड़े है।