सूरजपुर..(पारसनाथ सिंह).. जिले के भैयाथान ब्लॉक के अंतर्गत भटगांव बस्ती के सरकारी स्कूल के छात्रों के हाथों में जिस उम्र में कॉपी पेन होना चाहिए. उन हाथों से मजदूर की तरह काम कराया जा रहा है. छात्रों को स्कूल में पढ़ाने के बजाय मोटी रकम पाने वाले अध्यापक छात्रों से चावल की बोरिया ढुलवा रहे हैं. इतना ही नहीं अध्यापकों के डर से मासूम छात्र काम भी कर रहे हैं.
अभिभावक अपने छोटे-छोटे बच्चों को स्कूल में पढाई करने के लिए भेजते हैं, ताकि बच्चे बड़े होकर कलेक्टर, एसपी बन सकें. लेकिन भटगांव बस्ती के शासकीय प्राथमिक शाला मे टीचर उन्हें पढ़ाने की बजाए मजदूरी करवाते हैं. किताबों की बजाए उनके हाथों में बोरा थमा दे रहे हैं. दरअसल इस बोरे को एक पिकप वाहन चालक ने स्कूल से सामने गिरा दिया. जिसके बाद यहां पदस्थ शिक्षक ने बच्चों को मध्यान भोजन के चावल की बोरी अंदर लाने को कहा. और बेचारे बच्चे बोरी उठा तो नही पा रहे थे. लेकिन उसे किसी तरह घसीट कर अंदर लाने का प्रयास जरुर कर रहे थे. हालाकि छत्तीसगढ का सीएम बनने के बाद भूपेश बघेल ने शिक्षा के स्तर को और ऊपर उठाने की बात कही थी. लेकिन शिक्षा विभाग के जिम्मेदार और खुद बच्चो का भविष्य गढने वाले शिक्षक सीएम के सपने को पलीता लगाते नज़र आ रहे हैं. आलम ये है कि जिन बच्चों के हाथ में स्कूली किताब होना चाहिए. उन मासूम बच्चों के हाथों को शिक्षक कलेक्टर एसपी नहीं मजदूर बना रहें हैं.
गौर करने वाली बात है कि ये मामला प्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री डॉ प्रेमसाय सिंह के गृह जिले का है. जहाँ सब पढो सब बढो की जगह. सब चलो बोरा उठाओ के नारे बुलंद हो रहे हैं. और शिक्षा को मजाक बनाया जा रहा है. बहरहाल इन तस्वीरों को देखने के बाद ये नहीं लगता कि सरकार के प्रयासों का जमीनी स्तर पर कोई फायदा हो रहा है. खैर प्रदेश में बच्चों से मजदूरी कराने का ये कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी कभी बच्चे स्कूल मे लिपाई पुताई करते देखे गए हैं. तो कभी फावडा लेकर मिट्टी बिछाते नजर आए हैं. लेकिन हैरानी तब होती है. जब मामला प्रदेश के शिक्षा मंत्री के घर से चंद फासले का हो.
देखिये वीडियो.. मजदूरों की तरह बच्चों से कराया जा रहा काम