जब परिवार पर टूटा संकट, अनोखी सोच संस्था बनी सहारा… अम्बिकापुर में असहाय भाई की मदद कर बहन को दी सम्मानजनक अंतिम विदाई

Anokhi Soch Sanstha, Ambikapur: अम्बिकापुर। छत्तीसगढ़ के अम्बिकापुर के नमनाकला हाउसिंग बोर्ड से एक मार्मिक घटना सामने आई है, जहां एक भाई आर्थिक तंगी के कारण अपनी बहन का अंतिम संस्कार नहीं कर पा रहा था। इस कठिन समय में अनोखी सोच संस्था ने आगे बढ़कर विधि-विधान से अंतिम संस्कार कराया और भाई का दुख साझा किया।

नमनाकला हाउसिंग बोर्ड में रहने वाला अहिरवार परिवार इस कठिनाई से गुजर रहा था। परिवार के सदस्य जितेंद्र अहिरवार, जो अपनी 25 वर्षीय बहन सुरभि अहिरवार के साथ रहते थे, को अचानक इस संकट का सामना करना पड़ा। उनके एक अन्य भाई जबलपुर में काम कर रहे थे और परिवार की आर्थिक स्थिति भी दयनीय थी। सुरभि की तबीयत खराब होने के बाद उसकी मृत्यु हो गई, और जितेंद्र के पास बहन का अंतिम संस्कार कराने के लिए पैसे नहीं थे।

जब गांधीनगर पुलिस को इस घटना की सूचना मिली, तो उन्होंने तुरंत अनोखी सोच संस्था को जानकारी दी। संस्था के पदाधिकारी प्रकाश साहू और उनके सहयोगियों ने आगे आकर मृतिका का अंतिम संस्कार कराया। गंगापुर मुक्तिधाम में विधिवत रीति-रिवाज के साथ यह कार्य सम्पन्न किया गया।

जितेंद्र ने कहा, “मेरी बहन पेट की बीमारी से जूझ रही थी, और उसकी इसी वजह से मृत्यु हो गई। हमारे परिवार में और कोई नहीं था, और मेरी आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि मैं अंतिम संस्कार भी नहीं कर सकता था।”

अनोखी सोच संस्था के पदाधिकारी प्रकाश साहू ने बताया, “यह बहुत दुखद स्थिति थी। मृतिका का भाई जबलपुर में है, और ट्रेनें नहीं चलने की वजह से वह यहां नहीं आ सका। ऐसे समय में, हमारी संस्था ने आगे आकर मदद की।” उन्होंने यह भी बताया कि संस्था पहले भी कई जरूरतमंद लोगों की मदद कर चुकी है। कोरोना काल के दौरान भी जब लोग शवों को छूने से डरते थे, तब संस्था ने 52 शवों का अंतिम संस्कार किया था।

अनोखी सोच संस्था ने अम्बिकापुर में कई असहाय और जरूरतमंद लोगों की सहायता की है। यह घटना इस बात का जीता-जागता उदाहरण है कि जब कोई अपने दुख में अकेला होता है, तब समाज की मदद से उसे सहारा मिल सकता है। संस्था का यह प्रयास समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारी और संवेदनशीलता को दर्शाता है।

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