अम्बिकापुर..(उदयपुर/क्रांति रावत)..सूरजपुर जिले के तारा गांव में बीते 14 अक्टूबर से जारी धरना प्रदर्शन सोमवार को तारा से हटकर सरगुजा जिले के उदयपुर विकासखंड के कोल प्रभावित ग्राम फतेहपुर में जारी है. सोमवार को सैकड़ों ग्रामीणों के साथ प्रदेश के विभिन्न सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों ने धरना स्थल पहुंचकर लोगों को अपना समर्थन दिया तथा मंच पर आकर लोगों के समक्ष जल जंगल जमीन और पर्यावरण को किस तरह बचाया जाए इस पर अपनी बात रखे.
गांधीवादी तरीके से शांतिपूर्ण ढंग से जारी धरना प्रदर्शन को तोड़े जाने हेतु प्रशासन और कोल खनन कंपनी के द्वारा अपनाये जा रहे तमाम हथकंडों के बाद भी हसदेव अरण्य में खनन परियोजनाओं के खिलाफ ग्रामीणों का संघर्ष जारी हैं. ग्रामीणों ने कहा कि आदिवासियों की आजीविका व संस्कृति की सुरक्षा और स्वशासन के लिए संविधान की पांचवी अनुसूची में प्रावधान हैं. इन्ही क्षेत्रों में पेसा कानून 1996 लागू हैं. इनका पालन राज्य सरकार को करना हैं परंतु निजी कंपनियों के मुनाफे के लिए राज्य सरकार इन प्रावधानों का उल्लंघन कर रही हैं.
यहां तक कि इसका लोकतांत्रिक विरोध भी राज्य सरकार को बर्दाश्त नही हैं इसीलिए प्रशासन के माध्यम से गांव वालों पर दवाब बनाया जा रहा हैं, धरने की जगह को खाली करवाने की कोशिश हुई जिससे विवश होकर प्रदर्शनकारी ग्राम तारा से ग्राम फतेहपुर में अपना आंदोलन जारी रखे हुए है. लोगों ने कहा कि हसदेव अरण्य में अब किसी भी खनन परियोजना को एक इंच जमीन नही दी जाएगी. फर्जी ग्रामसभा की जांच, जबरन भूमि अधिग्रहण को रद्द करने एवं खनन परियोजनों को निरस्त करने की मांगो पर ग्रामीणों का आंदोलन जारी रहेगा.
धरने को समर्थन देने पहुँचे किसान नेता आनंद मिश्रा ने कहा कि आपकी लड़ाई सिर्फ एक दो गांव बचाने की नही हैं बल्कि छत्तीसगढ़ को बचाने की हैं. हसदेव के जंगल जिस दिन उजाड़ गए जांजगीर, कोरबा और बिलासपुर जिला पानी के लिए तरस जाएगा. उन्होंने कहा कि जिस दिन आदिवसियों ने तय कर लिया उस दिन कोई कंपनी एक इंच जमीन नही ले सकेगी. जिला किसान संघ के राजनादगांव के सुदेश टीकम ने कहा कि ऐतिहासिक अन्याय को सुधारने बनाये गए वनाधिकर कानून को मोदी सरकार खत्म करना चाहती हैं और अंग्रेज जमाने के वन अधिनियम को संशोधित कर और अधिक जान विरोधी बना रही हैं. यह सिर्फ इसलिए हो रहा ताकि हमारे जंगलो को आसानी से कारपोरेट को सौंपा जा सके. प्रदेश की कांग्रेस सरकार को जनता ने उनके जंगल जमीन की सुरक्षा के लिए जनादेश दिया हैं न कि कंपनी के एजेंट बनकर कार्य करने के लिए. अम्बिकापुर से आये रेहाना फाउंडेशन के जावेद ने कहा कि आपके आंदोलन में हम लोग भी साथ मे हैं और आने वाले समय मे अम्बिकापुर में भी खनन परियोजनाओं के खिलाफ जंगल और पर्यावरण बचाने आंदोलन शुरू किया जाएगा.
कार्यकम में नंदकुमार कश्यप, सुदेश टीकम जिला किसान संघ, राजनांदगांव, रेहाना फाउंडेशन सरगुज़ा से जावेद खान, नचिकेता जायसवाल अधिवक्ता, दिनेश शर्मा, राजा धंजल, केवल साहू, छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा से रमाकांत बंजारे सहित अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किया.